State News (राज्य कृषि समाचार)

कृषि अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिये तैयार हैं पायलट ड्रोन दीदियां

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08 मार्च 2024, भोपाल: कृषि अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिये तैयार हैं पायलट ड्रोन दीदियां – मध्यप्रदेश की ड्रोन तकनीकी में प्रशिक्षित महिलाएं खेती-किसानी का पूरा दृश्य बदलने के लिये तैयार हैं। किसानों को खेतों में उर्वरकों का छिड़काव करने, बड़े खेतों में फसलों की निगरानी करने में ड्रोन दीदियों की सेना मदद के लिए तैयार मिलेगी। ड़ोन का रिमोट लिए ड्रोन उड़ाती ग्रामीण महिलाएं मध्यप्रदेश की सशक्त नारी का एक नया स्वरूप है। नई तकनीकी में दक्ष इन ग्रामीण महिलाओं का आत्मविश्वास उत्कर्ष पर है। इन महिलाओं ने साबित कर दिया ‍कि थोड़े से सरकारी सहयोग से वे काम कर सकती हैं। स्व-सहायता समूहों की सदस्य महिलाओं ने अब इस क्षेत्र में कदम बढ़ा दिया है।

दतिया जिले के बसई गांव की श्रीमती भगवती अहिरवार सुहानी स्व- सहायता समूह की सदस्य हैं। वे 2021 से समूह में काम कर रही हैं। यह समूह जैविक खाद बनाता है। भगवती ने एम.आई.टी.एस ग्वालियर से ड्रोन उड़ाना सीखा। उन्हें ड्रोन के बारे में सबसे पहले म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिशन की टीम से सुना। जब पता चला कि यह खेती के काम आता है तो उन्होने खेती में तकनीकों का उपयोग बढ़ाने और किसानों को जागरूक करने के लिए सीखने की मंशा जाहिर की।

ड्रोन उड़ाने का अनुभव सुनाते हुए वे कहती हैं कि उन्हें लगता है कि उनका अपने खुद के ऊपर विश्वास कई गुना बढ़ गया है। नई तकनीक से सीखना और इससे जुड़ना अपनी तरह का नया अनुभव है। हम लोग पहले ट्रेक्टर को ही बड़ी मशीन समझते थे। अब पता चला कि ट्रेक्टर अपनी जगह है लेकिन उससे भी ज्यादा काम में आने वाला है ड्रोन।

इसी जिले के इन्दरगढ़ तहसील के पिपरौआ गांव की श्रीमती गीता कुशवाहा 2016 से मां रतनगढ़ वाली स्व सहायता समूह की सदस्य हैं। यह समूह महिलाओं को सामाजिक आर्थिक मुददों के प्रति जागरूक करने का काम कर रहा है। उन्होने भी एम.आई.टी.एस ग्वालियर से ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण लिया। वे कहती हैं कि खेती में आ रही परेशानियों को कम करने और बेहतर पैदावार के लिए ड्रोन भी अब जरूरी हो गया है। वे कहती हैं कि उन्हें बेहद खुशी है और आत्मविश्वास तो बहुत बढ़ गया है। गांव के सभी लोग बहुत सहयोग दे रहे हैं और अब मैं बहुत से युवाओं के लिये प्रेरणा बन गई हूं।

ड्रोन चलाने का अनुभव साझा करते हुए वे कहत हैं कि खेतों में किस तरह ड्रोन को कंट्रोल करना हैं ट्रेनिंग के बाद समझ आया एवं ड्रोन टेक ऑफ एवं लैंडिंग के समय वीडियो बनाना यह भी पता चला। वे बताती हैं कि किसानो की दवाई छिड़काव में मदद करके वह पैसे कमा सकती हैं| खुशबू को उनका उनका परिवार पूरा सहयोग कर रहा हैं क्योंकि वे छोटी उम्र में ही काफी कुछ सीख गई हैं। साथ ही परिवार की मदद करने में सक्षम हो गई हैं।

अलीराजपुर जिले के जोबट तहसील के उबलड़ गांव की रायदी पिछले तीन वर्षो से बड फाल्या स्व सहयता समूह में काम कर रही हैं। यह समूह खेती और घरेलू व्यवसाय से संबंधित गतिविधियां चलाता है। उन्होने सोरिंग ऐरोटेक प्राइवेट लिमिटेड, प्रेस्टीज संस्था, इंदौर से ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण लिया। ड्रोन उड़ाना सीखने की जरूरत क्यों पड़ी? यह पूछने पर उन्होने बताया कि यह खेती के लिए अब जरूरी हो गया है और किसानों के लिए दवाईयों और खाद का छिडकाव आसान हो जाएगा। उनकी मदद करने और इसे अपनी आजीविका का साधन बनाने के लिए यह सीखा।

ड्रोन उड़ाने का अनुभव साझा करते हुए वे कहती हैं कि – ड्रोन उड़ाकर ऐसा लगा जैसे छोटा सा हेलीकॉप्टर उड़ा रहे हैं। वे कहती हैं कि गांव के लोगों को इस तकनीक के बारे में पता नहीं था । लेकिन जब ड्रोन ट्रैनिंग हुई उसके बाद उन्हे नई तकनीक के बारे में सबको बताया तो सबको खुशी हुई। उन्हें उम्मीद है कि अब खेती के इस छोटे से लेकिन जरूरी काम से मेहनताना भी अच्छा मिलेगा। वे कहती हैं कि खेती से संबधित अन्य व्यवसाय से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जुडना चाहिए। अभी समूह से और लोगों को जोड़ना है।

रोजगार की संभावनाएं

मध्यप्रदेश की 89 ग्रामीण महिलाओं को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी गई है। करीब 15 दिनों की ट्रेनिंग में यह संभव है। ड्रोन पायलट को 15,000 रुपये और सह-पायलट को करीब 10,000 रुपये तक का मानदेय मिल सकता है। महिलाओं के स्व-सहायता समूह किसानों को सेवाएं देंगे और खुद भी सशक्त बनेंगे। ग्रामीण महिलाओं को अत्याधुनिक तकनीक ज्ञान देकर कृषि पद्धतियों को आधुनिक बनाने की पहल है। इससे खेती आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। तकनीकी नवाचार से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के से ग्रामीण महिलाओं के लिए ड्रोन पायलट, मैकेनिक और स्पेयर-पार्ट डीलर के रूप में भी अवसर मिलेंगे। कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका को और ज्यादा सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।

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