State News (राज्य कृषि समाचार)

जबलपुर कृषि विश्व विद्यालय में स्टीविया की खेती प्रसंस्करण, मूल्य-संवर्धन, विपणन पर हो रहा शोध

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स्टीविया की पत्तियां ब्लड शुगर का वैकल्पिक स्त्रोत

19 अप्रैल 2024, जबलपुर: जबलपुर कृषि विश्व विद्यालय में स्टीविया की खेती प्रसंस्करण, मूल्य-संवर्धन, विपणन पर हो रहा शोध – जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलगुरू डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा की प्रेरणा से एवं पादप कार्यिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आर.के. समैया के मार्गदर्शन में औषधीय उद्यान में स्टीविया की खेती चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल औषधीय उद्यान प्रभारी डॉ. ज्ञानेन्द्र तिवारी की देखरेख में स्टीविया की खेती की जा रही है। डॉ. तिवारी ने बताया कि स्टीविया की खेती किसानों की आय का स्त्रोत ही नहीं, बल्कि डायबिटीज के मरीजों के लिये शक्कर का वैकल्पिक स्त्रोत होने के साथ-साथ ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। भारत में आजकल हर तीसरा-चौथा व्यक्ति डायबिटीज, मोटापा जैसी घातक बीमारियों से ग्रसित होता जा रहा है। इसलिये ऐसे मरीजों के लिये शुगर का वैकल्पिक स्त्रोत एवं बीमारी से बचाव की आवश्यकता है। स्टीविया की पत्तियां शक्कर की तुलना में 20 से 25 गुना अधिक मीठी होने के कारण इसका व्यवसायिक उपयोग पूरे विश्व में बहुत तेजी से हो रहा है।

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा स्टीविया की उन्नत खेती प्रसंस्करण, मूल्य-संवर्धन एवं विपणन के क्षेत्र में शोध कार्य किये जा रहे हैं, साथ ही इसके उत्पादों का पेटेंट प्राप्त करने की दिशा में कार्य प्रगति पर है। दरअसल इसकी खेती के लिये मध्यप्रदेश के वो सभी क्षेत्र उपयुक्त हैं, जहां जल भराव की समस्या नहीं होंने के साथ-साथ सिंचाई की समुचित व्यवस्था है। स्टीविया की खेती से परंपरागत कृषि फसलों की तुलना में तीन गुना तक अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। स्टीविया की फसल एक बार लगाने के बाद 5 साल तक पत्तियों का उत्पादन किया जा सकता है। प्रत्येक वर्ष 3 बार पत्तियों की कटिंग की जा सकती है। स्टीविया के पत्तो से ही औषधि बनाई जाती है। हर वर्ष 30 से 35 क्विंटल सूखी पत्तियों  का उत्पादन प्रति हेक्टेयर होने की संभावना बताई गई है। जिससे वर्ष भर में प्रति हेक्टेयर 150 से 175 क्विंटल सूखी पत्तियों का उत्पादन होता है। लिहाजा स्टीविया की पत्तियां सौ रूपये किलोग्राम के मूल्य से विक्रय की जाती हैं। विश्वविद्यालय स्थित औषधीय उद्यान में वर्तमान में 11 सौ प्रकार के अलग-अलग किस्मों के पौधे संरक्षित हैं। जिनसे कई गंभीर बीमारियों के उपचार हेतु औषधियां तैयार की जाती हैं एवं शोध कार्य किये जा रहे हैं। 

स्टीविया से फायदे

1. स्टीविया के सेवन से मोटापा कम किया जा सकता है।

2. स्टीविया से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।

3. हार्ट के मरीजों के लिये स्टीविया फायदेमंद होती है।

4. जोड़ों के दर्द में स्टीविया आराम दिलाती है।

5. स्टीविया की खेती से कम लागत में कई गुना अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।

6. स्टीविया की खेती कभी भी की जा सकती है।

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