Animal Husbandry (पशुपालन)

देपालपुर में लम्पी वायरस की दस्तक, सावधानी की दरकार

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(शैलेष ठाकुर, देपालपुर )

1 सितम्बर 2022, देपालपुर में लम्पी वायरस की दस्तक, सावधानी की दरकार –  देपालपुर में लम्पी वायरस की दस्तक हो गई है। एक किसान की 3 -4  गायों में इसके लक्षण देखे गए हैं। हर मंगलवार को देपालपुर में राष्ट्रीय स्तर का पशु हाट लगता है। उसमें राजस्थान से भी गायें आती है। आशंका है कि  उनके जरिए ही यह बीमारी देपालपुर में प्रवेश कर गई है। पशु चिकित्सक ने पशुपालकों को सावधानी रखने की सलाह दी है।

देपालपुर में कृषक श्री मोतीराम ठाकुर के यहां 3  – 4  गायों में यह बीमारी आ चुकी है।श्री ठाकुर ने कृषक जगत को बताया यदि ये बीमारी क्षेत्र में फैल गई तो कई गौ माता मर जाएगी , क्योकि राजस्थान में सैकड़ों गायें इस बीमारी से अपने प्राण त्याग चुकी है । मध्यप्रदेश में भी  रतलाम, नीमच , उज्जैन आदि जिलों में भी इस बीमारी के फैलने की खबर है। यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नही किया गया तो, कई पशुपालक अपने पशुधन से हाथ धो बैठेंगे। श्री ठाकुर ने अपनी गायों के इलाज में पशु पालन विभाग से सहयोग नहीं  मिला तो मुख्यमंत्री हेल्पलाइन ,पशु चिकित्सालय मुख्यालय 1962 पर भी शिकायत की ,लेकिन कहीं से भी कोई सहयोग नहीं मिला। अंततः प्राइवेट इलाज करवाया, जिसमें 4 -5  हज़ार रुपए खर्च हो गए। पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष श्री संतोष ठाकुर ने भी कहा कि हमारे बड़े भाई की बीमार 3  -4  गायों को गठानें  व 109 डिग्री करीब बुखार था ,लेकिन पशु पालन विभाग ने सहयोग नहीं किया।शासन द्वारा जल्द ही इस ओर ध्यान नही दिया, तो बीमारी फैलेगी व किसानों के आक्रोश का सामना शासन- प्रशासन को करना पड़ेगा।

शासकीय पशु चिकित्सा केंद्र देपालपुर के पशु चिकित्सक डॉ  मिलिंद माने ने इस प्रतिनिधि को बताया कि यदि घर जाकर इलाज करते तो पीड़ित पशु  के संपर्क में आने के बाद हमारे द्वारा अन्य पशुओं के इलाज के दौरान उनमें यह बीमारी फैलने का अंदेशा रहता। अस्पताल में हम एंटीसेप्टिक स्प्रे आदि का प्रयोग करते हैं, इसीलिए गाय मालिक को  गाय को यहाँ लेकर आने को कहा था। डॉ माने ने कहा कि यह बीमारी हमारे यहां नही है, बाहर से आ रही है। लक्षण तो लम्पी वायरस के ही दिख रहे हैं। लैब टेस्ट में ही सही पता चलेगा। किसानों से अपील है कि पीड़ित पशु को अन्य पशुओं से दूर रखें। अभी पशु खरीदने -बेचने से बचें। किसी पशु हाट बाजार में ना जाएं । वहां यदि कोई पशु पीड़ित है, तो उसके मूत्र और गोबर आदि के सम्पर्क में आने से भी अन्य पशुओं में संक्रमण फ़ैल सकता है। अतः सावधानी रखें।

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