पशुपालन (Animal Husbandry)

कुक्कुट की पोषण संबंधी आवश्यकताएं एवं कम लागत में आहार गणना

Share

डॉ. अरविन्द कुमार नंदनवार; डॉ. सेवक ढेंगे, सहायक प्राध्यापक; रानी अवंती बाई लोधी कृषि महाविद्यालय, छुईखदान (छग)

मुर्गीपालन पर वस्तु परख अध्ययन

22 अप्रैल 2024, भोपाल: कुक्कुट की पोषण संबंधी आवश्यकताएं एवं कम लागत में आहार गणना – मांस एवं अंडे हेतु व्यवसायिक कुक्कुट पालन गहन उत्पादन प्रणाली में किया जा रहा हैं। इसके विपरीत मुक्त सीमा प्रणाली या व्यापक विधि सबसे पुरानी है और सदियों से इसका उपयोग किया जा रहा है। साथ ही साथ अर्थ गहन प्रणाली का क्षेत्र सीमित है और इस प्रणाली में उन्नत देसी मुर्गियों और बतखों को पाला जाता है। व्यापक विधि में पाले जाने वाली मुर्गियों की संख्या निम्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे- मुर्गियों के आकार, प्रकार, सफाई क्षेत्र एवं उपलब्ध आहार संसाधन आदि।

आहार में पोषक तत्व की महत्ता

ऊर्जा और प्रोटीन मुर्गी आहार के दो प्रमुख पोषक तत्व है। ऊर्जा की आवश्यकता सभी जैविक गतिविधियों (जैसे- गति, चलना, श्वसन, दिल की धड़कन एवं हाँफना आदि), महत्वपूर्ण गतिविधियों (जैसे- ग्रहण, पाचन, अवशोषण आदि) एवं शरीर में होने वाली रासायनिक गतिविधियों (जैसे- प्रोटीन, वसा, ग्लाइकोजन आदि का संश्लेषण) के लिए होता है साथ ही साथ ऊर्जा, शरीर के संरचनात्मक घटक जैसे प्रोटीन एवं वसा या ग्लाइकोजन जैसे स्रोतों के रूप में संचित रहती है और जब कभी महत्वपूर्ण या रासायनिक गतिविधियों में ऊर्जा की आवश्यकता होती है तब शरीर में उपस्थित इन्हीं एकत्रित स्रोतों का उपयोग किया जाता है। आहार में उपस्थित ऊर्जा को कैलोरी या जूल के रूप में व्यक्त किया जाता है। एक किलो कैलोरी 4.184 किलो जूल के बराबर होती है। शरीर में ऊर्जा की आवश्यकताओं को चयापचय ऊर्जा के रूप में व्यक्त किया जाता है।

दूसरा महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रोटीन है जो शरीर के संरचनात्मक कार्यों, मांसपेशियों के संकुचन, पोषक तत्वों और ऑक्सीजन के परिवहन, एसिड बेस संतुलन, रासायनिक प्रतिक्रियाओं में उत्प्रेरक, प्रतिरक्षा क्षमता, रासायनिक विनिमय, हार्मोन्स, रक्त का थक्का जमना, वृद्धि और उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कुक्कुट को प्रोटीन संश्लेषण और अन्य जैविक कार्यों के लिए सभी 20 अमीनो अम्लों की आवश्यकता होती है। सामान्य वृद्धि एवं उत्पादक कार्यों के लिए शरीर को आवश्यक अमीनो अम्ल की आवश्यकता होती है। यह आवश्यक अमीनो अम्ल शरीर में संश्लेषित नहीं होते हैं इसलिए आहार के माध्यम से इन अमीनो अम्लों की पूर्ति की जाती है। आवश्यक अमीनो अम्ल जैसे हिस्ट्रीडायन, आइसोलुएसीन, लायसिन, मेथिओनीन आदि।

सीमित अमीनो अम्ल वे आवश्यक अमीनो अम्ल है जिनकी आमतौर पर आहार में कमी होती है। मांस उत्पादन हेतु मुर्गियों में मेथिओनीन प्रथम सीमित अमीनो अम्ल है। थ्रिओनिन ब्रायलर एवं लेयर कुक्कुट में क्रमश: तृतीय और प्रथम सीमित अमीनो अम्ल है। आदर्श प्रोटीन अवधारणा के अनुसार उच्च वृद्धि एवं उत्पादन हेतु नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की कमी को कम करके वैकल्पिक प्रोटीन स्रोतों के रूप में सुपाच्य अमीनो अम्ल को शामिल किया जा सकता है।

