राज्य कृषि समाचार (State News)

सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह (10-16 जुलाई )

11 जुलाई 2023, इंदौर: सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह (10-16 जुलाई ) – भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर द्वारा इस सप्ताह सोयाबीन कृषकों को सामयिक सलाह दी गई है। अधिकतर क्षेत्रों में सोयाबीन की बोवनी संपन्न होने की सूचनाएं हैं, जबकि अभी भी कुछ क्षेत्रों के किसान सोयाबीन की बोवनी करने की प्रतीक्षा में हैं।  इस परिस्थिति में सोया कृषकों को निम्न कृषि कार्य अपनाने की सलाह है –

अ. ऐसे क्षेत्र जहाँ सोयाबीन की बोवनी शेष हैं, सोया कृषकों को निम्न सस्य क्रियाओं को अपनाने की सलाह दी जा रही  है

1 – ऐसे किसान जिनकी सोयाबीन बोवनी होना शेष हैं, उनको सलाह हैं कि, कतारों की दूरी 30 सेमी. तक घटायें एवं बीज दर बढाकर (90-100 किग्रा./हे) इस सप्ताह सोयाबीन की बोवनी कर सकते हैं।

2 – साधारणतया, सोयाबीन की बोवनी हेतु जुलाई माह के प्रथम सप्ताह तक का समय सबसे उपयुक्त होता  है।  इससे विलंबित स्थिति में शीघ्र पकने वाली किस्में (जैसे JS-20-34, NRC 130, NRC 131, NRC-138 आदि) को प्राथमिकता देने की सलाह है।

3 – विलंबित बोवनी की स्थिति में कृषकों को सलाह  है  कि, खरपतवार प्रबंधन की दृष्टि से जहाँ तक संभव हों, कल्टीवेटर चलाने के पश्चात बोवनी करें।

4  – विपरीत मौसम (सूखे  की  स्थिति, अतिवृष्टि आदि) से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सोयाबीन की बोवनी बी.बी.एफ.पद्धति या रिज एवं फरो पद्धति से करें।

5 – कृषकों को सलाह है कि सोयाबीन फसल के प्रमुख रोगों के साथ साथ तना मक्खी जैसे कीटों से फसल की सुरक्षा हेतु बोवनी के समय निम्नानुसार FIR क्रम का अनुपालन करते हुए बीजोपचार करें।

  • बीजोपचार के लिए बाजार में उपलब्ध पूर्वमिश्रित फफूंदनाशक-कीटनाशक दवाई एजोक्सीस्ट्रोबीन 2.5% +थायोफिनेट मिथाईल 11.25% +थायामिथोक्सम 25%एफ.एस. (10 मिली/कि.ग्रा.बीज) सबसे सुविधाजनक है। क्योंकि इसमें फफूंदनाशक एवं कीटनाशक का संयोजन पहले से ही किया गया  है।
  • बीजोपचार हेतु अन्य वैकल्पिक फफूंदनाशक जैसे पेनफ्लूफेऩ़ +ट्रायफ्लोक्सिस्ट्रोबीन 38 एफ.एस (1मि.ली./कि.ग्रा. बीज) अथवा कार्बोक्सिन 37.5%+थाइरम 37.5% (3 ग्राम/कि.ग्रा. बीज) उपयोग किये जाने की स्थिति में सलाह  है  कि इनसे उपचारित करने के पश्चात अनुशंसित कीटनाशक थायामिथोक्सम 30 एफ.एस. (10 मि.ली मि.ली./कि.ग्रा. बीज) अथवा इमिडाक्लोप्रिड (1.25 मि.ली./कि.ग्रा. बीज) से भी उपचारित करें।
    फफूंदनाशक एवं कीटनाशकों से बीजोपचार बोवनी से पहले भी किया जा सकता है , जबकि ब्रेडीरायजोबियम/PSB/मायकोरायजा जैसे जीवाणु खाद से टीकाकरण केवल बोवनी के समय करें।
  • फफूंदनाशक एवं कीटनाशक से उपचारित बीज को बोवनी के समय सोयाबीन बीज को जैविक कल्चर ब्रेडीरायबियम + पी.एस.एम. (प्रत्येकी 5 ग्राम/किग्रा. बीज) से टीकाकरण करने की भी सलाह है।
  • कृषकगण रासायनिक फफूंद नाशक के स्थान पर जैविक फफूंद नाशक ट्रायकोडर्मा विरिडी ( 10 ग्राम/किग्रा बीज) का भी उपयोग कर सकते है जिसको जैविक कल्चर के साथ मिलकर प्रयोग किया जा सकता है।

6 – सोयाबीन फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों ( 25:60:40:20 कि.ग्रा/हे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश व सल्फर) की पूर्ति केवल बोवनी के समय करें. इसके लिए इनमे से कोई भी एक उर्वरकों के स्त्रोत का चयन प्रति एक हेक्टेयर के लिए किया जा सकता है –

