राज्य कृषि समाचार (State News)

नरवाई जलाना खेती के लिए नुकसानदेह

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02 मई 2024, राजगढ़: नरवाई जलाना खेती के लिए नुकसानदेह – राजगढ़ के उप संचालक कृषि द्वारा जिले के कृषकों से अपील की गई है कि गेहूं की फसल काटने के बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) जलाना खेती के लिये नुकसानदेह कदम है। कटाई के पश्चात् सामान्य तौर पर बचे हुए फसल अवशेष में आग लगा देने से कई अप्रिय घटना के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण तथा मिट्टी की संरचना भी प्रभावित होती है।

मिट्टी की संरचना प्रभावित – उप संचालक कृषि श्री हरीश मालवीय ने बताया कि जिले में गेहूं फसल की कटाई कम्बाईन हार्वेस्टर, रीपर एवं अन्य साधनों से की जा रही है। कटाई के पश्चात सामान्य तौर पर बचे हुए फसल अवशेष में आग लगा देने से कई अप्रिय घटना के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण तथा मिट्टी की संरचना भी प्रभावित होती है।  श्री मालवीय ने बताया जिले में नरवाई में आग लगाना प्रतिबंधित किया गया है। कोई भी व्यक्ति यदि खेत में नरवाई में आग लगाते पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में 2 एकड़ से कम भूमि रखने वाले को 2500 रूपये प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देना होगी। 2 एकड़ से अधिक किन्तु 5 एकड़ से कम भूमि रखने वाले को 5000 रूपये तथा  5 एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले को 15000 रूपये प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि की भरपाई करना होगी। उप संचालक कृषि ने किसानों को सलाह दी है कि कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई के उपरांत फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं को देखते हुए कटाई में कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम या स्ट्रॉ रीपर का उपयोग करके फसल अवशेषों से भूसा प्राप्त किया जा सकता है।

खेत में फसलों के कृषि अपशिष्टों को जलाने से होने वाली हानियां –  भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है। भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है। सूक्ष्मजीवों को नष्ट होने के फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है। भूमि की ऊपरी परत में ही पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहते हैं। आग लगने के कारण पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। भूमि कठोर हो जाती है। जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम होने से फसलें सूखती है। खेत की सीमा पर लगे पेड़ पौधे (फल, वृक्ष आदि) जलकर नष्ट हो जाते हैं। पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है। वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है, जिससे धरती गर्म होती है। भूमि में होने वाली रासायनिक क्रियाएं भी प्रभावित होती है, जैसे कार्बन, नाइट्रोजन एवं कार्बन-फास्फोरस का अनुपात बिगड़ जाता है। जिससे पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में कठिनाई होती है। केंचुए नष्ट हो जाते हैं। इस कारण भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। नरवाई जलाने से जन धन की हानि होती है। अत: नुकसान से बचने के लिये किसान  फसल अवशेष में आग न लगाएं।

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