मोटे अनाज की खेती की तैयारी में जुटा बिहार कृषि विभाग
10 मई 2024, पटना: मोटे अनाज की खेती की तैयारी में जुटा बिहार कृषि विभाग – सोशल मीडिया प्लेटफार्म X के माध्यम से बिहार कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान (BAMETI) ने ट्वीट कर जानकारी साझा की, “लोगों की थाली में अब मोटे अनाज से बने व्यंजन भरे होंगे। @Agribih ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। धान, गेहूं की तुलना में मोटे अनाज के फसलों में सिंचाई, उर्वरक व मजदूरी में खर्च कम होता है तथा उत्पादन अधिक होता है।”
मोतिहारी जिले के किसान अब न्यूट्री सीरियल (मिलेट्स) की खेती करेंगे। खाद्य एवं पोषण सुरक्षा (कृषोन्नति योजना कार्यक्रम के तहत) में ज्वार, बाजरा, मरूआ, कोदो और सावा की खेती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस खेती के लिए विभाग ने किसानों को शत प्रतिशत अनुदान पर बीज प्रदान करने का निर्णय लिया है।
इसके साथ ही, ब्लॉक स्तर पर विभिन्न घटकों के बीज वितरण के लक्ष्य को ब्लॉक स्तर पर विभाजित किया जा रहा है। जिले के ब्लॉक स्तर पर लक्ष्य के अनुरूप पंचायतवार लक्ष्यों के विस्तार के लिए, जिला अधिकारी ने सभी ब्लॉक अधिकारी को निर्देश दिया है।
कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार के माध्यम से, विभाग योजना के कार्यान्वयन में सहायता करेगा। मिलेट्स की खेती को कलस्टर में करने का निर्देश दिया गया है, जहाँ प्रत्येक कलस्टर का क्षेत्रफल करीब 25 एकड़ होगा। किसी भी राजस्व ग्राम में कम से कम एक कलस्टर में खेती करना अनिवार्य होगा।
इसके साथ ही, लाभार्थियों के चयन में आरक्षण रोस्टर भी निर्धारित किया गया है। इसमें सामान्य जाति का 78.60 प्रतिशत, एससी – 20 प्रतिशत और एसटी 01.40 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। जिला कृषि सलाहकार डॉ. मुकेश कुमार ने बताया कि न्यूट्री सीरियल में कोदो, सांवां, सामी, गुंदली, ब्राउन टॉप मिलेट, मडुवा, ज्वार, बाजरा आदि मुख्य रुप से आते हैं, जो खनिज लवण, विटामिंस और प्रोटीन में समृद्ध होते हैं। इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण भी ये अधिक गुणकारी होते हैं और इनमें ग्लूटेन भी नहीं होता। इसलिए, ये चावल, गेहूं और मक्के की तुलना में अधिक पोषक और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। मिथेन गैस के उत्सर्जन को भी कम करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
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