चना फसल को उखठा रोग से बचाव के लिये बीज को उपचारित कर बोएं
11 नवम्बर 2022, बुरहानपुर: चना फसल को उखठा रोग से बचाव के लिये बीज को उपचारित कर बोएं – चना फसल को उखठा रोग से बचाव के लिये बीज को उपचारित कर बोये बुरहानपुर/9 नवम्बर, 2022/-किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग उपसंचालक श्री एम.एस.देवके ने जानकारी देते हुए बताया कि चना बीज की बुवाई लगभग प्रारंभ होने वाली है। उन्होंने कृषकगणों को आवश्यक सलाह दी है कि चना फसल की मुख्य बीमारी उखठा रोग है। उखठा रोग में खड़ी फसल अचानक सूखने लगती है। चना फसल को उखठा रोग से बचाव के लिए चना बीज को उपचार कर ही बुवाई करें।
जैविक विधि से उपचार के लिये- बीज को जैविक विधि से उपचार के लिये ट्रायकोडर्मा विरडी की मात्रा 5 ग्राम एक किलो बीज के लिये पर्याप्त होती है। रासायनिक विधि से उपचार के लिये- चना फसल में उक्टा (विल्ट) एवं जड़ गलन से बचाव हेतु 4.5 ग्राम थायरम एवं 1.5 ग्राम कार्बेन्डिजम या दो ग्राम थायरम तथा एक ग्राम कार्बेन्डिजम के मिश्रण के हिसाब से प्रति किलोग्राम बीज का तथा गेहूं के लिये 2 ग्राम थायरम तथा 1 ग्रो कार्बनडिजम कुल 3 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से बीज उपचार करें।
फफुंदनाशक से बीज उपचार पश्चात चना बीज में जैव उर्वरक रायजोबियम कल्चर, 2-3 ग्राम $ पी.एस.बी. कल्चर 5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से तथा गेंहू में एजेटोबेक्टर या एजोस्प्रिलम एवं पी.एस.बी.कल्चर 5-5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें। कल्चर का गाढ़ा घोल बीज पर लगाते समय पानी की मात्रा इतनी ले की कल्चर की पतली परत बीज पर चढ़ जायें, इसके बाद बीज को छायादार स्थान में सुखाकर बोने के लिये उपयोग करें। जिन क्षेत्रों में दीमक का प्रकोप अधिक होता है, उन क्षेत्रों मे 20 ईसी. क्लोरोपायरीफॉस का पानी में घोल बनाकर बीजों को उपचारित कर बुवाई करें।
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