राज्य कृषि समाचार (State News)

पराली जलाने से बंजर हो रही मध्य प्रदेश की मिट्टी: आधी रह गई फसलों की पैदावार

03 मई 2025, भोपाल: पराली जलाने से बंजर हो रही मध्य प्रदेश की मिट्टी: आधी रह गई फसलों की पैदावार – मध्य प्रदेश के खेतों में पराली जलाने की आदत अब किसानों के लिए मुसीबत बन रही है। खेतों की मिट्टी अपनी ताकत खो रही है, और फसलों की पैदावार आधी हो गई है। नर्मदापुरम, सीहोर और विदिशा जैसे जिले इस समस्या की चपेट में सबसे ज्यादा हैं।

मिट्टी की जांच ने खोली पोल

पिछले एक महीने में प्रदेश के 52 जिलों से 8,000 मिट्टी के सैंपल इकट्ठा किए गए। जांच में पता चला कि 1,700 सैंपलों में मिट्टी की उर्वरक ताकत 20 से 44% तक कम हो चुकी है। जिन खेतों में पांच साल पहले एक एकड़ में 10 क्विंटल फसल उगती थी, वहां अब मुश्किल से 5.5 से 6 क्विंटल पैदावार हो रही है। ये सैंपल उन किसानों के खेतों से आए, जो हर साल पराली जलाते हैं।

कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनीटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस की ताजा रिपोर्ट बताती है कि नर्मदापुरम, सीहोर, विदिशा, इंदौर, उज्जैन, हरदा, रायसेन और देवास में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले सामने आए। करीब 900 सैंपलों में मिट्टी की जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया भी पूरी तरह ठप हो चुकी है।

पराली जलाने से मिट्टी पर संकट

कृषि विभाग के पूर्व संयुक्त संचालक पीके विश्वकर्मा कहते हैं, “पराली जलाने से मिट्टी की ताकत खत्म हो रही है। यह न सिर्फ मिट्टी की खाद बनाने की क्षमता को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि बारिश का पानी सोखने की ताकत भी छीन लेता है। मिट्टी में मौजूद छोटे-छोटे बैक्टीरिया, जो फसलों के लिए जरूरी हैं, जलकर राख हो जाते हैं।” वे चेतावनी देते हैं कि अगर ऐसा ही चलता रहा, तो अगले 10-12 साल में मिट्टी की पैदावार 20-30% या उससे भी कम रह जाएगी।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का कहना है कि पराली जलाने से मिट्टी के फायदेमंद बैक्टीरिया जैसे राइजोबियम, एजोटोबेक्टर और फास्फेट घुलनशील बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। ये बैक्टीरिया नाइट्रोजन को मिट्टी में जमा करने और पोषक तत्वों को पौधों तक पहुंचाने में मदद करते हैं। पराली में मौजूद पोषक तत्व, जो खेत में सड़कर मिट्टी को और उपजाऊ बनाते हैं, जलाने से पूरी तरह खत्म हो जाते हैं।

इन जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान

मार्च और अप्रैल में पराली जलाने की घटनाएं खूब हुईं। नर्मदापुरम में 5,774, सीहोर में 2,416, विदिशा में 1,445, इंदौर में 1,439, उज्जैन में 1,322, हरदा में 1,301, रायसेन में 1,186, देवास में 1,063 और भोपाल में 338 मामले दर्ज किए गए। ये आंकड़े बताते हैं कि पराली जलाना अब कई इलाकों में आम बात हो गई है, जो खेती के लिए बड़ा खतरा बन रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पराली जलाने पर रोक नहीं लगी, तो मध्य प्रदेश की उपजाऊ जमीन धीरे-धीरे बंजर हो जाएगी। मिट्टी की ताकत कम होने से न सिर्फ फसलों की पैदावार घटेगी, बल्कि पानी की कमी और फसलों की क्वालिटी पर भी असर पड़ेगा। किसानों को जागरूक करना और पराली का सही इस्तेमाल करना जरूरी है। पराली से बायोचार, कम्पोस्ट या जैविक खाद बनाकर मिट्टी को फिर से ताकतवर किया जा सकता है।

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