मुर्गी आहार का लगभग 60 से 70 प्रतिशत भाग ऊर्जा के रूप में होता है जिससे आहार निर्माण के समय आहार लागत को कम करने और अधिक मात्रा में उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऊर्जा युक्त आहार को दो भागों में विभाजित किया गया है। उच्च ऊर्जा के स्रोत जैसे मक्का, गेहूं, कनकी, ज्वार, वसा एवं तेल आदि तथा बाजरा एवं छोटे अन्य बाजरा, पॉलिश चावल, चोकर, तेल रहित चावल की भूसी, गेहूं की भूसी, गुड आदि निम्न ऊर्जा के स्रोत में शामिल है। इन स्रोतों में से मक्का, मुर्गी आहार का प्रमुख स्रोत है। अगर कम दामों में मक्का के अलावा अन्य स्रोत उपलब्ध हो तो इनका भी प्रयोग मुख्य स्रोत के रूप में किया जा सकता है।

भुना हुआ पूर्ण वसा युक्त सोयाबीन ब्रायलर मुर्गी के लिए बहुत अच्छा प्रोटीन और वसा का स्रोत है। पशु प्रोटीन में मछली, घुलनशील मांस सह हड्डी, रक्त और मुर्गी उत्पाद जैसे स्रोत शामिल है। इनमें से मछली आहार सबसे उत्तम है इसके साथ ही साथ सिंथेटिक अमीनो अम्ल जैसे एल लाइसिन हाइड्रोक्लोराइड, डी एल मेथिओनिन आदि बाजार में उपलब्ध है।

खनिज लवणों की आपूर्ति मुर्गी के आहार में दो तरीकों से की जाती है। तैयार खनिज लवणों के माध्यम से या विशिष्ट खनिज लवणों से खनिज मिश्रण बाजार में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध है या इसे मिश्रित किया जा सकता है। मुर्गी आहार में कैल्शियम स्रोत के रूप में कैल्शियम कार्बोनेट, आयस्टर शेल, संगमरमर आदि का उपयोग किया जाता है। आहार में कैल्शियम एवं फास्फोरस स्त्रोत के रूप में डाई कैल्शियम, मोनो कैल्शियम आदि का उपयोग किया जाता है। आहार में सोडियम एवं क्लोरीन स्रोत के रूप में साधारण नमक का उपयोग किया जाता है। सूक्ष्म खनिज मिश्रण जैसे कॉपर, जिंक, आयरन, मैंगनीज आदि को प्रीमिक्स के रूप में उपयोग किया जाता है। जैविक सूक्ष्म खनिज मिश्रण व्यवसायिक तौर पर बाजार में उपलब्ध है  और उनकी जैव उपलब्धता काफी बेहतर होती है।

मुर्गी आहार का एक अन्य महत्वपूर्ण भाग विटामिन है। आहार में विटामिन की पूर्ति मिश्रण द्वारा आहार में मिश्रित करके या अकेले विटामिन के माध्यम से पूर्ति की जाती है। बाजार में उपलब्ध विटामिन दो प्रकार के होते हैं। पहले पानी में घुलनशील विटामिन जैसे सभी प्रकार के बी विटामिन एवं विटामिन सी (7.5 से 25 ग्राम प्रति क्विंटल आहार में) एवं दूसरा पानी में अघुलनशील विटामिन जैसे विटामिन ए, के, डी 3 और ई (5 से 15 ग्राम प्रति क्विंटल आहार में) दिया जा सकता है।

पूरक आहार

मुर्गी आहार में पोषक तत्वों के अलावा कुछ अन्य तत्व भी मिलाये जाते हैं जिससे संक्रामक रोगों से संक्रमण रोकने या संक्रमण कम करने में मदद मिलती है साथ ही साथ पाचन शक्ति को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आहार में कम मात्रा में एंटीबायोटिक का उपयोग विश्व भर में 50 वर्षों से निरंतर चला आ रहा है। इसके उपयोग से ब्रायलर कुक्कुट में शारीरिक वृद्धि एवं आहार का मांस में रूपांतरण अनुपात में बढ़त देखी गई है साथ ही साथ अंडे देने वाले कुक्कुट में अंडे उत्पादन में वृद्धि होती है। कभी-कभी आहार में प्रीबायोटिक और प्रोबायोटिक जो की जीवित जीवाणु एवं ईस्ट का मिश्रण है, का उपयोग सूक्ष्मजीवों की कॉलोनी को बनने से रोकने के लिए किया जाता है। आहार में एंजाइम का उपयोग पोषक तत्वों को अवशोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा मुर्गी आहार में कोक्सीडीओसिस के जीवाणुओं को रोकने के लिए कोक्सीडीओस्टेट  का उपयोग किया जाता है।

