चुनावी समर में उलझा उर्वरक, किसान परेशान
09 नवम्बर 2023, भोपाल: चुनावी समर में उलझा उर्वरक, किसान परेशान – म.प्र. में विधान सभा चुनावों की सरगर्मी अपने चरम पर है ऐसे में खाद की कमी किसानों को परेशानी कर रही है तो दूसरी तरफ खाद की बोरियों पर प्रधानमंत्री की तस्वीर के कारण आचार संहिता उल्लंघन का बवाइस कारण रबी बुवाई के लिए किसानों को पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही है। घंटों लाईन में खड़े रहने के बाद भी किसान खाली हाथ लौट रहे है |
जानकारी के मुताबिक गत दिनों सागर, हरदा, शिवपुरी एवं शाजापुर जिले सहित पूरे प्रदेश में भारत ब्रांड की यूरिया, डीएपी व अन्य खाद की बोरियां वितरित की गई थी जिसमें प्रधानमंत्री श्री मोदी की फोटो लगी थी। सागर में रैक खाली होते ही कांग्रेस ने शिकायत की, वहीं हरदा जिले के कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से शिकायत कर जांच कराने की मांग की तथा आरोप लगाया कि डबल लॉक के अलावा खुले बाजार में भी बोरियां बिक रही हैं। शाजापुर में गोडाऊन अधिकारी ने कहा कि माल आचार संहिता के पहले का है। शिवपुरी जिले के करैरा में किसानों ने खाद न मिलने के कारण चक्काजाम किया तथा नायब तहसीलदार कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन कर नाराजगी जताई।
ज्ञातव्य है कि रबी के लिए डीएपी तथा यूरिया की अधिक आवश्यकता पड़ती है, परन्तु फोटो के कारण उर्वरक के लॉट रोक दिए गए हैं तथा उर्वरक मंत्रालय ने बिना फोटो के बैग में खाद पैक करने के निर्देश दिए हैं, जो आगे आने रैकों में उपलब्ध होगी। जानकारी के मुताबिक राज्य में लगभग 50 फीसदी बोनी हो गई है। नवम्बर माह के लिए लगभग 7 लाख टन यूरिया एवं 1.5 लाख टन डीएपी की मांग है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, क्योंकि अब उर्वरक मंत्रालय के निर्देश पर फोटो को हटाया जा रहा है। इफको भोपाल के राज्य विपणन प्रबंधक श्री पी.सी. पाटीदार ने बताया कि खाद की बोरियां काफी पहले पैक की जाती हैं, परन्तु आचार संहिता लगने के बाद इसके वितरण में सतर्कता की जरूरत थी। अब बिना फोटो वाले बैग तैयार कर बुलाए जा रहे हैं, जो रैक्स आएंगे उसमें वह बिना फोटो वाली बोरियां होंगी। उन्होंने बताया कि फोटो वाला निर्णय केन्द्र सरकार का है जो भारत ब्रांड के नाम से एफसीओ पॉलिसी के तहत लिया गया था। श्री पाटीदार ने बताया कि पूर्व में जो बोरियां आई हैं उनमें फोटो को पोतने, स्टीकर लगाने और थिनर से मिटाने की कार्यवाही की जा रही है।
प्रदेश के उज्जैन, रतलाम, धार, शाजापुर, देवास, सागर, दमोह आदि जिले के किसानों का कहना है कि प्रत्येक सीजन के शुरू में खाद की किल्लत होती है तथा किसान परेशान होते हैं। अग्रिम भण्डारण से भी समस्या का समाधान नहीं निकल रहा है।
यदि उर्वरक की कमी से किसान इसी तरह परेशान होते रहे तो इसका विपरीत असर विधानसभा चुनावों पर पडऩे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
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