सीजन के बीच कैसे होगा मिट्टी परीक्षण ?
(विशेष प्रतिनिधि)
भोपाल। किसानों को खेत की मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों का ज्ञान करवाकर मिट्टी को स्वस्थ बनाने की दिशा में स्वाईल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिससे किसान संतुलित पोषक तत्वों का प्रबंधन कर अपना उत्पादन बढ़ा सके। इसके लिए विकासखण्ड स्तर तक मिट्टी परीक्षण की सुविधा म.प्र. सरकार उपलब्ध करवा रही है परंतु यह सुविधा किसानों को रबी मौसम के मध्य में प्रदान की गई हैं जब फसल खेत में खड़ी है और किसान बेहतर उत्पादन के लिए जी-जान से जुटा हुआ है। यह सुविधा रबी या खरीफ सीजन प्रारंभ होने के पूर्व उपलब्ध होती तो किसानों को कुछ राहत मिलती। अब यह सुविधा फसल कटाई तक सफेद हाथी बन कर रह गई है क्योंकि मिट्टी परीक्षण प्रयोग शालाओं में सन्नाटा पसरा है वर्तमान में किसान सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। स्टाफ की कमी भी इसका एक मुख्य कारण है।
प्रदेश सरकार ने किसानों को विकासखण्ड स्तर तक नि:शुल्क मिट्टी परीक्षण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए विकासखण्डों में 265 नई मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं बनाने का कार्य लगभग 3 वर्ष पूर्व प्रारंभ किया था इनमें से अधिकांश एक से डेढ़ वर्ष में बनकर तैयार हो गई थी परंतु स्टाफ एवं उपकरणों की कमी तथा बुनियादी सुविधाओं के अभाव में लगभग डेढ़ से 2 वर्षों तक ताला लगा रहा, परीक्षण प्रारंभ नहीं किया जा सका। गत 26 जनवरी 2020 को सरकार जागी तथा 265 में से 241 प्रयोगशालाओं को चालू करने का फरमाान जारी किया गया। जिलों के प्रभारी मंत्रियों को उद्घाटन की जिम्मेदारी दी गई, परंतु मध्य रबी सीजन की वजह से किसानों को लाभ नहीं मिल पाया।
अभी भी मण्डी बोर्ड द्वारा शेष 24 प्रयोगशालाओं का कार्य मंद गति से चल रहा है यह कब तक पूरा हेागा यह समय बताएगा। प्रदेश में पूर्व से स्थापित 70 प्रयोग-शालाओं द्वारा लगभग 90 लाख स्वाईल हेल्थ कार्ड बांटे गए हैं।
इधर भारत सरकार स्वाईल हेल्थ कार्ड योजना के 5 वर्ष पूरे होने पर स्वाईल हेल्थ कार्ड दिवस मना रही है तथा सरकार का कहना है कि संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन द्वारा उत्पादकता में इजाफा हुआ है तथा किसानों की आय बढ़ी है। परंतु म.प्र. में 5 साल बाद भी किसानों में जागरूकता का अभाव है। प्रचार-प्रसार में कमी इसका मुख्य कारण माना जा सकता है। वैसे तो कृषक प्रशिक्षण, संगोष्ठी, किसान खेत पाठशाला, एवं फसल प्रदर्शन द्वारा किसानों को जागरूक करने के निर्देश योजना के तहत दिए गए हैं परंतु अधिकांश किसानों को आज भी स्वाईल हेल्थ कार्ड की उपयोगिता का ज्ञान नहीं है। उन्हें तो यह भी नहीं पता कि विकासखण्ड स्तर पर लैब बन रही है। शाजापुर जिले के कालापीपल विकासखण्ड के कृषक श्री जयनारायण पाटीदार ने बताया कि लैब का शुभारंभ हुआ है पंरतु परीक्षण नहीं हो रहा है। इसी प्रकार हरदा विकासखण्ड के श्री नन्हेलाल भाटी, बड़ौद विकासखण्ड के श्री राधेश्याम परिहार, जतारा विकासखण्ड के श्री गजेंद्र सिंह, हटा विकासखण्ड के श्री देवेंद्र पटेल, देवरी विकासखण्ड के श्री प्रभात कुमार बड़कुल सभी ने बताया कि लैब बन गयी है परंतु फसल कटाई के बाद ही मिट्टी परीक्षण कराएंगे।
प्रदेश कृषि विभाग के संयुक्त संचालकों एवं उपसंचालकों से स्वाईल हेल्थ कार्ड की वस्तु स्थिति जानने के लिए संपर्क करने पर वे जानकारी नहीं दे सकें। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि लैब तो बन गई है परंतु मंथर गति की कार्यप्रणाली के चलते कार्य प्रारंभ नहीं हो पा रहा है। कुछ में स्टाफ नहीं है कहीं उपकरणों का अभाव है और शासन के निर्देश हैं कि वर्तमान में विभागीय अमले से ही नमूने परीक्षण का कार्य कराया जाए तथा उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करें।