पोषक तत्वों की आवश्यकताएं

ब्यूरो ऑफ  इंडियन स्टैंडर्ड (बी आई एस 1992) मानक अनुसार वर्तमान समय में आहार में उपस्थित पोषक तत्वों की आवश्यकताएं पूरी नहीं हो सकती है क्योंकि प्रबंधन, वातावरण का तापमान, शरीर की आंतरिक संरचनाएं, चयापचय क्रियाएं आदि परिवर्तनीय है। आहार में पोषक तत्वों की आवश्यकताएं (बीआईएस 1992 के अनुसार) बहुत पुरानी है और वर्तमान समय में मुर्गी आहार व्यवसायिक आधार की गणना अनुसार चल रहा है। हाल ही में कुक्कुट के पोषक तत्वों की गणना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा की जा रही है।

ब्रायलर कुक्कुट की दो अवस्था होती है जैसे स्टार्टर (0 से 3 सप्ताह तक) एवं फिनिशर (4 से 6 सप्ताह तक)। दिन प्रतिदिन ब्रायलर की विभिन्न अवस्थाओं में विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकताएं प्रतिदिन वजन दर और चयापचय क्रियाओं के आधार पर होती है।

अंडे देने वाली मुर्गी या लेयर की मुख्य तीन अवस्था होती है जैसे स्टार्टर (0 से 8 सप्ताह), ग्रोवर (8 से 20 सप्ताह) एवं लेयर (20 सप्ताह से अधिक)। अंडे देने वाली मुर्गियां एवं अंडे देने से पहले उम्र वाले कुक्कुट (20 सप्ताह के करीब) के आहार में मुख्य रूप से कैल्शियम की आवश्यकता होती है। अंडे देने की प्रक्रिया को दो अवस्थाओं में बांटा गया है। पहली अवस्था (20 से 30 सप्ताह) एवं दूसरी अवस्था (30 सप्ताह से अधिक)। अंडे देने वाली मुर्गी को प्रतिदिन 16 से 18 ग्राम प्रोटीन एवं 285 से 290 किलो चयापचय ऊर्जा की आवश्यकता होती है। वृद्धि एवं विकास के लिए आहार में कैल्शियम की आवश्यकता होती है पर अंडे देने की अवस्था में यह आहार में बहुत जरूरी होता है। अंडे देने वाली मुर्गियां को प्रतिदिन 3.8 से 4.2 ग्राम कैल्शियम आहार के माध्यम से पूर्ति हो।

आहार तैयार करना

संतुलित आहार तैयार करना एक गणितीय प्रक्रिया है जिसके द्वारा तैयार आहार अपना अधिकतम प्रदर्शन प्रदर्शित कर सके एवं कुक्कुट कम लागत में एवं बिना किसी तनाव के आसानी से पाला जा सके।

पोषक तत्वों की आवश्यकताएं – विभिन्न वर्गों के कुक्कुटों के आहार में आवश्यक पोषक तत्व जैसे ऊर्जा, प्रोटीन, अमीनो अम्ल, खनिज लवण एवं विटामिन की आवश्यकता होती है।
आहार संगठन का मूल्य – कुक्कुट के आहार में उपस्थित पोषक तत्वों का आकलन आहार में उपस्थित विभिन्न सामग्री या अवयव पर निर्भर करता है परंतु आहार में उपस्थित विभिन्न सामग्री के पोषक तत्वों का आकलन करना मुश्किल है। अत: आहार की गुणवत्ता को अच्छा बनाकर पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है। आहार में उपस्थित विभिन्न सामग्री के पोषक तत्वों को पहले से प्रकाशित आहार संगठन के आधार पर आकलन कर उपयोग में लाया जा सकता है।

स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्रियों का उपयोग कम से कम लागत में करके अच्छा आहार मिश्रण बनाया जा सकता है परंतु इन सामग्रियों में कुछ पोषक विरोधी पदार्थ होते हैं। जिससे पोषक तत्वों का संतुलन आहार स्वाद में कमी एवं कुक्कुट के प्रदर्शन में कमी आती है। आहार में यदि सीमा से अधिक पोषक विरोधी पदार्थ उपस्थित हो तो कुक्कुट बीमार पड़ जाते हैं।

आहार सामग्री की उपलब्धता एवं लागत

संतुलित आहार बनाने हेतु स्थानीय बाजार में उपलब्ध आहार सामग्री की उपलब्धता और उसकी लागत का ज्ञान होना आवश्यक है। आहार सामग्री के गुणवत्ता एवं लागत आज के समय में विचार का विषय है। आहार सामग्री की लागत सामग्री में उपस्थित प्रोटीन एवं ऊर्जा पर निर्भर करती है। यदि हम अच्छी गुणवत्ता वाले सामग्री का उपयोग आहार बनाने में करते हैं तो उसकी लागत काफी अधिक होती है।

आहार तैयार करने की विधियां

निम्न विधियों द्वारा आहार तैयार किया जा सकता है जैसे एलजेब्रलिक इक्वेशन, पियर्सन स्क्वायर, हिट एंड ट्रायल विधि एवं लीस्ट कॉस्ट फॉर्मूलेशन।

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

Share
Advertisements