कोरोना संक्रमण के कारण भारत मैं लॉक डाउन किसानों पर भारी
विश्व भर में कोरोना संक्रमण का संकट एक प्राकृतिक आपदा एवं महामारी का रूप ले चुका है। इससे निजात पाने के लिए दुनिया जूझ रही है परंतु अब तक कोई ठोस हल नहीं निकल पाया है ।देश एवं प्रदेश के किसान भी इसकी चपेट में है। खेतों में करोड़ों रुपए की फसल पक कर तैयार खड़ी है परंतु ना तो काटने वाला मजदूर है और ना ही बेचने के लिए मंडियां खुली है क्योंकि देश भर में संपूर्ण लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में किसान बेहद परेशान हैं। फल और सब्जियों के हाल तो और भी बुरे हैं। किसान ओने पौने दाम पर बेचकर गुजर-बसर कर रहे हैं फल खराब होने की स्थिति में आ गए हैं और सब्जियां खेतों में ही पड़ी हुई हैं। यदि हालात जल्दी नहीं सुधरे तो किसानों को खरीफ फसल लेने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है ।मध्य प्रदेश के किसान फसल कटाई के बाद खेत खाली होने के इंतजार में है जिससे खरीफ के लिए खेत तैयार किए जा सकें परंतु कटाई विपणन एवं भंडारण की समस्या उनके सामने तैयार खड़ी है। वैसे विपणन ना होने से प्रदेश के आर्थिक किसान की गति पर भी असर पड़ेगा और इससे उभरने में काफी वक्त लगेगा।
कोविड 19 के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लाक डाऊन किया गया है। कृषि क्षेत्र इसकी चपेट में आने से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी चौपट होने की कगार पर है। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के ग्राम उन्हेल के प्रगतिशील किसान श्री शिवनारायण धाकड़ ने बताया कि 40 बीघे में गेहूं एवं लहसुन की फसल लगी है और आधी कटाई हो गई है। उनका कहना है कि मजदूरों की कमी के कारण फसल अब तक पूरी नहीं कट पाई है। गांव में एक-दो थ्रेसर हैं उसके लिए नंबर लगाना पड़ रहा है। सभी किसान जल्दी फसल कटवाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि फसल रखने की भी समस्या आएगी।
नीमच जिले के ग्राम चेनपुरा के प्रगतिशील कृषक श्री मुकेश धनगर ने बताया कि 28 बीघा में गेहूं कटाई चल रही है 14 कुंतल प्रति बीघा उत्पादन की संभावना है। उनका कहना है कि गेहूं की कटाई परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर की है परंतु मंडी तक ले जाने की व्यवस्था नहीं है ट्रैक्टर ट्राली नहीं मिल रही है सरकार भी खरीदी नहीं कर रही क्योंकि अब तक मैसेज नहीं आया है।
भोपाल जिले की हुजूर तहसील के प्रगतिशील कृषक श्री मोहब्बत सिंह ने बताया कि गेहूं तो हार्वेस्टर से कट गया है परंतु चने में दिक्कत आ रही है मजदूर नहीं है सरकार जब गेहूं खरीदेगी तब देखेंगे। उन्होंने बताया कि फिलहाल दूध बेच कर घर का खर्च चला रहा हूं। दूध बेचने आते वक्त कई जगह पुलिसवाले चेक करने के साथ ही पूछताछ करते हैं। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष मध्यप्रदेश में गेहूं की रिकॉर्ड 80 लाख हेक्टेयर में बोनी की गई है तथा चना भी 27 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोया गया है। इसके चलते बंपर उत्पादन की संभावना है।
दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषकों के खेतों तक जाकर खरीदी करने की बात कही है। साथ ही उन्होंने कंट्रोल रूम बनाकर निगरानी रखने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा है कि किसानों को खाद बीज कीटनाशक की आपूर्ति अनाज का परिवहन एवं भंडारण तथा कृषि यंत्रों की आवाजाही व मरम्मत में बाधा नहीं आनी चाहिए ।
इसके विपरीत प्रदेश के किसान लॉक डाउन के कारण परेशानी में है। जिला स्तर पर जमीनी हकीकत कुछ और है। यदि समय रहते कृषि कार्यों के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई तो उत्पादन में कमी आएगी साथ ही महंगाई अपने चरम पर पहुंच जाएगी जिसे काबू में करना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा।