State News (राज्य कृषि समाचार)

सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह (17-23 जुलाई 2023 )

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17 जुलाई 2023, इंदौर: सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह (17-23 जुलाई 2023 ) – भाकृअप – भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान , इंदौर द्वारा इस सप्ताह  सोयाबीन कृषकों के लिए जो उपयोगी सलाह दी गई है , वह इस प्रकार है –

1 – मराठवाड़ा  क्षेत्र तथा मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के कुछेक  गांवों  में के जिन किसानों की सोयाबीन बोवनी होना शेष हैं, उनको सलाह है,कि कम समय में पकने वाली सोयाबीन किस्मों को प्राथमिकता देकर 30 सेमी. कतारों की दूरी पर लगभग 100  किग्रा./हे की दर से इस सप्ताह सोयाबीन की बोवनी करें. ऐसे किसानों के लिए सलाह है कि बीजोपचार, खाद-उर्वरकों की मात्रा आदि  की  जानकारी हेतु विगत सप्ताह जारी की गई साप्ताहिक सलाह का सन्दर्भ लें।

2 – कई क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होने की सूचनाये प्राप्त हुई हैं, कृषकों को सलाह हैं कि जलभराव से होने वाले नुकसान से सोयाबीन फसल को बचाने हेतु अतिरिक्त जल-निकासी सुनिश्चित करें।

3 – सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण हेतु वरीयता अनुसार हाथ से निंदाई, डोरा/कुल्पा का प्रयोग/खड़ी फसल में उपयोगी खरपतवारनाशकों (तालिका 1 ) में से किसी एक विधि का प्रयोग करें, जिसके लिए निम्न सावधानियों का अनुपालन करने की सलाह है :

खरपतवारनाशकों के छिडकाव हेतु पॉवर स्प्रयेर का उपयोग करते हुए 125 लीटर /हे या नेपसेक स्प्रयेर से 450 लीटर/हे का प्रयोग सुनिश्चित करें।

खरपतवारनाशकों के छिडकाव के लिए फ्लड जेट/फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें।

4 – राजस्थान के  चित्तौड़गढ़ जिले में पीला मोज़ेक रोग का प्रारंभ होने की सूचना है, अतः इस रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फ़ैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है. यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषकगणअपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

5 – राजस्थान के कुछ जिलों में बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप होने की सूचनाएं  प्राप्त हुई हैं।  इसके नियंत्रण हेतु सलाह है कि प्रारंभिक अवस्था में ही झुण्ड में रहने वाली इन इल्लियों  को पौधे सहित खेत से निष्कासित करें एवं फसल पर लैम्ब्डासायहेलोथ्रिन 04 .90 सी.एस. (300 मिली/हे) या इंडोक्साकार्ब 15.8 एस.सी. (333  मिली/हे) का छिडकाव करें।

6 – वर्तमान परिस्थिति में जिस प्रकार से रुक रुक कर बारिश हो रही है, सेमिलूपर या तंबाकू की इलियों का अधिक प्रकोप होने की संभावना बढ़ जाती है. इसी प्रकार जहाँ अधिक पौध संख्या है, चक्र भृंग का प्रकोप भी बढ़ सकता है, अतः कृषकों को यह भी सलाह है कि अपने खेत की सतत निगरानी करें एवं इन कीटों की प्रारंभिक अवस्था में ही नियंत्रण के उपाय अपनाएं।

7 – ऐसे कृषक जिन्होंने अपनी फसल में बोवनी पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशकों का प्रयोग किया  है , सलाह है  कि खरपतवारों के नियंत्रण हेतु सुविधाजनक मौसम होने पर डोरा/कुलपा चलायें।

8 –  जहां फसल 15-20 दिन की हो गई है, और अभी तक किसी भी प्रकार के खरपतवारनाशक का प्रयोग नहीं किया है, सलाह है कि सोयाबीन फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अनुशंसित खड़ी फसल में उपयोगी किसी एक रासायनिक खरपतवारनाशक का छिड़काव करें ( तालिका 1 देखे)।

9  – भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान  संस्थान  द्वारा खरपतवारनाशकों एवं कीटनाशकों की सांगतता बाबत अभी तक  किए  गए अनुसन्धान परीक्षणों के अनुसार निम्न खरपतवारनाशक एवं कीटनाशकों की संगतता पाई गई हैं. अतः सलाह है कि जिन्होंने बोवनी पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशकों का अभी तक प्रयोग नहीं किया है, निम्न  सूची  में से कोई एक कीटनाशक एवं खरपतवारनाशक का मिलाकर छिड़काव  किया जा सकता है –

(1) कीटनाशक: क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) या क्विनाल्फोस 25 ई.सी (1 ली/हे) या इन्डोक्साकर्ब 15.8 एस.सी (333मि.ली./हे)।
(2) खरपतवारनाशक: इमाज़ेथापायर 10 एस.एल (1 ली/हे) या क्विजालोफोप इथाइल 5 ई.सी (1 ली/हे)।

