जानिए कपास की 4 देसी किस्में जो थ्रिप्स और सफेद मक्खी के प्रति हैं प्रतिरोधी
09 दिसम्बर 2023, नई दिल्ली: जानिए कपास की 4 देसी किस्में जो थ्रिप्स और सफेद मक्खी के प्रति हैं प्रतिरोधी – सरकार देसी कपास की किस्म ‘गॉसिपियम आर्बोरियम’ की खेती को बढ़ावा दे रही हैं। क्योंकि गॉसिपियम आर्बोरियम पर कपास की पत्ती मोड़ने वाले वायरस रोग का असर नहीं होता है। कपास की यह ऐसी किस्म हैं जो तना से रस चूसने वाले कीटों (सफ़ेद मक्खी, थ्रिप्स और जैसिड्स) और बीमारियों ( बैक्टीरियल ब्लाइट और अल्टरनेरिया रोग) के प्रति सहनशील हैं। लेकिन इस किस्म में ग्रे-फफूंदी रोग का खतरा रहता हैं। इसके अलावा देसी कपास की यह किस्म नमी की कमी में भी सहनशीलता दिखाती हैं।
देश के विभिन्न कपास उत्पादक क्षेत्रों व राज्यों में व्यावसायिक खेती के लिए जारी की गई 77 जी आर्बोरियम कपास किस्मों में से, वसंतराव नाइक मराठवाड़ा के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित चार लंबी रोएंदार किस्में विकसित की हैं जो – पीए 740, पीए 810, पीए 812 और पीए 837 हैं।
देसी कपास की किस्मों का किया परीक्षण
कृषि विद्यापीठ (वीएनएमकेवी), परभणी (महाराष्ट्र) में विकसित की गई कपास की स्टेपल लंबाई 28-31 मिमी है, और बाकी 73 किस्मों की मुख्य लंबाई 16-28 मिमी की सीमा में है। वीएनएमकेवी, आईसीएआर-ऑल इंडिया कॉटन रिसर्च प्रोजेक्ट ऑन कॉटन के परभणी केंद्र ने आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन कॉटन टेक्नोलॉजी, नागपुर केंद्र में ऊपरी आधी औसत लंबाई, जिनिंग आउट टर्न, माइक्रोनेयर वैल्यू सहित कताई परीक्षणों के लिए देसी कपास की किस्मों का परीक्षण किया है। परीक्षणों में कताई की किस्मों को सफल घोषित किया गया है।
देसी कपास की लंबाई बढ़ाने के लिए रिसर्च जारी
देसी कपास स्टेपल फाइबर की लंबाई बढ़ाने के लिए अनुसंधान प्रयास जारी हैं 2022-23 के दौरान इन किस्मों के 570 किलोग्राम बीजों का उत्पादन किया गया। अगले बुआई सत्र में बुआई के लिए किसानों के पास पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध है। यह जानकारी शुक्रवार को राज्यसभा में राज्य कृषि मंत्री कैलाश चौधरी ने एक लिखित उत्तर में दी हैं।
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