अनुसंधान केंद्र मुरैना द्वारा सोयाबीन की नई किस्म आरवीएसएम 2011-35 विकसित
अनुसंधान केंद्र मुरैना द्वारा सोयाबीन की नई किस्म
आरवीएसएम 2011-35 विकसित
अनुसंधान केंद्र मुरैना द्वारा सोयाबीन की नई किस्म – सोयाबीन की खेती में, किसानों को अधिक उपज देने वाली किस्म की अनुपलब्धता और पीले मोजेक विषाणु रोग और जड़ सडऩ रोगों के प्रतिरोध की कमी के साथ-साथ प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में खेती करने के लिए बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस दिशा में, डॉ.वी.के. तिवारी (वैज्ञानिक), प्रभारी एआईसीआरपी- सोयाबीन (उप-केंद्र), राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र, मुरैना ने संकरण द्वारा नई सोयाबीन किस्म- आरवीएसएम 2011-35 विकसित की है। इस जीनोटाइप ने राष्ट्रीय स्तर पर साल 2018-19 और 2019-20 के दौरान एआईसीआरपी नेटवर्क के तहत बीज उपज में पहला स्थान प्राप्त किया था। डॉ. तिवारी, एम.पी. और भारत के अन्य सोयाबीन उत्पादक राज्यों में सोयाबीन उत्पादकों के लिए आर वी एस एम 2011-35 की पहचान और रिलीज के लिए आश्वस्त हैं। उनका मानना है कि आने वाले वर्षों में इस किस्म को बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती में अपना सुरक्षित स्थान मिलेगा।
नई विकसित सोयाबीन किस्म- आरवीएसएम 2011-35 में नया क्या है?
- औसत उपज : 25-30 क्वि./हे.
- परिपक्वता के दिन : 95 दिन
- प्रतिफल्ली : 3 से 4 दाने
- येलो मोज़ेक वायरस के लिए मध्यम से प्रतिरोध
- गैर-बिखरने वाली फली
- मैकेनिकल हार्वेस्ट के लिए उपयुक्त है
- जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है।
- डॉ. वी. के. तिवारी, (वैज्ञानिक) प्रभारी- एआईसीआरपी-सोयाबीन (उप-केंद्र),
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय,
आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र,मुरैना (म.प्र.)
मो. : 09425407723