फसल की खेती (Crop Cultivation)उद्यानिकी (Horticulture)

टमाटर की वैज्ञानिक खेती अपनाकर आमदनी बढ़ायें

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प्रेषकडाॅ. विशाल मेश्राम, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर; डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव, वैज्ञानिक (कृषि अभियांत्रिकी); डाॅ. निधि वर्मा, वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान); डाॅ. एस.आर. शर्मा, वैज्ञानिक (पौंध सरंक्षण); डाॅ. आशुतोष शर्मा, वैज्ञानिक (कृषि वानिकी); डाॅ. विजय सिंह सूर्यवशी, कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर

24 अप्रैल 2024, नरसिंहपुर: टमाटर की वैज्ञानिक खेती अपनाकर आमदनी बढ़ायें – टमाटर वर्ष भर उगाया जा सकता हैं तथा इसका उत्पादन करना बहुत सरल हैं। टमाटर का उपयोग सब्जी सूप ,सलाद, अचार ,केचप, फ्यूरी, एवं सास बनाने में किया जाता हैं। यह विटमिन ए.बी. और सी. का अच्छा स्त्रोत हैं। इसके उपयोग से कब्ज दूर होता है।

भूमि का चुनाव

बलुई-दुमट मिटटी जिसमें जल निकास अच्छा हो टमाटर की खेती के लिये उपयुक्त होती हैं। भूमि का पी.एच.मान 6 से 7 तक होना चाहिये ।

भूमि की तैयारी

दो या तीन बार जुताई करने के बाद बखर चलाकर मिटटी को अच्छी तरह से भुरभुरी बना लेना चाहिये।तथा पाटा लगाकर खेत को सममतल बना लेना चाहिये।

जातियां

लक्ष्मी 5005, सुपर लक्ष्मी, काशी अमृत, काशी अनुपम, काशी विशेष, पुसा सदाबहार, अर्का सौरभ, अर्का विकास, अर्का आभा, अर्का विशाल, जवाहर टमाटर-99.

फसल चक्र

  • भिण्डी -टमाटर – खीरा,
  • बरबटी-टमाटर -करेला,
  • खीरा -टमाटर -लौकी

बीज एवं बीजोपचार

टमाटर का बीज 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से लगता हैं। नर्सरी में बीज बोने के पूर्व थायरम या डायथेन एम-45 नामक 3 ग्राम दवा की प्रति किलो ग्राम के बीज की दर से उपचारित करें ।

रोपणी तैयार करना

पौधशाला की मिट्टी को कीटाणु एवं रोगाणु रहित करना अति आवश्यक है। इसके लिये क्यारियों को सौर ऊर्जा से उपचारित करें। इसमें तैयार क्यारियो (3.5 मी. ग 1.0 मी.) को पोलीथिन शीट से ढंककर करीब 20 से 25 दिन तक रखें। बोवाई के 10 दिन पहले प्रत्येक क्यारियों में 10-20 किलो ग्राम अच्छी सड़ी गोबर की खाद तथा 500 ग्राम 15ः15ः15 सकुल उर्वरक डालिये। नर्सरी क्यारियों में कतार से कतार 10 से.मी. और बीज की दूरी 5 से.मी. (कतार में) रखते हुये एक इंच की गहराई पर बीज को बोयें। बोवाई के बाद क्यारियों को कांस अथवा सूखे पुआल से ढंक दे। इसके तुरंत बाद सिंचाई करना चाहिये । आवश्यतानुसार सिंचाई और पौध संरक्षण करते रहना चाहिये।

पौध रोपाई

अच्छी तरह तैयार खेत में सांयकालीन समय में कतार से कतार 60 से.मी. तथा पौधे से पौधे 30-45 से.मी. दूरी रखते हुये रोपाई करें तथा सिंचाई करें।

खाद एवं उर्वरक

200-250 क्विंटल अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर खाद 50 किलो स्फुर तथा 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टर की दर से खेत की तैयारी करते समय डाल देना चाहिये। नत्रजन 100 किलो जिसकी एक तिहाई मात्रा पौधा लगाने के पूर्व तथा बाकी दो तिहाई पौधा लगाने के बाद दो बार में 20 दिन तथा 40 दिन बाद डालना चाहिये। वर्षा ़ऋतु में नत्रजन की पूरी मात्रा पौधे लगाने के बाद दो बार में 15 दिन तथा 45 दिन बाद डाल देना चाहिये।

सिंचाई

टमाटर की फसल में आवश्यकता होने पर हल्की सिंचाई करें, आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। वर्षा ऋतु में सामान्य वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नही पड़ती हैं। ठण्ड के दिनों 10-12 दिनों के अंतर से तथा गर्मी में 5-6 दिनों के अतंराल पर सिंचाई करना चाहिये। यदि पाला पड़ने की सम्भावना हो तो खेत की आवश्यक रूप से सिंचाई करें।

निदाई गुड़ाई

खेत को खरपतवारों से साफ रखने तथा फसल वृद्धि के लिये निंदाई गुड़ाई आवश्यक हेै। परन्तु यह गुड़ाई करते समय ध्यान रखे कि गुड़ाई उथली हो जिससे पौधे की जड़ों को नुकसान न हो। रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडिमेथालिन 1.0 किग्रा ए.आई./हेक्टेयर या फ्लुक्लोरालिन 1.0 किग्रा ए.आई./हेक्टेयर को उद्भव पूर्वशाकनाशी के रूप में प्रयोग करें, इसके बाद रोपण के 30 दिन बाद एक बार हाथ से निराई करें।

अन्य कार्य

बरसात मे फलों को सड़ने से बचाने के लिये पौधों को बांस या लकड़ी के सहारे जमीन से ऊपर रखते हैं। पŸिायों पर कैल्सियम अथवा मैग्नीशियम सल्फेट के 0.3 प्रतिशत छिड़काव करने से फल कम फटते हैं। छिड़काव पौधे लगाने के एक महीने बाद दो बार 15 दिन के अंतर से करना चाहिये।

फल तुड़ाई

टमाटर के फलों की तुड़ाई उसके उपयोग के अनुसार करना चाहिये।

(1) परिपक्व हरे फलों को दूर बाजार में भेजने के लिये तोड़ना चाहिये।

(2) पिंक स्टेज के फलों को लोकल बाजार में भेजने के लिये तोड़ना चाहिये।

(3) पके फलों को घर में उपयोग के लिये तोड़ना चाहिये।

(4) पूरी तरह पके फलों को तभी तोड़े जब फल 24 घण्टे में सरंक्षित पदार्थ बनाने में उपयोग हो।

उपज

टमाटर की उपज, किस्म, भूमि के प्रकार, सिंचाई, रोपाई के समय, पौध संरक्षण और कीट एवं बीमारियों के प्रकोप पर निर्भर करती है। समान्यतः टमाटर की औसतन उपज 200-300 विंवटल प्रति हेक्टर मिलती है।

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