सोयाबीन के बेहतर उत्पादन के लिए जरुरी उपाय
सोयाबीन के बेहतर उत्पादन के लिए जरुरी उपाय
मध्य प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है सोयाबीन के बेहतर उत्पादन के लिए जरुरी उपाय आपको बता रहें हैं. देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में म.प्र. का योगदान 55 प्रतिशत है. सोयाबीन का औसत उत्पादन 10-12 क्विंटल /हेक्टेयर है. यदि सोयाबीन उत्पादन के निर्धारित मापदंडों का प्रयोग किया जाए तो यह और उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.अच्छे उत्पादन के लिए भूमि का चुनाव, अच्छी किस्मों और बीजों का चयन, बुवाई का समय और बीजोपचार ऐसे कार्य हैं, जिनसे बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है.
सोयाबीन उत्पादन के लिए खेत की तैयारी, किस्में एवं जरुरी उपाय :
सोयाबीन फसल के लिए हल्की से गहरी काली उदासीन पीएच मान मिट्टी वाली जमीन सोयाबीन के लिए उचित मानी गई है. कृषि विशेषज्ञ के अनुसार तीन साल में एक बार गहरी जुताई करनी चाहिए और गर्मी में एक सामान्य जुताई करनी चाहिए. खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था करनी चाहिए. स्वाईलर से जुताई करना इसलिए अच्छा रहता है, क्योंकि यह 12 से 18 इंच तक गहरी जुताई करता है.
जहां तक सोयाबीन की किस्मों का सवाल है तो कृषि विशेषज्ञों ने मालवा, निमाड़ और बुंदेलखंड की जलवायु के लिए जेएस -9560 उपयुक्त है. इसके अलावा जेएस – 9305,जेएस -2029, जेएस -2034, आरवीएस -2001 -4, एनआरसी -37 और जेएस -9752 की अनुशंसा की है .ये किस्में 80 से 100 दिन में पक जाती है. इनका औसत उत्पादन 25 से 30 क्विंटल / हेक्टेयर होता है.
सोयाबीन की खेती कैसे करें, महत्वपूर्ण जानकारी बुवाई से लेकर कटाई तक
यहां इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि जो किसान जिस प्रजाति का बीज स्वयं बनाने के इच्छुक हैं उन्हें बीज विश्वसनीय स्रोत से लेना चाहिए. प्लाट का चयन अन्य सावधानियां भी रखनी चाहिए. परिपक्व और शुद्ध बीजों का चुनाव करना चाहिए.
बीज की ग्रेडिंग के लिए स्पाईरल ग्रेडिंग का उपयोग करना चाहिए. स्वयं के बीजों को भी तीन साल में बदल देना चाहिए. प्रमाणित सोयाबीन बीज को बीज प्रमाणीकरण संस्था या अनुज्ञा प्राप्त निजी संस्था से ही खरीदना चाहिए. प्रमाणित बीज का टैग नीला -बैंगनी रंग का होता है. इसमें लिखे निर्देशों को ध्यान से पढ़कर उसके अनुसार काम करना चाहिए. इस टैग को संभालकर रखना चाहिए, ताकि कोई समस्या आए तो शिकायत की जा सके.
सोयाबीन के बेहतर उत्पादन के लिए बीज दर , बीजोपचार एवं बुवाई :
जहां तक बीजों की बुवाई के समय का सवाल है, तो देरी से मध्यम अवधि की किस्मों के लिए 20 – 30 जून और कम अवधि की किस्मों के लिए जुलाई के पहले सप्ताह में बोवनी करनी चाहिए. बीज दर की बात करें तो छोटे दाने वाली किस्मों के लिए 60 किग्रा./हे. मध्यम दाने वाली के लिए 75 किग्रा./हे. और बड़े दाने वाली किस्मों के लिए 80 किग्रा./हे. बीज पर्याप्त है.
बुवाई से पहले बीजोपचार अवश्य करना चाहिए, इससे कई रोगों और कीटों से बचाव होता है. थायरम +कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम /बीज या थायरम +कार्बोक्सिन 2 ग्राम /किग्रा. से बीजोपचार करें. अथवा थायोमिथोक्जाम 30 एफएस 10 ग्राम/किग्रा. की दर से या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस 1.25 मिली/किलो बीज से बीजोपचार करें. राइजोबियम 5 ग्राम/ किलो बीज, पीएसबी -8 -10 ग्राम /किलो बीज और ट्राइकोडर्मा 5 ग्राम/किग्रा. से बीजोपचार करें.
ध्यान रहे कि फफूंदनाशी और कीटनाशी का प्रयोग राइजोबियम या पीएसबी से पहले किया जाता है. अधिक शाखा वाली किस्मों के लिए कतार से कतार की दूरी 40 -45 सेमी, सीधी बढऩे वाली किस्मों के लिए यह दूरी 30 सेमी रखना चाहिए. पौधों की दूरी 5 -7 सेमी एवं बुवाई की गहराई 2 -3 सेमी रखनी चाहिए.
बड़े आकार वाली किस्म 9560 को 3 सेमी तक गहराई में बोना चाहिए. बुवाई के लिए सीड कम फर्टीड्रिल का उपयोग करना चाहिए. वर्षा जल का उचित प्रबंधन,यथासमय रोग एवं कीट नियंत्रण करके सोयाबीन का बेहतर उत्पादन पाया जा सकता है.|
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