10  – जिन रसायनों के मिश्रण के सम्बंध में कोई वैज्ञानिक अनुशंसा या पूर्व अनुभव नहीं है, ऐसे मिश्रण का उपयोग कदापि नहीं करें।  इससे फ़सल को नुकसान हो सकता है।

11  – जहाँ पर फसल 15-20 दिन की हो गई हो, पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा हेतु फूल आने से पहले ही सोयाबीन फसल में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) का छिडकाव करें।  इससे अगले 30 दिनों तक पर्णभक्षी कीटों से सुरक्षा मिलेगी।

12 – तना मक्खी के नियंत्रण हेतु सलाह है कि पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डासायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350  मिली./हे.) का छिड़काव करें।

तालिका -1  

खरपतवारनाशकों की सूची (मात्रा / हेक्ट ) में।

बोवनी के पूर्व  उपयोगी –  पेण्डीमिथालीन+इमेझेथापायर   (2.5-3 ली.) ( चौड़ी पत्ती एवं घासवर्गीय )

बोवनी  के तुरन्त बाद उपयोगी  –  डायक्लोसुलम 84 डब्ल्यू.डी. जी.(26 -30  ग्राम ), सल्फेन्ट्राझोन 39.6 एस.सी.(0.75 ली.),क्लोमोझोन 50 ई.सी. (1.5 – 2.00 ली.) , पेण्डीमिथालीन 30 ई.सी.(2.5-3.30 ली.),पेण्डीमिथालीन 38.7 सी.एस.( 1.5-1.75  कि .ग्रा ),फ्लूमिआक्साझिन 50 एस.सी.(0.25 ली.), ( चौड़ी पत्ती वाले ) मेट्रीब्युझिन 70 डब्ल्यू.पी.(0.5-0.75  कि .ग्रा.),( चौड़ी पत्ती एवं घास वर्गीय )सल्फेन्ट्राझोन+क्लोमोझोन (1.25 ली ), ( चौड़ी पत्ती एवं घास वर्गीय ),पायरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यू.जी.(150 ग्रा.),( चौड़ी पत्ती वाले ) मेटालोक्लोर 50 ई.सी.(2.0 ली.) ( चौड़ी पत्ती एवं घास वर्गीय )।

बोनी के 10-12 दिन बाद उपयोगी –  क्लोरीम्यूरान इथाईल 25 डब्ल्यू.पी 36  ग्राम ( चौड़ी पत्ती वाले )

बोनी के 15-20 दिन बाद उपयोगी – इमेझेथापायर 10 एस.एल.(1.00 ली.), ( चौड़ी पत्ती वाले ) ,इमेझेथापायर 70% डब्ल्यू. जी + सर्फेक्टेन्ट (100ग्रा.) ( चौड़ी पत्ती एवं घासवर्गीय ) ,क्विजालोफाप इथाईल 5 ई.सी.(0.75-1.00 ली.), क्विजालोफाप-पी-इथाईल 10 ई.सी.(375-450 मि.ली.),फेनाक्सीफाप-पी-इथाईल 9 ई.सी.(1.11 ली.), क्विजालोफाप-पी-टेफ्युरिल 4.41 ई.सी.(0.75- 1.00 ली.) ,फ्ल्यूआजीफॉप-पी-ब्युटाईल 13.4 ई.सी.(1-2 ली.), हेलाक्सिफॉप आर मिथाईल 10.5 ई.सी.( 1-1.25 ली.),  प्रोपाक्विजाफॉप 10 ई.सी.(0.5-0.75 ली.), ( सभी घासवर्गीय ) फ्लमूथियासेट मिथाईल 10.3 ई.सी. (125 मि.ली.),( चौड़ी पत्ती वाले ) क्लेथोडियम 25 ई.सी.(0.5 -0.70 ली. ) ( घासवर्गीय )  ।

पूर्व मिश्रित  खरपतवारनाशक  ( बोवनी के 15 -20  दिन बाद उपयोगी )- फ्ल्यूआजीफॉप-पी- ब्यूटाइल + फोमेसाफेन (1.0 ली.), इमेझेथापायर+ इमेजामॉक्स (100 ग्रा.),    प्रोपाक्विजाफॉप+  इमेझेथापायर (2.0 ली.), सोडियम  एसीफ्लोरफेन+ क्लोडिनाफाप प्रोपारगील ( 1 ली ),  फोमेसाफेन + क्विजालोफाप इथाईल  ( 1.5 ली.), क्विजालोफाप इथाईल + क्लोरी मयूरान  इथाईल + सरफेक्टेंट ( 375 मिली+36 ग्रा.) ( सभी चौड़ी पत्ती एवं घासवर्गीय )।

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