सोयाबीन किसान खुश, पीला सोना खरा उतरने की उम्मीद
16 सितम्बर 2023, भोपाल: सोयाबीन किसान खुश, पीला सोना खरा उतरने की उम्मीद – पीला सोना के नाम से पहचानी जाने वाली खरीफ की प्रमुख तिलहनी फसल सोयाबीन का रकबा इस वर्ष देश में लगभग 6 लाख हेक्टेयर बढ़कर 125 लाख 39 हजार हेक्टेयर हो गया है जबकि गत वर्ष सोयाबीन 120 लाख 82 हजार हेक्टेयर में बोई गयी थी। मानसून की वापसी से प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों के किसानों को राहत मिली है क्योंकि पूर्व में 15-20 दिन लम्बी मानसून की खेंच के कारण फसल सूखने लगी थी तथा उत्पादन घटने की आशंका में किसानों के चेहरे मुरझा गए थे। परन्तु अब चेहरे पर खुशी झलकने लगी है क्योंकि पीला सोना खरा उतरने की उम्मीद है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने भी अपने सर्वेक्षण के अनुसार फसल स्थिति को सामान्य बताया है।
कृषि मंत्रालय के मुताबिक खरीफ 2023 में सोयाबीन का रकबा 125.39 लाख हेक्टेयर है जबकि गत वर्ष यह रकबा 120.82 लाख हेक्टेयर था। इस प्रकार गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष सोयाबीन का रकबा बढ़ा है। प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों में म.प्र. सबसे आगे है। यह देश में कुल सोयाबीन उत्पादन में 60 से 65 फीसदी की भागीदारी करता है। इसलिए इसे सोया राज्य कहा जाता है। इस वर्ष म.प्र. में 53.35 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई है वहीं महाराष्ट्र में 50.68 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 11.44, तेलंगाना में 1.79, कर्नाटक में 4.07, गुजरात में 2.66 लाख हेक्टेयर में एवं छत्तीसगढ़ में 35 हजार हेक्टेयर तथा अन्य राज्यों में 1.02 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोनी हुई है। गत वर्ष की तुलना में महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना में इस वर्ष सोयाबीन का रकबा बढ़ा है। वहीं सोपा के मुताबिक महाराष्ट्र में 47.64 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोनी बताई गई है।
सोपा ने अपनी म.प्र., राजस्थान एवं महाराष्ट्र की सर्वे रिपोर्ट में बताया कि देश में हाल ही में हुई बारिश से सोयाबीन की स्थिति सामान्य हो गई है। कुल रकबे का लगभग 15 प्रतिशत में शुष्क अवधि में नमी की कमी के कारण कुछ क्षति की संभावना है। दाने का आकार तथा खराब फली बनने से कुछ क्षेत्र में फसल प्रभावित हो सकती है। उच्च तापमान के कारण म.प्र. के कुछ क्षेत्रों में कीटों और बीमारियों का हमला देखा गया है, जिससे भी उपज में कुछ नुकसान हो सकता है। म.प्र. में मंदसौर, नीमच, रतलाम, खंडवा, देवास, खरगोन और बड़वानी, राजस्थान में कोटा, प्रतापगढ़, बांरा एवं झालावाड़ और महाराष्ट्र में बीड़, ओस्मानाबाद, परभणी, नांदेड़, अकोला, अमरावती और यमतमाल में मामूली क्षति देखी गई है।
सोपा ने बताया कि गत 20 से 25 जून के बीच जेएस 9560, जेएस 2034, पीएस 1569 आदि जल्दी पकने वाली किस्मों के साथ बोई गई फसल पकने की अवस्था में है। और ऐसे क्षेत्रों में दाने कम भरने और छोटे होने के कारण उपज प्रभावित होने की संभावना है। इसलिए इस साल सोयाबीन की नई फसल आने में पिछले साल की तुलना में 10 से 15 दिन की देर हो सकती है |
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