1. यूरिया 56 कि.ग्रा. + 375-400 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फॉस्फेट व 67 किग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश अथवा
2. डी.ए.पी 125 किग्रा. + 67 किग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश+ 25 किग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर अथवा
3. मिश्रित उर्वरक 12:32:16 @200 किग्रा + 25 किग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर

7 – खरपतवार नियंत्रण हेतु कृषकों को सलाह हैं कि अपनी सुविधा के अनुसार अनुशंसित बोवनी बोवनी पूर्व/बोवनी के तुरंत बाद/खडी फसल में उपयोगी अनुशंसित खरपतवारनाशकों में से किसी एक का प्रयोग निम्न सावधानियों के साथ कर सकते हैं (तालिका 1 ).

  • बोवनी से पूर्व उपयोगी खरपतवारनाशकों के छिडकाव पश्चात भूमि में मिलाना आवश्यक है. इसके लिए कल्टीवेटर का प्रयोग कर सकते हैं।
  • बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशकों का प्रयोग बोवनी के तुरंत बाद या बीजांकुर भूमि से बाहर आने से पूर्व ही करें, अन्यथा
  • बीजांकुर के मरने का खतरा होता  है।
  • खरपतवारनाशकों के छिडकाव हेतु पॉवर स्प्रयेर का उपयोग करते हुए 125 लीटर /हे या नेपसेक स्प्रयेर से 450 लीटर/हे का प्रयोग सुनिश्चित करें।
तालिका -1  

खरपतवार नाशक की सूची  (मात्रा / हेक्ट ) में।

बोवनी के पूर्व उपयोगी –  पेण्डीमिथालीन+इमेझेथापायर   (2.5-3 ली.) ( चौड़ी पत्ती एवं घासवर्गीय )

बोवनी  के तुरन्त बाद उपयोगी – डायक्लोसुलम 84 डब्ल्यू.डी. जी.(26 -30  ग्राम ), सल्फेन्ट्राझोन 39.6 एस.सी.(0.75 ली.),क्लोमोझोन 50 ई.सी. (1.5 – 2.00 ली.) , पेण्डीमिथालीन 30 ई.सी.(2.5-3.30 ली.),पेण्डीमिथालीन 38.7 सी.एस.( 1.5-1.75  कि .ग्रा ),

फ्लूमिआक्साझिन 50 एस.सी.(0.25 ली.), ( चौड़ी पत्ती वाले ) मेट्रीब्युझिन 70 डब्ल्यू.पी.(0.5-0.75  कि .ग्रा.),( चौड़ी पत्ती एवं घास वर्गीय ) सल्फेन्ट्राझोन+क्लोमोझोन (1.25 ली ), ( चौड़ी पत्ती एवं घास वर्गीय ),पायरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यू.जी.(150 ग्रा.),( चौड़ी पत्ती वाले ) मेटालोक्लोर 50 ई.सी.(2.0 ली.) ( चौड़ी पत्ती एवं घास वर्गीय ),

ब. ऐसे क्षेत्र जहाँ सोयाबीन की बोवनी हो चुकी है , सोया कृषकों को निम्न सस्य क्रिया / उपाय अपनाने की सलाह  है –

1 – ऐसे किसान जिन्होंने सोयाबीन की बोवनी परंपरागत सीड ड्रिल से की हो, उन्हें सलाह है  कि अत्यधिक वर्षा से या सूखे से फसल में होने वाले नुकसान से बचने हेतु उपयुक्त कतारों के बाद (6 या 9 कतारों के अंतराल पर) नालियाँ निकालने की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

2 – सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण हेतु वरीयता अनुसार हाथ से निंदाई, डोरा/कुल्पा का प्रयोग/खड़ी फसल में उपयोगी खरपतवारनाशकों (तालिका 2 ) में से किसी एक विधि का प्रयोग करें, जिसके लिए निम्न सावधानियों का अनुपालन करने की सलाह है –

  • खरपतवारनाशकों के छिडकाव हेतु पॉवर स्प्रयेर का उपयोग करते हुए 125  लीटर /हे या नेपसेक स्प्रयेर से 450 लीटर/हे का प्रयोग सुनिश्चित करें।   खरपतवारनाशकों के छिडकाव के लिए फ्लड जेट/फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें।

3 – ऐसे कृषक जिन्होंने अपनी फसल में बोवनी पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशकों का प्रयोग किया हैं, सलाह हैं कि खरपतवारों के नियंत्रण हेतु सुविधाजनक मौसम होने पर डोरा/कुलपा चलायें।

4 –  जहाँ फसल 15-20 दिन की हो गई है, और अभी तक किसी भी प्रकार के खरपतवारनाशक का प्रयोग नहीं किया  है, सलाह है कि सोयाबीन फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अनुशंसित खड़ी फसल में उपयोगी किसी एक रासायनिक खरपतवारनाशक का छिडकाव करें ( तालिका 2 देखे)।

