फल- सब्जियों का किसान को उचित मूल्य कब ?
देश में पिछले कुछ वर्षों में फल व सब्जियों के उत्पादन में सकारात्मक वृद्धि देखने को मिली है। वर्ष 2014-15 में फलों का कुल उत्पादन जहां 895.14 लाख मेट्रिक टन था वहीं वर्ष 2016-17 में फलों का कुल उत्पादन 917.28 लाख मेट्रिक टन होने की संभावना है। पिछले दो वर्षों में फलों के उत्पादन में 22.14 लाख टन की वृद्धि एक शुभ संकेत है। इनमें 22.18 लाख टन की वृद्धि मात्र केले के उत्पादन के कारण हुई है। जिसका क्षेत्र पिछले दो वर्षों में 1.1 लाख हेक्टर की वृद्धि हुई है इसका असर उत्पादन में भी देखने को मिला है जिससे उत्पादन में 6.91 लाख टन की वृद्धि हुई है। इस वर्ष नींबू जाति फलों के क्षेत्र तथा उत्पादन दोनों में कमी आई है। जहां इन फलों के क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में 54 हजार हेक्टर घट गया है जो एक चिन्ता का विषय है। क्षेत्र में कमी के कारणों का पता लगाना तथा उसके निराकरण हेतु कदम उठाना आवश्यक हो गया है।
देश में सब्जियों के उत्पादन में भी वृद्धि देश के किसानों की सकारात्मक सोच को दर्शाता है। जहां वर्ष 2014-15 में किसानों ने 94.17 लाख हेक्टर में सब्जियां ली वहीं इस वर्ष उसका क्षेत्र बढ़कर 99.52 लाख हेक्टर हो गया है। दो वर्षों में सब्जियों के क्षेत्र में 5.35 लाख हेक्टर की वृद्धि किसानों तथा उपभोक्ताओं की बदलती सोच की ओर इशारा करती है। सब्जियों के उत्पादन में मौसम के कारण उतार-चढ़ाव देखे जाते रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में सब्जियों का उत्पादन 165.66 से 169.64 लाख टन के बीच में देखा जा रहा है। यह प्रति व्यक्ति लगभग 355 ग्राम सब्जी की खपत प्रति व्यक्ति दर्शाता है जो सब्जी उत्पादन तथा खपत के संदर्भ में सामाजिक प्रगति की ओर संकेत करता है। सब्जियों में उनके क्षेत्र की दृष्टि से आलू, प्याज, टमाटर तथा बैंगन चार प्रमुख फसलें हैं जिन्हें क्रमश: 21.24, 11.88, 7.76 तथा 6.63 लाख हेक्टर में लिया जाता है और इनका उत्पादन क्रमश: 438.83, 197.13, 189.11 तथा 126.04 लाख टन के आसपास रहता है।
फलों व सब्जियों के उत्पादन में मौसम का बहुत असर पड़ता है और इनकी उत्पादन का फायदा किसान को न मिलकर बिचौलियों को अधिक मिलता है। अधिक उत्पादन वाले वर्षों में ऐसी स्थिति आ जाती है कि किसान को उसकी तुड़ाई की कीमत तक नहीं मिल पाती। केन्द्रीय व राज्य सरकारों को फल तथा सब्जी उत्पादक किसानों के लिये दूरगामी नीति बनाना अब आवश्यक हो गया है ताकि उन्हें उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके तथा उनकी मेहनत का फायदा उन्हें ही मिले न कि बिचौलियों को।