State News (राज्य कृषि समाचार)

म.प्र. को उद्यानिकी राज्य बनाएंगे : श्री कमलनाथ

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कृषि सलाहकार परिषद की बैठक में सिर्फ चर्चा न हो

(विशेष प्रतिनिधि)
भोपाल। कृषि सलाहकार परिषद की पहली बैठक में मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि किसानों की आय सिर्फ परंपरागत खेती से नहीं बढ़ सकती है। इसके लिए उद्यानिकी फसलों की ओर जाना होगा। साथ ही इसे स्वरोजगार से भी जोडऩा पड़ेगा। प्रदेश हार्टिकल्चर की राजधानी बने और इससे जुड़े उद्योग-धंधे खुलें,तभी आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। साथ ही यह भी कहा कि परिषद सिर्फ ऐसी संस्था न बने जहां सिर्फ चर्चा हो बल्कि इसमें किसान हित में फैसले लिए जाएं। इस दौरान परिषद सदस्यों ने गेहूं के बोनस, धान और फसल बीमा का भुगतान, कर्जमाफी की धीमी गति, गेहूं खरीदी केंद्र बढ़ाने और जमीन से जुड़े विवादों के तेजी से निपटारे के मुद्दे उठाए।

मंत्रालय में करीब देा घंटे चली बैठक के दौरान ही मुख्यमंत्री ने अपने कार्यक्रम देखकर अगली बैठक की तारीख 14 मार्च तय कर दी। उन्होंने कहा कि इसके पहले सदस्य अपने सुझाव दे दें ताकि विभाग उस पर तैयारी कर ले। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां तभी बढ़ सकती हैं तब किसान के पास क्रय शक्ति होगी। इसके लिए परंपरागत खेती के अलावा भी रास्ते अपनाने हेांगे। हार्टीकल्चर (उद्यानिकी) सबसे बेहतर विकल्प है क्योंकि हमारे यहां 11 जलवायु क्षेत्र हैं जो अलग-अलग फसलों के अनुकूल हैं। हमारी मंशा प्रदेश को हार्टीकल्चर स्टेट बनाने की है। यह तब तक सफल नहीं होगी जब तक कि किसानों को उपज बिकने की गारंटी न मिले। इसके लिए पिछले छह माह से कोका- कोला, पेप्सी, रिलायंस, आईटीसी सहित अन्य कंपनियों से चर्चा हो रही है। खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां भी लगाई जाएंगी। इससे न सिर्फ रोजगार के मौके पैदा होंगे बल्कि किसानों को उपज के अच्छे दाम भी मिलेंगे। बेरोजगार युवाओं को बागवानी के लिए लीज पर जमीन दी जाएगी, इसके लिए योजना तैयार कर ली गई है।

किसान प्रतिनिधियों की सलाह

मुख्यमंत्री ने परिषद के सदस्यों से कहा कि वे मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों को पहचानें और व्यवहारिक उपाय भी बताएं। इसके आधार पर हम रणनीति तैयार करेंगे। परिषद की गठन के दो दिन बाद ही बैठक बुलाने पर किसान नेता शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’ ने मुख्यमंत्री कमलनाथ की सराहना करते हुए उद्यानिकी राज्य की अवधारणा को अच्छा विचार बताया। उन्होंने कहा कि किसान तभी खुशहाल हो सकता है जब उसे उपज का वाजिब दाम मिले। नामांतरण, सीमांकन सहित जमीन से जुड़े दो लाख मामलों का निराकरण एक साल में हुआ है। अभी भी 16 लाख मामले लंबित हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती को निर्देश दिए कि शिविर लगाकर निराकरण करवाया जाए। श्री शर्मा ने गेहूं का बोनस, धान और बीमा का भुगतान, गेहूं खरीदी केंद्रों को बढ़ाने, खेत सड़क योजना फिर शुरू करने, कर्जमाफी की गति बढ़ाने, पारिवारिक जमीन के बंटवारे में स्टाम्प ड्यूटी लगने जैसे मुद्दे उठाए। वहीं, अन्य सदस्य दिनेश गुर्जर, केदार सिरोही, उमराव सिंह गुर्जर, ब्रजबिहारी पटेल, विश्वनाथ ओकटे ने भी अपने सुझाव रखे।

