राज्य कृषि समाचार (State News)

पशुपालन शासन सचिव डॉ. शर्मा ने राज्य में “ई-पशुपालक चौपाल” का किया शुभारंभ

महात्मा गांधी व पशु कल्याण पर हुई परिचर्चा

06 अक्टूबर 2020, बीकानेर। पशुपालन शासन सचिव डॉ. शर्मा ने राज्य में “ई-पशुपालक चौपाल” का किया शुभारंभ – राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती पर वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा शुक्रवार को “ई-पशुपालक चौपाल” का विधिवत् शुभारंभ राज्य के पशुपालन शासन सचिव डॉ. राजेश शर्मा ने किया। इस अवसर पर “महात्मा गांधी और पशु कल्याण” विषय पर परिचर्चा का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम कीे अध्यक्षता वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने की । इस अवसर पर पशुपालन सचिव डॉ. शर्मा ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर “ई पशुपालन चौपाल” की शुरूआत राज्य के पशुपालन कल्याण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी। इस चौपाल के माध्यम से राज्य के सुदूर गांव-ढ़ाणी में बैठे किसान और पशुपालकों को इस सकारात्मक पहल का सीधा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ सेवाएं अर्न्तराष्ट्रीय कोटि की हैं जिनसे राज्य का पशुपालक व किसान वैज्ञानिक और तकनीकी तौर पर सुदृढ और समृद्ध हो सकेगा।

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शासन सचिव डॉ. शर्मा ने कहा कि ग्राम स्वावलम्बन का सपना गांधी जी द्वारा बताए गए सिद्धांत और कार्यों की बदौलत ही पूरा किया जा सकता है। वे स्वंय गाय-बकरी पालन को वैज्ञानिक ढंग से किया करते थे। पशुपालन सचिव ने राज्य सरकार की पशु कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि नई पशुपालन नीति में पशुओं के कल्याण और पशुपालकों की समृद्धि के लिए कई प्रावधान लागू किए जा रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपिता और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के राष्ट्र निर्माण में योगदान का स्मरण किया। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी की सोच थी कि किसी देश की महानता का आंकलन लोगों को पशुओं के प्रति व्यवहार को लेकर किया जाता है। आज हमें ऐसी सोच रखकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि “ई-पशुपालक चौपाल” किसान और पशुपालकों के हित में एक श्रृंखलाबद्ध अभिनव पहल हैं। पशुओं के प्रति संवेदित व्यवहार और जैविक उत्पादन मानव समाज के व्यापक हित में है। विशिष्ठ अतिथि डॉ. एस.के. सिंह, निदेशक, कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान जोधपुर (आई.सी.ए.आर.) ने कहा कि गांधी जी का पशुओं के प्रति अहिंसा और प्रेम उनके जीवन काल में देखने को मिलता है। उन्होंने राज्य में गौ, बकरी पालन और मत्स्य पालन की विपुल संभावनाओं की जानकारी दी। भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी, श्री एस.एस. बिस्सा ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि महात्मा गांधी पशु-पक्षी सहजीवियों के साथ व्यवहार को मानवीयता के सद्गुण मानते थे।

आज पूरे विश्व में वर्ल्ड फॉर्म एनीमल डे, और विश्व अहिंसा दिवस भी मनाया जा रहा है। सत्य, अहिंसा, परिग्रह और सर्वधर्म सद्भाव जैसे प्रमुख सिद्धांतों और जीवन में आचरण की बदौलत विश्व के 158 देशों में गांधी जी की मूर्ति अथवा स्मृति में नामकरण का होना उनके वैश्विक व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है। हिन्दी साहित्य के प्रोफेसर डॉ. बृजरतन जोशी ने कहा कि साबरमती के किसान का ग्राम स्वराज, प्राणीमात्र के प्रति न्याय, पशुओं के प्रति दया, करूणा और प्रेम का भाव मानवता के लिए बड़ा संदेश है। पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने के लिए पशुओं का साथ जरूरी है। आयोजन सचिव प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. आर.के. धूड़िया ने परिचर्चा के विषय का प्रवर्तन कर बताया कि “ई-पशुपालक चौपाल” का आयोजन प्रति माह के प्रत्येक द्वितीय और चतुर्थ बुधवार को अपरान्ह् 12 से 1 बजे तक श्रृंखलाबद्ध किया जाएगा। पशुचिकित्सा के वैज्ञानिक ओर विशेषज्ञ पशुपालन की विभिन्न विधाओं पर परिचर्चा करेंगे। वेटरनरी महाविद्यालय, बीकानेर के अधिष्ठाता प्रो. आर.के. सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रो. संजीता शर्मा अधिष्ठाता, पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर, प्रो. राजीव जोशी, अधिष्ठाता वेटरनरी कॉलेज, उदयपुर सहित विश्वविद्यालय के डीन-डायरेक्टर सहित शिक्षको ने भी भागीदारी निभाई। अतिथियों ने इस अवसर पर प्रसार शिक्षा निदेशालय की मासिक पत्रिका “पशुपालन नए आयाम” के नवीन मासिक अंक का विमोचन किया। इस कार्यक्रम को राजुवास के अधिकारिक फेसबुक पेज पर 5300 लोगों से अधिक लोगों ने देखा और सुना। यह कार्यक्रम 26 हजार 253 लोगों तक पहुंचा।  

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