राज्य कृषि समाचार (State News)

राजस्थान में गुलाबी सुण्डी के प्रबन्धन हेतु कार्यशाला का आयोजन

16 जनवरी 2024, जयपुर: राजस्थान में गुलाबी सुण्डी के प्रबन्धन हेतु कार्यशाला का आयोजन – राजस्थान के जिला कलेक्टर अंशदीप की अध्यक्षता में शनिवार को जिनिंग मिल मालिकों, प्रतिनिधियों के साथ बैठक का आयोजन किया गया। कलेक्टर ने सभी कृषि विभाग, कृषि विपणन विभाग व जिनिंग मिल मालिकों को निर्देशित किया कि आपसी समन्वय से गुलाबी सुण्डी के प्रभावी प्रबन्धन हेतु आवश्यक प्रयास करें। साथ ही किसानों को भी तकनीकी जानकारी से लाभान्वित करें, जिससे आगामी खरीफ सीजन 2024 में कपास में गुलाबी सुण्डी को नियंत्रण कर कपास के उत्पादन में वृद्धि की जा सके। उन्होंने जिनिंग मिल मालिकों को कपास मिलों के आस.पास फेरोमोन ट्रेप लगाने के लिए निर्देशित किया ताकि गुलाबी सुण्डी का प्रारम्भिक अवस्था में पता चल सकें एवं समय रहते नियत्रंण किया जा सकें।

कपास के बिनौलों का खुले में न करें भण्डारण

संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार (खण्ड) श्रीगंगानगर डॉ. जी.आर. मटोरिया ने बताया कि जिनिंग मिलों में रेशों एंव बीज (बिनौला) निकालने हेतु कीट प्रकोप प्रभावित खेतों से कच्चा कपास लाया जाता है। जिनिंग मिलों मे आये इस कपास में से बिनौलों एंव जिनिंग के उपरान्त अवशेष सामग्री में गुलाबी सुण्डी कीट ए लट/प्यूपा अवस्था में उपस्थित रहती है। अनुकूल परिस्थिति मिलते ही इनसे व्यस्क कीट बनकर कपास की बुवाई के समय जिनिंग मिल के आस पास की कपास की फसल को प्राथमिक संक्रमित करते है। इसलिए जहां भी कपास मिल स्थापित है, वंहा कपास के बिनौलों का खुले में भण्डारण न करें।

उन्होंने बताया कि बिनौलों को पॉलिथीन शीट से ढककर रखें। बन्द कमरें या पॉलिथीन शीट से ढककर एल्युमिनियम फास्फाइड से 48 घंटो तक धूमित करने सम्बन्धी सुझाव दियें। जिन किसान भाइयों ने अपने खेतों में बीटी नरमा की लकड़ियों को भंडारित करके रखा है, वे उक्त लकड़ियों को फसल बुवाई से पूर्व ही खेतों से निकालने का आग्रह किया व बीटी कपास की लकड़ियों का छाया व खेत में इकट्ठा ना कर लकड़ियों को काटकर भूमि में मिला देने की सलाह दी।

120 दिन की फसल पर ही करें कीटनाशक का उपयोग

कृषि अनुसंधान केन्द्र श्रीगंगानगर के कीट वैज्ञानिक डॉ. रूप सिंह मीणा द्वारा गुलाबी सूण्डी कीट की विभिन्न अवस्थाओं की पहचान सहित सम्पूर्ण जीवनचक्र की विस्तृत जानकारी दी गई व कपास में क्षति के लक्षणों के बारे मे बताया गया। डॉ. मीणा द्वारा बीटी कपास में एक ही प्रकार के कीटनाशी का उपयोग लगातार न कर कीटनाशीयों को बदल कर व पायरेथ्राइड आधारित कीटनाशीयों का उपयोग फसल की अवधि 120 दिन की होने उपरान्त ही उपयोग करने की सलाह दी गई।

बैठक में कृषि विपणन विभाग के संयुक्त निदेशक श्री शिव सिंह भाटी, विभिन्न कृषि उपज मण्डीयों के सचिव, श्री स्वर्ण सिंह अराई, सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) सादूलशहर श्रीमती कविता, कृषि अधिकारी श्री रिछपाल सिंह, सहायक कृषि अधिकारी व श्री छोटूराम, कृषि पर्यवेक्षक आदि उपस्थित रहे।

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम)

Advertisements