State News (राज्य कृषि समाचार)

खेतों में सफेद मक्खी दिखने पर पीला मोजेक रोग की आशंका, किसान रहें सतर्क

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24 अगस्त 2023, अलीराजपुर: खेतों में सफेद मक्खी दिखने पर पीला मोजेक रोग की आशंका, किसान रहें सतर्क – कृषि विभाग का कहना है कि आगामी दिनों में जिले में उडद फसल बोनी उपरान्त पिछले वर्षों की तरह पीला मोजेक एवं बीमारी का प्रकोप बढ़ सकता है। उड़द ,मूंग एवं सोयाबीन  में पीला मोजेक बीमारी के नियंत्रण हेतु विशेष  सावधानी की आवश्यकता है। कृषक अभी से सावधानी रखकर होने वाले नुकसान से बच सकते हैं ।

पीला मोजेक के लक्षण:- उडद फसल का यह प्रमुख रोग है जिसके उपज में बहुत अधिक हानि होती है। रोग के प्रथम लक्षण पत्तियों पर गोलाकार पीले धब्बे के रूप में दिखाई देता है। ये दाग एक साथ मिलकर तेजी से फैलते हैं, जिससे पत्तियों पर पीले धब्बे अगल -बगल दिखाई देते है। जो बाद में बिल्कुल पीले हो जाते हैं । नई निकलती हुई पत्तियों में ये लक्षण आरम्भ से दिखाई देते हैं । यह रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलता है।

पीला मोजेक के नियंत्रण हेतु सलाह:– उडद, सोयाबीन व मूंग फसल में पीला रोग की आशंका जताई गई है। इस रोग की वाहक  सफेद मक्खी यदि खेतों में दिखाई दे तो किसान  सतर्क  हो जाएं।  फसलों की निगरानी करें और खेतो में पीला पौधा दिखाई देते ही तुरंत उसे नष्ट करें और इस रोग मक्खी नियंत्रण के उपाय करें। सफेद मक्खी के जरिये यह एक खेत से दूसरे खेतों तक फैलता है। और पौधे को बुरी तरह प्रभावित करता है। प्रारम्भिक अवस्था में ही अपने खेत में जगह -जगह पर पीली चिपचिपी ट्रेप लगाएं जिससे इसका संक्रमण फैलाने वाली सफेद मक्खी का नियंत्रण होने में सहायता मिले। सफेद मक्खी अपनी लार से विषाणु पौधे पर पहुंचाती है, जिससे पीला मोजेक नामक बीमारी फैलती है। यह अत्यंत हानिकारक कीट सिद्व  होता है। 

सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु अनुशंसित पूर्व मिश्रित सम्पर्क रसायन – बीटासायफलुथ्रिन इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हैक्ट.0)या पूर्व मिश्रित थायोमेथाक्साम, लेम्बडा सायहॅलोथ्रीन (125 मिली/हैक्ट0)  का छिड़काव करें जिससे सफेद मक्खी के साथ साथ पत्तियों को खाने वाले  कीटों का भी एक साथ नियंत्रण हो सके। उड़द एवं मूंग विषाणु जनित पीला मोजेक रोग, सफेद मक्खी द्वारा फैलता है। इसके नियंत्रण के लिये बुवाई के 45 दिन बाद दवाई का छिडकाव करें। किसान इमिडाक्लोप्रिड 17.6 एस.एल. को 150 मि.ली. मात्रा अथवा ऐसिटसमिप्रिड की 150 ग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के मान से फसल पर छिडकाव करें। कीटनाशक का छिड़काव शाम के समय करें। गर्मी में गहरी जुताई करें, जिससे वायरस नष्ट हो सकें। बीज को बोने के पूर्व बीज उपचार औषधि से उपचार कर ही बुवाई करे। प्रमाणित बीज ही बोने के लिये उपयोग करें। रोग अवरोधी फसलों का चयन कर बुवाई करें। घर का बीज बोने में उपयोग नही करें। रोगी पौधे खेत में दिखाई देने पर  उखाड़ कर नष्ट करें। 2-3 सप्ताह में दिखाई देने लगता है। प्रारंम्भिक लक्षण पत्तियों पर पीलापन होने लगता है।

पीला मोजेक का नियंत्रण शुरू में ही करें – पीला मोजेक रोग ग्रस्त पौधे को उखाड़कर नष्ट कर दें तथा फसल को डायमेथोएट 30 ई.सी. 2 मि.ली./लीटर पानी के साथ घोलकर छिडकाव करें । यह विषाणु पीला मोजेक का प्रभावी उपचार है। अतः केवल स्वस्थ पौधों को इस रोग के प्रकोप से बचाकर ही इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है। यहां तक कि कम संख्या में भी यह कीट अत्यन्त हानिकारक है। सफेद मक्खी द्वारा इस फसल में 10 से 40 प्रतिशत तक उपज में कमी दर्ज की गई है।

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