उर्वरक सब्सिडी पर असमंजस
(राजेश दुबे)
8 अप्रैल 2022, भोपाल । उर्वरक सब्सिडी पर असमंजस – भारत में अनुदान पर मिलने वाली वस्तुओं में खाद्यान्न के बाद दूसरे नं. पर उर्वरक आता है। इसके बावजूद प्रतिवर्ष उर्वरक की कमी और उसकी बढ़ती कीमत किसान और कृषि के लिये विकराल समस्या रहती है। रासायनिक उर्वरक या उसके कच्चे माल, दोनों के लिये आयात पर निर्भरता समस्या को और अधिक विकराल बना देती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव से किसानों को बचाने के लिये भारत सरकार को उर्वरक पर अनुदान देना पड़ता है। भारत सरकार सभी प्रमुख उर्वरकों यूरिया, डीएपी, एमओपी तथा काम्पलेक्स पर सब्सिडी प्रदान कर रही है।
कन्ट्रोल्ड कमोडिटी वाले यूरिया का एमआरपी 1 मार्च 2018 से पहले 5260 रुपये प्रति टन था। इसके बाद सरकार ने यूरिया की पैकिंग 45 कि.ग्रा. प्रति बैग निर्धारित कर एमआरपी 5377 रु. प्रति टन निश्चित कर दी। डीएपी, एमओपी और एनपीकेएस उर्वरकों की कीमतों का आधार मुख्यत: अंतर्राष्ट्रीय बाजार होता है। इन्हें डीकन्ट्रोल्ड कमोडिटी के अंतर्गत रखा गया और वर्ष 2010 से इन पर अनुदान हेतु न्यूट्रिएंट बेस्ड स्कीम (एनबीएस) लागू की गई।
लोकसभा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा दी गई जानकारी अनुसार विगत 7 वर्षों में डीएपी पर सब्सिडी की दर लगभग दुगनी होकर 1211.55 रु. प्रति बैग (50 कि.ग्रा.) हो गई है। वहीं एनपीकेएस पर भी वर्तमान सब्सिडी दर 732.35 रु. प्रति बैग (50 कि.ग्रा.) है। वर्ष 2015-16 में यह 457.23 रु. प्रति बैग थी।
डीकन्ट्रोल्ड फर्टिलाइजर के लिये आयात पर निर्भरता और सरकार का उर्वरक अनुदान पर ढुलमुल रवैया इन उर्वरकों की उपलब्धता को हमेशा प्रभावित करता रहा है। वर्ष 2021-22 में भी एनबीएस के अंतर्गत अनुदान नीति के निर्धारण में देरी हुई। जिसके कारण न सिर्फ सरकार को अनुदान के लिये बजट में निर्धारित राशि 79,530 करोड़ रु. से अधिक 1 लाख 40 हजार 122 करोड़ रु. का भार वहन करना पड़ा, बल्कि किसानों को भी उर्वरक खरीदने के लिये जद्दोजहद का सामना करना पड़ा। हालांकि चालू वित्त वर्ष में सरकार ने गत वर्ष के आवंटित बजट से अधिक लगभग 1 लाख करोड़ रु. उर्वरक अनुदान के लिये आवंटित किये है।
लेकिन सरकार ने उर्वरक अनुदान नीति अभी तक घोषित नहीं की है। जिसके कारण उर्वरक उद्योग डीकन्ट्रोल्ड फर्टिलाइजर का मूल्य निर्धारण नहीं कर पा रहा है। उर्वरक आयातक भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सौदे नहीं कर पा रहे हैं। जबकि रूस-यूक्रेन संघर्ष एवं अन्य कारणों से अंतर्राष्ट्रीय उर्वरक बाजार में तेजी बनी हुई है। केन्द्रीय उर्वरक मंत्रालय के शीर्ष पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सरकार के लिये कृषक हित सबसे ऊपर है। खरीफ सीजन में उर्वरक उपलब्धता के बारे में सूत्रों का कहना है कि सरकार ने 70 लाख टन यूरिया और 30 लाख टन डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित की हुई है।
विगत 7 वर्षों में उर्वरकों पर सब्सिडी दर :-
डीएपी | एमओपी | एनपीकेएस | |||||||
वर्ष | सब्सिडी दर | मुद्रित एमआरपी (औसत) | मंडी मूल्य बिना सब्सिडी (50 कि.ग्रा. बैग) | सब्सिडी दर | मुद्रित एमआरपी (औसत) | मंडी मूल्य बिना सब्सिडी (50 कि.ग्रा. बैग) | सब्सिडी दर | मुद्रित एमआरपी (औसत) | मंडी मूल्य बिना सब्सिडी (50 कि.ग्रा. बैग) |
2015-16 | 617.5 | 1250 | 1867.5 | 465 | 825.35 | 1290.35 | 457.23 | 1014.3 | 1471.53 |
2016-17 | 447.25 | 1151.65 | 1598.9 | 464.1 | 638.4 | 1102.5 | 356.63 | 973.2 | 1329.83 |
2017-18 | 446.85 | 1112.15 | 1559 | 371.85 | 593.4 | 965.25 | 349.54 | 955.2 | 1304.74 |
2018-19 | 520.1 | 1348.65 | 1868.75 | 333.7 | 809.4 | 1143.1 | 379.52 | 1116.85 | 1496.37 |
2019-20 | 520.1 | 1325.7 | 1845.8 | 333.7 | 951.65 | 1285.35 | 380.77 | 1141.55 | 1522.32 |
2020-21 | 511.55 | 1250.75 | 1762.3 | 303.5 | 893.65 | 1197.15 | 381.35 | 1126.5 | 1507.85 |
2021-22 | 1211.55 | 1267.05 | 2478.6 | 333.7 | 1129.85 | 1433.35 | 732.35 | 1406 | 2138.35 |
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