5 -जहाँ पर फसल 15-20 दिन की हो गई हो, पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा हेतु फूल आने से पहले ही सोयाबीन फसल में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) का छिडकाव करें।  इससे अगले 30  दिनों तक पर्णभक्षी कीटों से सुरक्षा मिलेगी।

6  – इस समय तना मक्खी का प्रकोप प्रारंभ होने के सम्भावना होती  है , अतः इसके नियंत्रण हेतु सलाह है  कि पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125  मिली./हे.) का छिड़काव करें।

7  – भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान  संस्थान  द्वारा खरपतवारनाशकों एवं कीटनाशकों की सांगतता बाबत अभी तक किये गए अनुसन्धान परीक्षणों के अनुसार निम्न खरपतवारनाशक एवं कीटनाशकों की संगतता पाई गई है ,. अतः सलाह  है  कि जिन्होंने बोवनी पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशकों का अभी तक प्रयोग नहीं किया है , निम्न  सूची  में से कोई एक कीटनाशक एवं खरपतवार नाशक का मिलाकर छिडकाव किया जा सकता है।

(1)कीटनाशक: क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) या क्विनाल्फोस 25 ई.सी (1 ली/हे) या इन्डोक्साकर्ब 15.8 एस.सी (333
मि.ली./हे)
(2) खरपतवारनाशक: इमाज़ेथापायर 10 एस.एल (1 ली/हे) या क्विजालोफोप इथाइल 5 ई.सी (1 ली/हे)

8  – जिन रसायनों के मिश्रण के  सम्बन्ध में कोई वैज्ञानिक अनुशंसा या पूर्व अनुभव नहीं है, ऐसे मिश्रण का उपयोग कदापि नहीं करें।  इससे फ़सल को नुकसान हो सकता है।

9  – मालवा (मध्य प्रदेश) के कुछ जिलों में रायजोक्टोनिया रूट रॉट/ पिथियम सीडलिंग रोग से नवजात पौधों के मरने की  सूचनाएं प्राप्त हुई हैं।  अतः सलाह है कि  जहाँ -जहां  संभव हो, अधिक अंतराल होने पर गैप फिलिंग (बीज डालकर बोवनी) करे। नुकसान की तीव्रता अधिक होने पर पुनः सोयाबीन की बोवनी करें।

तालिका -2  सोयाबीन की खड़ी फसल में अनुशंसित खरपतवारनाशकों की सूची

बोनी के 10-12 दिन बाद उपयोगी – क्लोरीम्यूरान इथाईल 25 डब्ल्यू.पी 36  ग्राम ( चौड़ी पत्ती वाले )

बोनी के 15-20 दिन बाद उपयोगी – इमेझेथापायर 10 एस.एल.(1.00 ली.), ( चौड़ी पत्ती वाले ) ,इमेझेथापायर 70% डब्ल्यू. जी + सर्फेक्टेन्ट (100ग्रा.) ( चौड़ी पत्ती एवं घासवर्गीय ) ,क्विजालोफाप इथाईल 5 ई.सी.(0.75-1.00 ली.), क्विजालोफाप-पी-इथाईल 10 ई.सी.(375-450 मि.ली.),फेनाक्सीफाप-पी-इथाईल 9 ई.सी.(1.11 ली.), क्विजालोफाप-पी-टेफ्युरिल 4.41 ई.सी.(0.75- 1.00 ली.) ,फ्ल्यूआजीफॉप-पी-ब्युटाईल 13.4 ई.सी.(1-2 ली.), हेलाक्सिफॉप आर मिथाईल 10.5 ई.सी.( 1-1.25 ली.),  प्रोपाक्विजाफॉप 10 ई.सी.(0.5-0.75 ली.), ( सभी घासवर्गीय ) फ्लमूथियासेट मिथाईल 10.3 ई.सी. (125 मि.ली.),( चौड़ी पत्ती वाले ) क्लेथोडियम 25 ई.सी.(0.5 -0.70 ली. ) ( घासवर्गीय )  ।

पूर्व मिश्रित  खरपतवारनाशक – फ्ल्यूआजीफॉप-पी- ब्यूटाइल + फोमेसाफेन (1.0 ली.), इमेझेथापायर+ इमेजामॉक्स (100 ग्रा.),    प्रोपाक्विजाफॉप+  इमेझेथापायर (2.0 ली.), सोडियम  एसीफ्लोरफेन+ क्लोडिनाफाप प्रोपारगील ( 1 ली ),  फोमेसाफेन + क्विजालोफाप इथाईल  ( 1.5 ली.), क्विजालोफाप इथाईल + क्लोरी मयूरान  इथाईल + सरफेक्टेंट ( 375 मिली+36 ग्रा.) ( सभी चौड़ी पत्ती एवं घासवर्गीय )

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