State News (राज्य कृषि समाचार)

सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह ( 12 से 18 जून )

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14 जून 2023, इंदौर: सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह ( 12 से 18 जून ) – भा.कृ .अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान , इंदौर द्वारा इस सप्ताह सोयाबीन की खेती किए जाने वाले क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति को देखते हुए सोया कृषकों को  निम्न पद्धतियों / तकनीकी जानकारी के अनुपालन की सलाह दी जाती  है –

1 – सोयाबीन की बोवनी के लिए उपयुक्त समय: मानसून के आगमन के पश्चात न्यूनतम 100 मिमी  वर्षा होने पर ही सोयाबीन की बोवनी करें जिससे उगी हुई फसल को सूखा  /कम नमी के कारण किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो।

2 –  किस्मों की विविधतता :  उत्पादन में स्थिरता की दृष्टि से विभिन्न समयावधि में पकनेवाली अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसित  2-3 किस्मों की खेती करें ।

3 –  उपलब्ध बीज की गुणवत्ता जांच: अंकुरण परीक्षण के माध्यम से सोयाबीन की बोवनी हेतु उपलब्ध बीज का अंकुरण न्यूनतम 70 % सुनिश्चित करें।

4 – खेत की तैयारी  : प्रत्येक 3-4  वर्ष में एक बार खेत में गहरी जुताई  करनेकी अनुशंसा है। इस वर्ष यदि गहरी जुताई नहीं करनी हो, विपरीत दिशाओं में दो बार बक्खर एवं  पाटा चलाकर खेत को बोवनी हेतु तैयार करें।

5 – कार्बनिक खाद का प्रयोग :  अंतिम  बखरनी के  पूर्व पूर्णताः  पकी हुई गोबर की  खाद की अनुशंसित  मात्रा (5 से10 टन/ हे ) या कम्पोस्ट (5 टन/हे) या  मुर्गी की  खाद / वर्मी कम्पोस्ट (2.5 टन  प्रति हे ) की दर से फैला दें।

  6 – बोवनी की पद्धति :  विपरीत मौसम (सूखे की स्थिति ,अतिवृष्टि आदि) से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए  सोयाबीन की बोवनी बी.बी.एफ.पद्धति  या  रिज एवं फरो पद्धति से  करें।

7  – कतारों/पौधों की दूरी , गहराई एवं बीज दर :  कृषकों को सलाह है कि सोयाबीन की बोवनी हेतु अनुशंसित  45 से.मी.कतारों की दूरी का अनुपालन करें। साथ ही बीज को 2-3 से. मी. की गहराई पर बोवनी करते हुए पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. रखें।सोयाबीन को बीज दर  60-70  किग्रा /हे की दर से उपयोग करें।

8 – पोषण प्रबंधन/ उर्वरकों  का प्रयोग: सोयाबीन फसल के  लिए आवश्यक पोषक तत्वों  ( 25:40:60:20 कि .ग्रा/हे नाइट्रोज़न फॉस्फोरस ,पोटाश व सल्फर) की पूर्ति केवल बोवनी के समय करें. इसके लिए इनमें से कोई भी एक  उर्वरकों के स्रोत  का चयन किया जा सकता  है –

1.  यूरिया 56  कि .ग्रा. + 375-400  कि .ग्रा. सिंगल सुपर फॉस्फे ट व 67  कि ग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश अथवा
2. डी.ए.पी 125  कि ग्रा .+ 67  कि ग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश +25  कि ग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर अथवा
3.  मिश्रित उर्वरक  12:32:16 @ 200  कि ग्रा + 25  कि ग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर।

9  – फफूंद नाशक एवं कीटनाशक से बीजोपचार: सोयाबीन फसल की प्रारंभिक अवस्था में रोग तथा  कीटों से बचाव के साथ-साथ उपयुक्त  पौध संख्या   सुनिश्चित करने हेतु सोयाबीन में बीजोपचार अत्यंत आवश्यक है। इसके  लिए अनुशंसा है कि बीज को अनुशंसित पूर्व मिश्रित
 फफूंदनाशक एज़ोक्सीस्ट्रोबिन  2.5%+ थायो फिनेट  मिथाईल 11.25%+  थायो मिथाक्साम 25% एफ.एस . (10 मि .ली./ कि .ग्रा. बीज ) अथवा पेनफ्लूफेऩ़+ ट्रायफ्लोक्सी स्ट्रोबिन 38एफ.एस. (1  मि .ली/. कि .ग्रा . बीज ) अथवा  कार्बोक्सिन  37.5%+थाइरम 37.5% (3  ग्राम/ कि .ग्रा . बीज ) अथवा  कार्बेन्डाजिम  25%+ मेंकोजेब  50% डब्ल्यू.एस. (3 ग्रा./ कि .ग्रा. बीज ) से  उपचारित कर थोड़ी देर  छाया में  सुखाएं तत्पश्चात अनुशंसित कीटनाशक थायो मिथाक्साम  30 एफ.एस.10  मि .ली दम.ली/. कि .ग्रा . बीज  (अथवा  इमिडाक्लोप्रिड ) 1.25
 मि .ली/. कि .ग्रा . बीज से भी उपचारित करें।

