निमाड़ में बोन्साई नारियल की संभावनाएं
20 अप्रैल 2022, इंदौर । निमाड़ में बोन्साई नारियल की संभावनाएं – यूँ तो नारियल दक्षिण भारत की फसल है , लेकिन इसे अन्य राज्यों में भी उगाया जाने लगा है। मां नर्मदा नर्सरी बालसमुद जिला खरगोन के श्री दिनेश पाटीदार के इस वीडियो में बोन्साई नारियल के उत्पादन की जानकारी दी गई है। वीडियो के अनुसार इस बोन्साई किस्म में ज़मीन से 1 -2 फ़ीट की ऊंचाई पर 3 से 5 साल के बीच फल लगना शुरू हो जाते हैं। एक बंच पर करीब 50 फल लगते हैं और एक पौधे पर 10 बंच लगना शुरू हो जाते हैं ,जो 250 फल से लेकर 5 से 10 साल में प्रति पौधे पर 1000 फल तक लग सकते हैं। खेती करने के लिए अच्छी किस्म है। बीच की जगह में 5 साल तक अंतरवर्तीय फसल के रूप में मक्का या अन्य सब्जियां भी ली जा सकती है।
इस बारे में श्री दिनेश पाटीदार ने कृषक जगत को बताया कि वीडियो में दिखाया गया नारियल का पौधा जूनागढ़ (गुजरात ) की नर्सरी का है। यह किस्म पश्चिम बंगाल के चौबीस परगना जिले से लाई गई है , जो मूलतः थाईलैंड की किस्म है , जिसे वहां मल्टीप्लाय कर तैयार किया जाता है। इसी तरह ड्रैगन फ्रूट , कश्मीरी एपल बेर , सीडलेस बेर भी वहां तैयार किए गए हैं। नारियल के ये पौधे महाराष्ट्र के शोलापुर, कोल्हापुर ,गोवा,आंध्र प्रदेश और गुजरात के जूनागढ़ आदि में लगाए गए हैं।
श्री पाटीदार ने कहा कि जूनागढ़ में जिन किसानों ने इसे लगाया उनसे मिले और प्रत्यक्ष प्रदर्शन में पाया कि वहां की लाल,काली और रेतीली ज़मीन ,तापमान और पानी निमाड़ के अनुरूप ही है। अतः निमाड़ में भी नारियल की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। गुजरात में गर्मी के दो माह में लू चलने से पराग सूख जाता है , इसलिए इन दो माह को छोड़कर वर्ष के शेष दस माह नारियल के पौधों में स्वतः परागण से क्रॉस होता है,जिससे पहले फूल और फिर फल निकलने लगते हैं। बालसमुद के पास ग्राम अकबरपुर में किसानों द्वारा नारियल के 250 और ग्राम रजूर में 100 पौधे करीब एक माह पूर्व ही लगाए गए हैं।
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