State News (राज्य कृषि समाचार)

प्रस्तावित भूली जलाशय निर्माण को लेकर किसान चिंतित

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जन सुनवाई में किसानों ने मुआवजे और विस्थापन की स्पष्ट जानकारी मांगी

09 जनवरी 2024, पांढुर्ना(उमेश खोड़े, पांढुर्ना): प्रस्तावित भूली जलाशय निर्माण को लेकर किसान चिंतित – देश की प्रगति में किसान का सदैव योगदान रहा है। कई जगह तालाब अथवा बांध के निर्माण में  किसानों ने अपनी  बेशकीमती उपजाऊ भूमि सरकार को दी। जिसके बदले सरकार ने संबंधित किसानों को वहां की गाइड लाइन के हिसाब से मुआवजा भी दिया। लेकिन पांढुर्ना जिले में प्रस्तावित भूली जलाशय निर्माण का मामला अलग है। यहाँ बगैर सूचना पत्र  के किसानों के खेतों में सर्वे किया जा रहा है।  किसान  पूरी योजना से अनजान हैं। मुआवजा राशि और विस्थापन बाबत भी कोई जानकारी नहीं दी गई है।  ऐसे में  प्रभावित होने वाले तीन गांवों के चिंतित किसानों ने जलाशय जन संघर्ष समिति गठित कर जन सुनवाई में पांढुर्ना एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर मुआवजे और विस्थापन की स्पष्ट जानकारी देने की मांग की है।

जलाशय जन संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री वृंदेश धर्माधिकारी ने कृषक जगत को बताया  कि प्रस्तावित भूली जलाशय निर्माण को लेकर करीब दो साल पहले सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की गई थी। जिसका अब क्रियान्वयन किया जा रहा है। लेकिन किसानों के सामने अभी तक इसकी कोई स्पष्ट तस्वीर सामने नहीं आई है। प्रभावित होने वाली ग्राम पंचायतों को कोई सूचना पत्र भी नहीं दिया और  किसानों के खेतों का सर्वे किया जा रहा है। पूछने पर भी स्पष्ट बात नहीं बताई जा रही है कि इस जलाशय निर्माण में कितनी भूमि अधिग्रहित होगी , जलाशय की जल ग्रहण क्षमता  क्या रहेगी और इससे कितना क्षेत्र सिंचित होगा। यहां तक की मुआवजे और विस्थापन के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी जा रही  है। इस जलाशय निर्माण से भूली , धावड़ीखापा के अलावा नीलकंठ और खड़की गांव के सैकड़ों किसान प्रभावित होंगे। इसमें एक दो गांवों की संख्या बढ़ भी सकती है। इसीलिए किसानों ने जलाशय जन संघर्ष समिति गठित कर मंगलवार को जन सुनवाई में पांढुर्ना एसडीएम श्री आर आर पांडेय  को ज्ञापन सौंपकर मुआवजे और विस्थापन की स्पष्ट जानकारी देने की मांग की। इस पर श्री पांडेय ने कहा कि ज़मीन और ज़मीन पर स्थित परिसम्पत्तियों के मूल्यांकन के बाद ही जानकारी मिल पाएगी। जबकि किसान चाहते हैं कि पहले सब बातें स्पष्ट हो उसके बाद सर्वे हो।

किसानों की प्रमुख मांगें –  प्राप्त  जानकारी के अनुसार वर्तमान गाइड लाइन में मोरडोंगरी में सिंचित ज़मीन प्रति हेक्टर 19 लाख रु से अधिक और असिंचित 9 लाख रु से अधिक है , जबकि धावड़ीखापा में सिंचित ज़मीन करीब  4 लाख रु  और असिंचित करीब 2 लाख रु /हेक्टर है। इसी तरह ग्राम भूली में सिंचित ज़मीन 4 लाख रु से अधिक और असिंचित करीब 3 लाख रु /हेक्टर है। इसलिए ग्राम मोरडोंगरी की गाइड लाइन के हिसाब से इन तीन गांवों के किसानों को समान मुआवजा दिया जाए।  कृषि पर निर्भर होने से प्रभावित हर किसान परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। डूब प्रभावित किसानों को एन एच -47  के पास में नंदापुर के आसपास सरकारी भूमि पर पक्के मकान बनाकर उनका पुनर्वसन किया जाए और  डूब क्षेत्र से विस्थापित होने वाले गांवों के लोगों को पास की सरकारी ज़मीन पर बसाया जाए ,ताकि शेष बची ज़मीन पर वे अपने कृषि कार्य कर सके। इसके अलावा अन्य मांगें भी हैं।  ज्ञापन देते समय श्री वृंदेश धर्माधिकारी ,भूली के सरपंच श्री दिलीप घागरे , श्री प्रकाश देशमुख, श्री अनिल कामड़े, श्री मंसाराम खोड़े, श्रीमती वनमाला खोड़े, श्री विनय डिगरसे ,श्री धीरज रबड़े सहित कई किसान मौजूद थे।

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