State News (राज्य कृषि समाचार)

सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह (11-17 सितम्बर 2023 )

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15 सितम्बर 2023, इंदौर: सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह (11-17 सितम्बर 2023 ) – भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर द्वारा चालू  सप्ताह के लिए उपयोगी सलाह दी गई है। जो इस प्रकार है –

1 जिन क्षेत्रों में लगातार बारिश हो रही है, कृपया अपने खेत से अतिरिक्त जल की निकासी हेतु समुचित व्यवस्था  करें  एवं जलभराव की स्थिति से होने वाले नुकसान से फसल को बचाएं।

2  सोयाबीन की फलियों में दाने भरने या परिपक्वता की अवस्था में फसल पर होने वाली लगातार बारिश से सोयाबीन की गुणवत्ता में कमी आ सकती है या फलियों के दाने अंकुरित होने की भी संभावना हो सकती है , अतः सलाह है कि उचित समय पर फसल की कटाई करें जिससे फलियों के चटकने से होने वाले नुकसान या फलियों के अंकुरित होने से बीज की गुणवत्ता में आने वाली कमी से बचा जा सके।

3   सोयाबीन की शीघ्र पकनेवाली किस्मों में 90% फलियों का रंग  पीला  पड़ने पर फसल की कटाई कर सकते हैं।  इससे बीज के अंकुरण में विपरीत प्रभाव नहीं होता।

4  बीजोत्पादन कार्यक्रम वाले खेत में सलाह है कि फसल पर अनुशंसित फफूंदनाशक ( सूची  मद क्रमांक 9 में दी गई सूची  अनुसार) का छिड़काव करें।

5  लगभग 60-75 दिन की सोयाबीन फसल में चक्र भृंग से बहुत अधिक नुकसान होने की सम्भावना कम ही होती है और इसके नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का छिड़काव  आर्थिक रूप से लाभकारी नहीं होता, अतः इससे घबराये नहीं और पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट करें।  

6 मध्य प्रदेश के रतलाम, विदिशा समेत कई जिलों में विगत सप्ताह से सोयाबीन फसल पर तम्बाकू का प्रकोप देखा जा रहा है. इसके नियंत्रण हेतु सलाह है कि फसल पर लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.90 सी.एस. 300 मिली/हे. या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी. (250-300ग्रा./हे) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी (450 मिली/हे) का छिड़काव करें।

7 दाने भरने की अवस्था में फली भेदक चने की इल्ली द्वारा फलियों के अन्दर से दाने खाने की सम्भावना होती हैं, अतः इसके नियंत्रण हेतु निम्न में से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव  करने की सलाह है – इंडोक्साकार्ब 15.8 एस. सी (333 मि.ली/हे ), या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50 % एस. सी. (825-875 मिली/हे) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मि.ली./हे)।

8 पत्ती खाने वाली तीनों इल्लियों (सेमीलूपर/तम्बाकू/चने की इल्ली) या इनमें से कोई एक इल्ली के साथ-साथ रस चूसने वाले कीट (सफ़ेद मक्खी/एफिड) एवं तना छेदक कीट (तना मक्खी/चक्र भृंग) के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. या थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिड़काव  करें।

9 वर्तमान में इंदौर, रतलाम सहित मालवा के कुछ जिलों में सोयाबीन फसल पर ब्राउन रोट रोग के लक्षण पाए गए हैं, जो कि ब्लैक केंकर या सडन डेथ सिंड्रोम जैसे प्रतीत हो रहे हैं।  इस रोग बाबत संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा  यु ट्यूब  चैनल पर एक विडियो भी अपलोड किया गया है।  इसके नियंत्रण हेतु सलाह है कि बिंदु क्रमांक 10 में दिये गए अनुशंसित फफूंदनाशकों में से किसी एक का छिड़काव करें।

10  वर्तमान में सोयाबीन फसल पर ब्राउन स्टेम रोट , पोड ब्लाइट, एन्थ्रेक्नोज, राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट जैसे फफूंद जनित रोगों का प्रकोप देखा जा रहा है. कृषकों को सलाह है कि फफूंद जनित रोगों से सुरक्षा हेतु अपनी फसल पर टेबुकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे) या टेबूकोनाझोल 10%+सल्फर 65%वग (1250 ग्राम/हे) या कार्बेन्डाजिम+मेन्कोजेब 63% WP (1250 ग्राम/हे) या पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52% w/wSC (400 मिली/हे) या फ्लुक्सापाय्रोक्साड 167 g/l + पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 g/l SC (300ग्रा/हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 g/l + इपिक्साकोनाजोल 50g/l SE (750 मिली/हे) जैसे अनुशंसित फफूंदनाशकों में से किसी एक का सुरक्षात्मक छिड़काव करें।

11  जहाँ पर पीले मोज़ेक वायरस रोग के लक्षण देखे जा रहे हैं, कृषकों को सलाह हैं कि इसके प्रारंभिक लक्षण दिखते  ही तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें एवं अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं  एवं पीले मोज़ेक वायरस रोग को फ़ैलाने वाले वाहक कीट सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु अनुशंसित कीटनाशक एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) का छिड़काव  करें।  इसके स्थान पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125मिली/हे) या
 बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) का भी छिड़काव  किया जा सकता है। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है।

अन्य सुरक्षात्मक उपाय/सामान्य सलाह

1 तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्लियों के नियंत्रण हेतु बाजार में उपलब्ध कीट-विशेष फेरोमोन ट्रैप या प्रकाश प्रपंच  लगाएं।  इनके सेप्टा लगाने से पूर्व अपने हाथ स्वच्छ है यह सुनिश्चित करें।

2 जैविक सोयाबीन उत्पादन करने वाले कृषकों को सलाह है कि पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली ) से फसल की सुरक्षा एवं प्रारंभिक अवस्था में ही रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस अथवा ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1.0ली./हेक्टे) का छिड़काव करें।

3 कीटभक्षी पक्षियों द्वारा इल्लियों को खाने से होने वाले नियंत्रण को और सुविधाजनक बनाने हेतु सोयाबीन फसल में पक्षियों की बैठने हेतु “T” आकार के बर्ड-पर्चेस लगाये . इससे कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।  

4 वायरस जनित पीला मोज़ेक रोग से सुरक्षा हेतु इन रोगों को फैलाने वाले रस चूसक  कीट सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

5. सोयाबीन फसल पर पौध संरक्षण के लिए अनुशंसित रसायनों (कीटनाशक/फफूंद नाशक) के छिड़काव  में पर्याप्त पानी की मात्रा (नेप्सेक स्प्रेयर  या  ट्रैक्टर  चलित स्प्रेयर  से 450 लीटर/हे पॉवर स्प्रेयर से 125 लीटर/हे न्यूनतम) का उपयोग करें।

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