State News (राज्य कृषि समाचार)

हरदा, होशंगाबाद के मूंग किसान हलाकान

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नहर सिंचाई नाकाफी, बिजली कटौती भी भारी

  • (कृषक जगत सर्वे)

21 मार्च 2023, इंदौर (विशेष प्रतिनिधि) । हरदा, होशंगाबाद के मूंग किसान हलाकान – रबी सीजन के बाद निमाड़ में कुछ स्थानों पर, तो दूसरी तरफ खातेगांव, हरदा और नर्मदापुरम क्षेत्र के किसान बड़े रकबे में जायद में मूंग की फसल लेते हैं। इस फसल से उन्हें अतिरिक्त आय हो जाती है। कृषक जगत से हुई चर्चा में कई किसानों ने जायद में मूंग की फसल लेने की इच्छा जाहिर की है। गत वर्ष इन्हें औसत 5 क्विंटल प्रति एकड़ से अधिक का उत्पादन मिला था। लेकिन नहर क्षेत्र के किसान जायद फसल के दौरान पानी की कमी और बिजली की कटौती की समस्या से परेशान रहते हैं। किसानों का कहना है कि यदि यह दो समस्याएं हल हो जाएं तो उत्पादकता और बढ़ सकती है। जब ये सूरतेहाल म.प्र. के कृषि मंत्री के गृह जिले का है तो अन्य जिलों का क्या हाल होगा?

नहर का पानी देर से मिलता है

किसानों से कृषक जगत की चर्चा में आदमपुर (हरदा) के श्री पवन जाट ने बताया कि जायद फसल के समय नहर का पानी बारी-बारी से मिलता है। पिछले साल 6 एकड़ में जायद का मूंग लगाया था। 30  क्विंटल उत्पादन मिला। वहीं  ग्राम अवगांवकला के श्री लक्ष्मीनारायण खेखा ने तवा डेम की नहर से पानी नहीं आने की शिकायत करते हुए कहा कि नहर के निचले हिस्से में पानी नहीं आता। तीसरा पानी भी नहीं छोड़ा इसलिए 20 एकड़ में मात्र 25  क्विंटल का उत्पादन मिला और घाटा हो गया। ग्राम रातातलाई (हंडिया) के श्री रघुवीर सिंह हरि सिंह सिसोदिया ने कहा कि हमारे यहाँ पानी तो पर्याप्त है, लेकिन बिजली की समस्या है। तार टूटते रहते हैं। ओवरलोडिंग के कारण  बार-बार  फाल्ट होता है। नियमित बिजली नहीं मिलती है। यदि बिजली  की समस्या नहीं रहे  तो उत्पादकता और बढ़ सकती है।

वहीं ग्राम सगौदा के श्री अजय सिंह सोलंकी ने कहा कि पिछले साल 30 एकड़ में जायद में मूंग किस्म पीडीएम-139 लगाई थी। औसत 4-5  क्विंटल/ एकड़ का उत्पादन मिला था। नहर का पानी देर से मिलता है। बोरिंग और नर्मदा लाइन से सिंचाई करते हैं, लेकिन बिजली की समस्या आती रहती है। इसलिए 25 एचपी का जनरेटर रखा है। बिजली बंद होने पर इससे सिंचाई करते हैं। मानसून देरी से आए तो फसल अच्छी मिलती है।

सिवनी मालवा (नर्मदापुरम) के श्री अशोक अलवारे को 20 एकड़ में मूंग का 5 क्विंटल/एकड़ उत्पादन मिला था। श्री अलवारे ने कहा कि मानसून आगमन को देखते हुए क्षेत्र में मूंग की फसल को जल्दी सुखाने के लिए किसानों द्वारा रासायनिक का इस्तेमाल किया जाता है। ग्राम अर्चनागांव के श्री लालसिंह गुर्जर जायद मूंग में कुंए और गंजाल नदी के पानी का उपयोग करते हैं। इन्हें गत वर्ष 12 एकड़ में 7 क्विंटल/ एकड़ का उत्पादन मिला था।  इस वर्ष भी जायद मूंग का रकबा यही रहेगा। 

ग्राम गाडरापुर (हरदा) के श्री राधेश्याम पिता श्रीराम पटेल ने कहा कि नहर का पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुँच  पाता है और समय पर भी नहीं मिलता है। ट्यूबवेल है, लेकिन बिजली बंद रहने की समस्या से सिंचाई प्रभावित होती है। पिछले साल  25 एकड़ में औसत 5 क्विंटल/ एकड़ का उत्पादन मिला था।  क्षेत्र में  मूंग की फसल को जल्द सुखाने के लिए हरियाली के नाम से  बिकने वाले रासायनिक का इस्तेमाल किया जाता है, जो  पौधों को दो-तीन दिन में सुखा देता है। ग्राम छीपानेर (टिमरनी) के श्री विनोद पिता जगदीश सिंह राजपूत ने कहा कि गत वर्ष 30  एकड़ में जायद में मूंग लगाया था। औसत 6 क्विंटल/एकड़ का उत्पादन मिला सिंचाई के लिए नर्मदा, कुंआ और ट्यूबवेल भी है, लेकिन बिजली की समस्या है।  गर्मी में 8-10 घंटे बिजली मिलती है उसमें भी ट्रांसफार्मर पर लोड बढऩे से बार-बार बिजली बंद होती रहती है।

विद्युत विभाग बिजली बंद कर देता है

वहीं घाटली (इटारसी) के उन्नत कृषक श्री शरद वर्मा ने कहा कि गत वर्ष 25 एकड़ में मूंग लगाया था। औसत 6 क्विंटल/एकड़ का उत्पादन मिला था। इस साल 40 एकड़ में लगाने का विचार है। सिंचाई के लिए जल स्रोत तो पर्याप्त हैं,लेकिन बिजली की समस्या हर साल बनी रहती है। झूलते तारों से आगजनी का खतरा रहता है,तो  विद्युत विभाग बिजली बंद कर देता है। इससे  मूंग को पानी नहीं मिल पाता है। पिछले साल कृषक जगत में यह मुद्दा उठाया गया था, तो जिला प्रशासन द्वारा  बिजली कम्पनी को बिजली के तार ठीक करने के निर्देश दिए थे। इससे व्यवस्था में सुधार हुआ था। बिजली बंद होने से मूंग को समय पर पानी नहीं दे पाने की शिकायत श्री संजय चिमानिया, श्री रामसेवक रावत सोमलवाड़ा खुर्द और पप्पू वर्मा, नांदेड़ ने भी की है।

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