राज्य कृषि समाचार (State News)

फसल अवशेष जलाना खेती के लिए नुकसानदेह कदम – डीडीए राजगढ़

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25 अप्रैल 2024, राजगढ़: फसल अवशेष जलाना खेती के लिए नुकसानदेह कदम – डीडीए राजगढ़ – राजगढ़ के उप संचालक ( कृषि ) श्री हरीश मालवीय द्वारा जिले के कृषकों से अपील की गई है कि गेहूँ की फसल काटने के बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) जलाना खेती के लिये नुकसानदेह कदम है।  कटाई के पश्चात् सामान्य तौर पर बचे हुए फसल अवशेष में आग लगा देने से कई अप्रिय घटना के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण तथा  मिट्टी  की संरचना भी प्रभावित होती है।

मिट्टी की संरचना प्रभावित – उप संचालक ( कृषि ) ने बताया कि जिले में गेहूं फसल की कटाई कम्बाईन हार्वेस्टर, रीपर एवं अन्य साधनों से की जा रही है।  कटाई के पश्चात सामान्य तौर पर बचे हुए फसल अवशेष में आग लगा देने से कई अप्रिय घटना के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण तथा  मिट्टी  की संरचना भी प्रभावित होती है।  श्री मालवीय ने बताया जिले में नरवाई में आग लगाना प्रतिबंधित किया गया है। कोई भी व्यक्ति यदि खेत में नरवाई में आग लगाते पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में 02  एकड़  से कम भूमि रखने वाले को 2500 रूपये प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देना होगी। 02  एकड़  से अधिक किन्तु 05  एकड़  से कम भूमि रखने वाले को 5000 रूपये तथा  05 एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले को 15000 रूपये प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि की भरपाई करना होगी। उप संचालक कृषि ने किसानों को सलाह दी है कि कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई के उपरांत फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं को देखते हुए कटाई में कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम या स्ट्रॉ रीपर का उपयोग करके फसल अवषेशों से भूसा प्राप्त किया जा सकता है।

खेत में फसलों के कृषि अपशिष्टों को जलाने से  होने वाली हानियां  –  भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है।भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है। सूक्ष्मजीवों के नष्ट होने के फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है।भूमि की ऊपरी पर्त में ही पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहते है। आग लगने के कारण पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। भूमि कठोर हो जाती है। जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम होने से फसलें सूखती है। खेत की सीमा पर लगे पेड़ पौधे (फल, वृक्ष आदि) जलकर नष्ट हो जाते हैं। पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है। वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है, जिससे धरती गर्म होती है। भूमि में होने वाली रासायनिक क्रियाएं भी प्रभावित होती है, जैसे कार्बन, नाइट्रोजन एवं कार्बन-फास्फोरस का अनुपात बिगड़ जाता है। जिससे पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में कठिनाई होती है। केंचुए नष्ट हो जाते हैं। इस कारण भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। नरवाई जलाने से जन धन की हानि होती है। अतः नुकसान से बचने के लिये किसान  फसल अवशेष में आग न लगाएं।

फसल अवशेष (नरवाई) का उपयोग – फसल अवशेषों को जलाने की अपेक्षा अवशेषों और डंठलों को एकत्र कर जैविक खाद जैसे भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाने में उपयोग किया जाए तो वे बहुत जल्दी सड़कर पोषक तत्वों से भरपूर कृषक स्वयं का जैविक खाद बना सकते हैं। खेत में कल्टीवेटर रोटावेटर या डिस्क हेरो आदि की सहायता से फसल अवशेष भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश खाद की बचत की जा सकती है, तो पशुओं के लिए भूसा और खेत के लिए बहुमूल्य पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने के साथ मिट्टी की संरचना को बिगड़ने से बचाया जा सकता है। कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम को सामान्य हार्वेस्टर से फसल कटवाने के स्थान पर स्ट्रा रीपर एवं हार्वेस्टर का प्रयोग करें। खेतों में फसल अवशेष जलाने का कृत्य कलेक्टर द्वारा प्रतिबंधित है। नरवाई में आग लगाने पर पुलिस द्वारा प्रकरण भी कायम किया जा सकता है।

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