Editorial (संपादकीय)

स्वयं का बीज बनायें

Share

3 मई 2023, भोपाल स्वयं का बीज बनायें – उत्पादन की प्रथम सीढ़ी अच्छा बीज होता है और अच्छे बीज की प्राप्ति हेतु कृषक काफी दौड़-धूप करता है क्योंकि उसे मालूम है कि उन्नत बीज ही सफल खेती का पहला कदम है। अच्छे बीज के लिये प्रयास जरूरी है। परंतु हर वर्ष यह दौड़ नहीं होनी चाहिये क्योंकि अच्छा बीज स्वयं कृषकों के खेतों में उपलब्ध है। वर्तमान का युग लाभकारी खेती और स्वावलम्बी कृषक का है किसी भी जिन्स का आधार बीज यदि आपने लगा रखा है तो सतत खेत में निरीक्षण करते रहें और अपने खेत के उस हिस्से पर नजर रखें जो सामान्य से अधिक अच्छा दिख रहा है। हम गेहूं का ही उदाहरण लें तो जिस किसी क्षेत्र में समान बालियाँ दिखाई दे रही हों, एक सी ऊंचाई के पौधे हों उस क्षेत्र के पौधों का चयन बीज तैयार करने के लिये कर लें। गेहूं की सबसे खतरनाक बीमारी कंडुआ जो बीज जनित होती है जिसके कारण स्वस्थ बालों में बीज की जगह काली चूर्ण भरी हो उसका निरीक्षण बड़ी सावधानी से करें और उक्त क्षेत्र की फसल की उपज बीज के मतलब से कदापि नहीं रखें हमें आज जो स्वस्थ दाना दिख रहा है उसमें फूल अवस्था में ही कंडुआ रोग की कवक प्रवेश कर चुकी है और भविष्य में यदि इस तरह के अनाज को बीज की तरह उपयोग किया गया तो गेहूं बोकर कंडुआ काटने की नौबत आने से कोई नहीं रोक पायेगा केवल कंडुआ ग्रसित पौधों को हटाने से यह नहीं समझें कि बाकी फसल ठीक है और उसका अनाज आने वाले साल में बीज  जैसा उपयोग किया जा सकता है अत: आने वाले वर्ष के लिये, स्वयं के बीज बनाने के लिये ऐसे क्षेत्र का चयन जरूरी होगा जहां पर दूर-दूर तक कंडुआ के पौधे नहीं है।

समान ऊंचाई वाले एक सी बालों वाले क्षेत्र में घूम कर खरपतवार के पौधे विशेषकर गेहूं का मामा तथा बथुआ के पौधे जिसमें हजारों बीज बन चुके हैं सावधानी पूर्वक जड़ समेत निकाल कर खाद के गड्ढों में डाल दें। चयनित क्षेत्र में ऐसे गेहूं के पौधों को भी निकाल लें जो दूसरी किस्मों के हंै इस क्रिया को रोगिंग कहा जाता है। रोगिंग करने के पश्चात पूर्ण रूप से यह सुनिश्चित कर लें कि पत्तियों पर झुलसा रोग तो नहीं है क्योंकि यह झुलसा रोग भी पत्तियों के बाद कोमल दानों पर आक्रमण करके अपनी जगह बना लेता है दानों पर काला धब्बा ब्लेक प्वाईंट आमतौर पर देखा जाता है जो कालान्तर में अंकुरण के समय बाधक सिद्ध होता है और खेत में समुचित पौध संख्या नहीं बनने देता है। चयनित क्षेत्र में यह भी देख लें कि चूहे के बिल तो नहीं हंै क्योंकि हरी बालियों को काटकर खाना कम परंतु नुकसान करना चूहों की फितरत में रहता है। यदि चूहों के सक्रिय बिल मौजूद हों तो चूहों के नियंत्रण का समुचित उपाय भी करने में कोई कसर नहीं की जाना चाहिए इसके लिये विष प्रपंच जरूरी होता है। दो-तीन दिन तक बिना विष से बनी आटे, गुड़, तेल की गोलियों का भोजन चूहों को आकर्षित करने के लिये परोसा जाये फिर विष मिलाकर गोली रखें ताकि अधिक से अधिक चूहे नष्ट होकर बीज के लिये चयनित फसल को हानि नहीं पहुंचा पायें। समय -समय पर इस चयनित क्षेत्र की फसल की देखभाल अधिक तत्परता से की जाये और जब कभी भी फसल कटने लायक हो जाये इस चयनित क्षेत्र की फसल अलग से काटी जाये इसकी गहाई तथा उड़ाई भी अलग से हो तथा यथासम्भव नये बारदाने, कोठियों मेें अच्छी तरह सुखाकर ही इस अनाज को जो आने वाले वर्ष में बीज माना जायेगा को भंडारित किया जाये। उल्लेखनीय है कि हर वर्ष नये बीज की तलाश में श्रम और अर्थ व्यय करने से कहीं अच्छा है कि थोड़ी मेहनत करके स्वयं अपने खेत में ऊग रहे अनाज से ही शुद्ध बीज तैयार किया जाये। ध्यान रहे बीज एक ऐसा आदान है जिस पर सबसे अधिक खर्च होता है यदि इस खर्च में कमी हो जाये तो निश्चित ही लाभकारी खेती का सपना साकार हो सकता है जो आपके हाथों में है।

महत्वपूर्ण खबर: जानिए कैसे करें इफको नैनो डीएपी का उपयोग

Share
Advertisements