10  –  जैविक  कल्चर से टीकाकरण: सोयाबीन की बोवनी करते समय  बीज को जैविक  कल्चर ब्रेडीरायबियम  + पी.एस.एम  प्रत्येक की  5 ग्राम/ कि ग्रा .बीज की दर से करें।  कृषक गण रासायनिक  फफूंदनाशक  के स्थान  पर जैविक  फफूंदनाशक  ट्राइकोडर्मा ( 10 ग्राम/ कि ग्रा बीज ) का भी उपयोग कर सकते हैं।  जिसको  जैविक  कल्चर के साथ  मिलकर  प्रयोग  किया जा सकता है।

11 – खरपतवारनाशी का प्रयोग:  कृषकगण अपनी  सुविधा के अनुसार अनुशंसित खरपतवारनाशकों में से अपने क्षेत्र में व्याप्त  खरपतवारों के प्रकार देखकर आवश्यकतानुसार  निम्न में से किसी  एक का प्रयोग खरपतवार नियंत्रण  हेतु कर सकते हैं।  

खरपतवार नाशक की सूची (मात्रा / हेक्ट ) में।

बोवनी के पूर्व उपयोगी – पेण्डीमिथालीन+इमेझेथापायर   (2.5-3 ली.)

बोवनी  के तुरन्त बाद उपयोगी  –  डायक्लोसुलम 84 डब्ल्यू.डी. जी.(26 -30  ग्राम ), सल्फेन्ट्राझोन 39.6 एस.सी.(0.75 ली.),क्लोमोझोन 50 ई.सी. (1.5 – 2.00 ली.) , पेण्डीमिथालीन 30 ई.सी.(2.5-3.30 ली.),पेण्डीमिथालीन 38.7 सी.एस.( 1.5-1.75  कि .ग्रा ),फ्लूमिआक्साझिन 50 एस.सी.(0.25 ली.),मेट्रीब्युझिन 70 डब्ल्यू.पी.(0.5-0.75  कि ग्रा.),सल्फेन्ट्राझोन+क्लोमोझोन (1.25 ली ),पायरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यू.जी.(150 ग्रा.), मेटालोक्लोर 50 ई.सी.(2.0 ली.)

बोनी के 10-12 दिन बाद उपयोगी –  क्लोरीम्यूरान इथाईल 25 डब्ल्यू.पी + सर्फेक्टेन्ट (36  ग्राम ), बेन्टाझोन 48 एस. एल.(2.0 ली.)

बोनी के 15-20 दिन बाद उपयोगी – इमेझेथापायर 10 एस.एल.(1.00 ली.),इमेझेथापायर 70% डब्ल्यू. जी + सर्फेक्टेन्ट (100ग्रा.)क्विजालोफाप इथाईल 5 ई.सी.(0.75-1.00 ली.), क्विजालोफाप-पी-इथाईल 10 ई.सी.(375-450 मि.ली.),फेनाक्सीफाप-पी-इथाईल 9 ई.सी.(1.11 ली.), क्विजालोफाप-पी-टेफ्युरिल 4.41 ई.सी.(0.75- 1.00 ली.) ,फ्ल्यूआजीफॉप-पी-ब्युटाईल 13.4 ई.सी.(1-2 ली.), हेलाक्सिफॉप आर मिथाईल 10.5 ई.सी.( 1-1.25 ली.),  प्रोपाक्विजाफॉप 10 ई.सी.(0.5-0.75 ली.),  फ्लमूथियासेट मिथाईल 10.3 ई.सी. (125 मि.ली.),क्लेथोडियम 25 ई.सी.(0.5 -0.70 ली. )  ।

पूर्व मिश्रित खरपतवारनाशक – फ्ल्यूआजीफॉप-पी- ब्यूटाइल + फोमेसाफेन (1.0 ली.), इमेझेथापायर+ इमेजामॉक्स (100 ग्रा.), प्रोपाक्विजाफॉप+  इमेझेथापायर (2.0 ली.), सोडियम  एसीफ्लोरफेन+ क्लोडिनाफाप प्रोपारगील ( 1 ली ),  फोमेसाफेन + क्विजालोफाप इथाईल  ( 1.5 ली.), क्विजालोफाप इथाईल + क्लोरी मयूरान  इथाईल + सरफेक्टेंट ( 375 मिली+36 ग्रा.) ।    

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