इस दौरान ताराचंद पटेल ने मुख्यमंत्री को बीज रहित अमरूद भेंट करते हुए बताया कि उनका यह उत्पाद विदेशों में भी निर्यात किया जाता है। बैठक में सर्वश्री मुख्य सचिव एसआर मोहंती, कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभांशु कमल, अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मनोज श्रीवास्तव, अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव कृषि अजीत केसरी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया विश्वविद्यालय के कुलपति एसआर राव सहित कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

पहली बैठक में कृषि मंत्री अनुपस्थित

कृषि जैसे महत्वपूर्ण महकमे में कृषि सलाहकार परिषद का गठन एक प्रभावी कदम है इससे कृषक हितैषी कदम उठाने में सरकार को मदद मिलेगी। परंतु इस परिषद की पहली बैठक में कृषि मंत्री का अनुपस्थित रहना प्रेक्षकों एवं प्रतिनिधियों को कचोट गया। क्योंकि कृषि मंत्री को परिषद का उपाध्यक्ष बनाया गया है तथा इस परिषद में सीधे किसान प्रतिनिधि भी जुड़े हैं। और परिषद के अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री हैं। अगर आगाज ऐसा होगा तो अंजाम का क्या होगा यह सोचना पड़ेगा। प्रदेश के किसानों को भी पहली बैठक के धमाकेदार आगाज की उम्मीद थी क्योंकि इसमें किसानों के हिमायती और पूर्व में भाजपा से जुड़े रहे किसान नेता शिव कुमार शर्मा (कक्का जी) को भी सदस्य मनोनीत किया गया है। साथ ही प्रदेश के सभी दिशाओं से प्रतिनिधित्व देने की आशा में सदस्य मनोनीत किए गए है तथा प्रमुख सचिव कृषि ने पहली बैठक में उपस्थिति के लिए सदस्यों के सम्बंधित जिलों के उपसंचालकों को सूचना विधिवत तामीली कराकर जानकारी कृषि संचालनालय भेजने के निर्देश दिए थे जैसे वारंट तामील हो रहा है। इसके बावजूद कृषि मंत्री की अनुपस्थिति ने गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

परिषद का स्वरूप

मुख्यमंत्री अध्यक्ष तथा कृषि मंत्री उपाध्यक्ष

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कृषि सलाहकार परिषद में किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री परिषद के उपाध्यक्ष होंगे। प्रमुख सचिव किसान-कल्याण एवं कृषि विकास को परिषद का सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। परिषद का कार्यकाल अधिकतम 5 वर्ष का होगा। पाँच वर्ष बाद नये सदस्यों के साथ परिषद का पुनर्गठन किया जायेगा।

परिषद में 20 सदस्य मनोनीत किये गये हैं। इनमें मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, प्रमुख सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास, प्रमुख सचिव उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, प्रमुख सचिव पशुपालन, प्रमुख सचिव मछुआ कल्याण तथा मत्स्य-पालन, प्रमुख सचिव खाद्य-नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, राजमाता विजयाराजे सिंधिया विश्वविद्यालय, ग्वालियर के वाइस चांसलर श्री एस.आर. राव और राज्य कृषि विपणन संघ, राज्य सहकारी संघ, राज्य सहकारी विपणन संघ के प्रबंध संचालक और संचालक किसान-कल्याण तथा कृषि विकास, संचालक उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी एवं संचालक कृषि अभियांत्रिकी शामिल हैं। इनके अलावा परिषद में 7 अशासकीय सदस्य मनोनीत किये गये हैं। इन सदस्यों के नाम श्री दिनेश गुर्जर मुरैना, श्री शिवकुमार शर्मा (कक्काजी) होशंगाबाद, श्री उमराव सिंह गुर्जर नीमच, श्री केदार सिरोही हरदा, श्री विश्वनाथ ओक्टे छिन्दवाड़ा, श्री ताराचंद पाटीदार रतलाम और श्री बृजबिहारी पटेल जबलपुर हैं।

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