ट्रैक्टर का रखरखाव एवं सावधानियाँ
10 मई 2024, नई दिल्ली: ट्रैक्टर का रखरखाव एवं सावधानियाँ – ट्रैक्टर एक बहुत ही उपयोगी शक्ति का साधन है तथा इसमें लागत भी काफी ज्यादा लगती है जो कि किसानों को हर स्तर पर काम आता है। अत: इसकी देखभाल भी समय-समय पर करनी चाहिए। इससे यह लम्बे समय तक कार्य करता है, कोई बाधा भी नहीं आती तथा यह जल्दी खऱाब भी नहीं होता है। ट्रैक्टर का रख रखाव प्रतिदिन, साप्ताहिक, एवं मासिक रूप से करना चाहिए।
ट्रैक्टर चालन से जुड़ी कुछ खास बातें
एअर फिल्टर
इसका मुख्य कार्य इंजन में जाने वाली हवा की सफाई करना होता है । चूँकि खेत की हवा में बहुत धूल के कण तथा खरपतवार के छोटे टुकड़ों के कण भी होते हैं। जिन्हें इंजन में जाने से पहले साफ करना जरुरी होता है।
इसकी यूं विशेषता आप समझ सकते हंै कि एक लीटर डीजल के लिए इसको 9 हजार लीटर हवा साफ करनी पड़ती है। अगर सफाई अच्छी एवं समय पर न हो तो इंजन को नुकसान पहुँच सकता है, लगभग सभी ट्रैक्टर कम्पनियाँ इसके नियमित साफ सफाई की सिफारिश करती हैं। आजकल सभी ट्रैक्टर में तेल (आयल) बाथ हवा सफाई (एयर क्लीनर) तंत्र होता है। इसमें हवा तेल में से होकर गुजरती है जिससे कि छोटे कण तथा अन्य गन्दगी तेल के द्वारा जज्ब हो जाते हैं ।
अत: तेल को एक हफ़्ते में बदल दें। अगर तेल की तली पर 5 मिलीमीटर से ज्य़ादा धूल के कण जमा हैं हो तो इसे अवश्य ही बदल दें तथा इस फिल्टर की सफाई 125 से 250 घंटे काम करने के बाद अच्छी तरह से डीजल से धोकर करें।
क्रैंककेस में भी धूल के कण तेल में मिल जाते हैं। अत: इसकी भी समय-समय पर सफाई कर लें। इस से इंजन अच्छी तरह से काम करेगा एवं इंजन अधिक समय तक सही रहेगा।
फ्यूल ऑपरेशन सिस्टम
इस तंत्र के तहत ईंधन टैंक, पाईप, पंप तथा इंजेक्टर आते हैं जिनका मुख्य कार्य टैंक से ईंधन को उचित समय, दबाव युक्त करके नोज़ल द्वारा पिस्टन के ऊपर या कम्प्रेसन चेम्बर में पहुँचाना होता है। कहा तो यह भी जाता है कि प्रत्येक 200 घंटे कार्य के बाद ही टैंक एवं सभी हिस्सों को बढिय़ा से सफाई कर लेनी चाहिए।
ईंधन को प्रत्येक दिन, कार्य के बाद पूरी तरह से भर लेना चाहिए, क्योंकि यह आंशिक या पूरी तरह से खाली रहता है तो इसमें मौजूद हवा रात में कम तापमान होने पर इसकी आर्द्रता जल में परिवर्तित हो जायेगी तथा यह तेल की तली में इकठ्ठी हो जाएगी एवं इस ईंधन तंत्र के अलग-अलग भागों में पहुँच कर उन्हें नुकसान पंहुचा सकती है। इसके फि़ल्टर को हमेशा साफ-सफाई के साथ बदलें।
कूलेंट
किसी भी आंतरिक दहन (ढ्ढष्ट) इंजन को ईंधन के जलने से ही शक्ति मिलती है, लेकिन पावर स्ट्रोक के दौरान सिलिंडर का तापमान लगभग 1600एष्ट तक पहुंच जाता है जोकि इंजन के किसी भी हिस्से को गला (नुकसान) सकता है, इसलिए इंजन का तापमान प्रबंधन बहुत ही जरुरी है।
तापमान का अत्यधिक कम या ज्यादा होना दोनों ही स्थिति, इंजन के कार्य क्षमता को प्रभावित करती है। अत: इंजन के कूलेंट का तापमान 80-90एष्ट ही उचित माना जाता है। ट्रैक्टर में तापमान प्रबंधन दो तरह से किया जाता है हवा और द्रव प्रवाह द्वारा।
एयर कूल्ड प्रणाली
इस तरह के शीतलन प्रणाली में हवा की सफाई पर विशेष ध्यान रखा जाता है। इसमें वाटर पंप, रेडीयेटर, वाटर जैकेट, थर्मोस्टेट वाल्व, होज पाइप आदि की आवश्यकता नहीं होती है। इसका भार भी कम होता है, और जगह भी आवश्यकता कम होती है। लेकिन इसमें असमान शीतलन होता है और कार्य के दौरान इंजन का तापमान अधिक भी हो जाता है।
वाटर कूल्ड सिस्टम
वॉटर कूल्ड सिस्टम का प्रयोग होता है। इस तंत्र के मुख्य भाग वाटर पंप, रेडीयेटर, फैन, फैन बेल्ट, वाटर जैकेट, थर्मोस्टेट वाल्व, तापमान मापक, होज पाइप हैं।
