परिवार की तरह मानते थे दफ्तर के स्टाफ को स्व एल के जोशी जी
परिवार की तरह मानते थे दफ्तर के स्टाफ को स्व एल के जोशी जी
आय एस अफसर श्री ललित कुमार जोशी मध्य प्रदेश में वर्षों पदस्थ रहे । बस्तर, छतरपुर,जबलपुर,भोपाल और दिल्ली में अधिक पदस्थ रहे।जनसंपर्क विभाग में उनका कार्यकाल याद किया जाता है ,प्रत्येक अधिकारी और स्टाफ को परिवार का सदस्य मानते थे।पत्रकारों के साथ भी उनके आत्मीय रिश्ते होते थे ।
भोपाल में पदस्थ होने के दौरान वे अक्सर अकेले रहा करते थे । प्रातः सात, साढ़े सात बजे तक दफ्तर आ जाया करते थे, श्री जोशी बहुत जूनियर अधिकारियों से भी व्यंग्य विनोद किया करते थे मुझे स्मरण है वर्ष 1987 में नवंबर महीने में मैंने इस विभाग में जब नौकरी प्रारंभ की तो जबलपुर में राष्ट्रपति का आगमन था। नवंबर का महीना था । हल्की सर्दी थी । डुमना एयरपोर्ट पर प्रोटोकाल के तहत ब्लेक सूट में वहां पहुंचे श्री जोशी ने मुझे भी न्यूज कवरेज की ड्यूटी पर लगाया था ।मुझे हाफ स्वेटर भी पहना हुआ नहीं था।तब जोशी जी बोले दिखने में सींकिया पहलवान हो।ठंड को इतनी चुनौती दे रहे हो। उनकी व्यंग्योक्तियां गुदगुदाया करती थी।
बाद में भोपाल एक अवसर में मुझे ट्रेनिंग कार्यक्रम का जिम्मा दिया,मुख्यमंत्री प्रेस प्रकोष्ठ में पदस्थ किया और राज्य निर्वाचन आयोग में प्रचार का दायित्व भी सौंपा।अन्य अधिकारियों के साथ ही मध्यप्रदेश माध्यम में लंबे समय तक पदस्थ रहे श्री संजीव दत्त से उनका बहुत लगाव था । संजीव दत्त द्वारा अंग्रेजी से अनुवाद को ध्यान से पढ़ते थे। चर्चित कृति हू मूवड माय चीज के संक्षिप्त हिंदी अनुवाद की बहुत प्रशंसा की थी। उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के अपने दौर के भी किस्से सुनाया करते थे।जनसंपर्क अधिकारियों द्वारा उपलब्धियों पर आलेख लिखे जाने पर नोटिस करते थे और उस लेख की कतरन पर उत्कृष्ट, बहुत अच्छा जैसे शब्द लिखकर अपने भृत्य को वह कतरन देकर संबंधित अधिकारी तक पहुंचा देते थे । बहुत अचरज होता था कि कभी-कभी पत्र में जावक नंबर भी लिखा होता था।
साप्ताहिक
कृषक जगत में छपे एक आलेख को देख जोशी साहब बोले थे,पहली बार किसी अखबार ने क्रिस्प की गतिविधियों पर लिखा है।प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा होने के नाते वे क्रिस्प के प्रमुख भी थे।
श्री जोशी ने जनसंपर्क की बारीकियों को जानते हुए अधिकारियों की क्षमता अनुसार जरूरी कार्य लिए।
मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग का नाम पूर्व में सूचना प्रकाशन था जो श्री जोशी को बहुत प्रिय था। उन्होंने एक बार बैठक में कहा भी था कि विभाग का नाम जनसंपर्क होते ही इसका कार्य स्वरूप बदल देना उचित नहीं होगा।
आज श्री जोशी के अवसान का समाचार सुनकर मन दुखी हो गया और चलचित्र की तरह श्री जोशी के बिंदास ठहाके, बातचीत में उपयोग किए जाने वाले चुटीले वाक्य और रोचक शब्द चयन के उदाहरण याद आने लगे। एक कर्मठ, मिलनसार, विनम्र और गरिमामय व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि।
अशोक मनवानी