उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो रही है
ग्वालियर कृषि विश्वविद्यालय में उर्वरक प्रबंधन पर व्याख्यान
22 नवम्बर 2023, ग्वालियर: उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो रही है – राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में फसल उत्पादन एवं मृदा स्वास्थ्य में दीर्घकालिक नाइट्रोजन उर्वरक के प्रबंधन पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह व्याख्यान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नईदिल्ली के पूर्व नेशनल फेलो प्रोफेसर तथा वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (इनसा) के वैज्ञानिक डॉ. विजय सिंह द्वारा दिया गया।
नाहेप परियोजना के तहत हए व्याख्यान में डॉ. सिंह ने बताया कि फसल उत्पादन हेतु हमारे पास मिट्टी सीमिर्त है। पृथ्वी पर कुल 13 अरब हैक्टेयर भूमि में से 27 प्रतिशत चरगाह, 32 प्रतिशत वन तथा 11 प्रतिशत भूमि ही फसल उत्पादन लायक है। उन्होेंने कहा कि हमें मृदा संरक्षण के साथ उसमें मौजूद पोषक तत्वों को बनाये रखने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। देश में फसल उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है परंतु उर्वरकों के अधिकाधिक एवं असंतुलित प्रयोग से मृदा में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है।
नाइट्रोजन उपयोग बढ़ा
भारत में 2015 में प्रयोग की जाने वाली नाइट्रोजन उर्वरक की मात्रा 16.30 प्रतिशत बढ़कर 2020 में 18 प्रतिशत हो गयी। अतः हमें देश के किसानों को यह बताना होगा कि वह उत्पादन के अधिक लालच में उर्वरकों का इतना अधिक प्रयोग न करें जिससे मृदा की उर्वरता नष्ट हो जायें। समन्वित उर्वरक प्रबंधन से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही मृदा को उपजाऊ बनाये रखा जा सकता है।
कुलपति डॉ. अरविन्द कुमार शुक्ला ने अध्यक्षता कीण्निदेशक अनुसंधान सेवायें डॉ. संजय शर्मा, निदेशक विस्तार सेवायें व परियोजना समन्वयक डॉ. वाय. पी. सिंह, कुलसचिव श्री अनिल सक्सेना, मौजूद रहे।
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