इस प्रकार के कूलिंग सिस्टम में तरल पदार्थ इंजन के सिलिंडर के चारों ओर प्रवाहित किया जाता है, जो इंजन के तापमान को कम करता है। इस गर्म तरल पदार्थ या जल को रेडीयेटर के द्वारा ठंडा किया जाता है। लेकिन इस प्रणाली में जल का वितरण पाइप में नमक/चूना (स्केल) या बाहरी गंदगी के जम जाने के कारण बाधित हो सकता है और इंजन के तापमान बढऩे का कारण बनता है।
नियमित अंतराल पर कूलिंग सिस्टम की सफाई करते रहें। इसके लिए एक किलो धोने का सोडा और आधा लीटर किरोसिन के तेल का 10 किलो पानी में मिलाकर एक घोल तैयार करें। रेडीयेटर में इस घोल को भरकर 8-10 घंटे तक छोड़ दें फिर मध्यम गति पर इंजन को चलायें, जब इंजन 15-20 मिनट के लिए चल जाये तो इस घोल को बाहर निकाल कर, रेडीयेटर को साफ पानी से धोयें।
लुब्रिकेशन सिस्टम
लुब्रिकेशन तंत्र का भी ट्रैक्टर चालन में अहम् योगदान है, इसके प्रमुख कार्य हैं। ट्रैक्टर के पिस्टन, सिलिंडर, बियरिंग्स में रगड़ से उत्पन्न ताप को कूलिंग के माध्यम से नियंत्रित करना एवं इनके बीच की रगड़ को कम करना।
लुब्रिकेंट्स सिलिंडर लाइनर, पिस्टन एवं पिस्टन रिंग में सीलिंग का काम करता है, ताकि सिलिंडर से गैस बाहर ना निकल जाये। लुब्रिकेंट्स ट्रैक्टर के इंजन से धूलकण और कार्बन कणों को अवशोषित कर अपने साथ बाहर निकाल इंजन की सफाई भी करता है।
द्य लुब्रिकेशन तंत्र में सही ग्रेड के तेल का ही प्रयोग करें, नहीं तो ये नुकसानदेह हो सकता है।
द्य लुब्रिकेशन तंत्र में तेल का स्तर, तेल स्तर गेज के ऊपरी और निचली रेखा के बीच ही हो।
द्य लुब्रिकेशन तंत्र में प्रयुक्त तेल को नियमित अंतराल पर बदल दें।
द्य पुराने फिल्टर्स का गन्दा होने पर इसे नए फिल्टर्स से बदल दें।
द्य लुब्रिकेशन तंत्र के पाइप, वाल्व, दबाव मापक की जाँच नियमित अंतराल पर करते रहें।
कूलिंग सिस्टम की तैयारी
द्य साफ और ताजा पानी ही रेडीयेटर में भरा जाना चाहिए एवं पानी को उपयुक्त तल तक हमेशा बनाये रखें।
द्य रेडीयेटर में नमक/चूना मुक्त जल का ही उपयोग करें, ताकि पाइप में स्केल न जम जाये।
द्य पुराने तथा गले और मुलायम हो चुके पाइप का प्रयोग नहीं करें।
द्य फैन/पंप के ङ्क-बेल्ट में 15 मिली मीटर से ज्यादा झुकाव नहीं हो, अगर इससे ज्यादा झुकाव हो तो इसे तुरंत कसें।
द्य अधिक गर्म इंजन में तुरंत ठंडा पानी नहीं डालें, नहीं तो सिलिंडर के दीवार में सुराख़ हो सकता है।
बैटरी
द्य बैटरी के इलेक्ट्रोलाइट को उपयुक्त अंतराल पर जांचना चाहिए। यदि विशिष्ट गुरुत्व 1.225 से कम हो तो इसे चार्ज किया जाना चाहिए।
द्य बैटरी में इलेक्ट्रोलाइट का स्तर बैटरी प्लेटों से 12 से 14 मि मी ऊपर ही होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है, तो बैटरी में डिस्टिल्ड वाटर डालें।
द्य बैटरी के ऊपरी सतह को साफ और सूखा रखें।
द्य बैटरी के क्लैम्प और टर्मिनलों को अधिक नहीं कसें।
द्य बैटरी के टर्मिनलों को निरंतर साफ करते रहें।
द्य बैटरी को अधिक चार्ज नहीं करें।
सुरक्षित ट्रैक्टर संचालन की खास बातें
द्य क्लच पेडल पर पैर रख कर न चलायें ।
द्य इंजन को कभी भी क्षमता से ज्यादा लोड न करें।
द्य बेयरिंग को उचित मात्रा में ही चिकनाई दें।
द्य किसी भी झटके से बचने के लिए क्लच पेडल को धीरे-धीरे छोड़ें।
द्य ट्रांसमिशन केस से तेल तभी निकालें जब इंजन गर्म हो।
द्य हमेशा टायर में हवा के दबाव को निर्माता द्वारा दिए हिदायत के अनुसार रखें।
द्य सामान्यत: खेत में कार्य करते समय टायर प्रेसर कम तथा रोड पर थोड़ा अधिक रखें।
द्य ट्रैक्टर चलाते समय टायर को अधिक स्लिप पर न चलाएं।
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
To view e-paper online click below link: https://www.krishakjagat.org/kj_epaper/Detail.php?Issue_no=36&Edition=mp&IssueDate=2024-05-06
To visit Hindi website click below link:
To visit English website click below link: