राज्य कृषि समाचार (State News)

देवास में कृषि विस्तार अधिकारियों का अंतः सेवाकालीन प्रशिक्षण संपन्न

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24 अप्रैल 2024, देवास: देवास में कृषि विस्तार अधिकारियों का अंतः सेवाकालीन प्रशिक्षण संपन्न – कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास द्वारा बुधवार को नव आगंतुक कृषि विस्तार अधिकारियों का एक दिवसीय अंतः सेवाकालीन प्रशिक्षण आयोजित  किया गया, जिसमें देवास के विभिन्न विकास खण्डों के लगभग 30 कृषि विस्तार अधिकारियों ने भाग लिया।

आरम्भ में केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. ए.के.बड़ाया ने बताया कि जिले के कृषकों को खरीफ मौसम के लिए अपनी तैयारियां अभी से शुरू कर देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि देवास जिला सोयाबीन प्रधान क्षेत्र है इसलिए सोयाबीन की उन्नत किस्म ,उर्वरक आदि का प्रबंधन अभी से कर के रखें। साथ ही उन्होंने समन्वित कीट एवं व्याधि प्रबंधन, प्राकृतिक खेती आदि के बारे में भी विस्तृत चर्चा की।

 उप-संचालक कृषि  श्री आर.पी.कनेरिया ने नव-आगंतुक कृषि विस्तार अधिकारियों को जिले में कृषि विविधीकरण अपनाने के बारे में जागरूक किया। उन्होंने देवास जिले की मुख्य समस्याएं जैसे अधिक बीज दर का प्रयोग, पुरानी किस्मों का प्रयोग, असंतुलित उर्वरक प्रबंधन आदि के निराकरण के बारे में समझाया। केन्द्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ. महेन्द्र सिंह ने खरीफ फसल अंतर्गत सोयाबीन, मक्का, ज्वार की उन्नत उत्पादन तकनीक के बारे में विस्तारपूर्वक कृषि विस्तार अधिकारियों को बताया। उन्होंने सोयाबीन की फसल में कम लागत में अधिक उत्पादन करने हेतु बीज उपचार, उन्नत प्रजातियों का चुनाव, उर्वरक प्रबंधन,समन्वित खरपतवार प्रबंधन आदि करने पर जोर देते हुए  यांत्रिक, भौतिक, रासायनिक, जैविक एवं खरपतवार नियंत्रण पर चर्चा की। उन्होंने सोयाबीन में खरपतवार प्रबंधन हेतु समय-समय पर बदल-बदल कर खरपतवारनाशी का प्रयोग करने एवं आने वाली सावधानियों की विस्तृत चर्चा की।

केन्द्र के पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. मनीष कुमार ने सोयाबीन में लगने वाले मुख्य कीट एवं बीमारियों के बारे में बताया । उन्होंने कीट एवं व्याधि प्रबंधन हेतु समन्वित कीट प्रबंधन उपाय अपनाने हेतु गर्मियों की गहरी जुताई, फसल चक्र, बीज उपचार एवं कृषि रसायनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। केन्द्र के उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. निशिथ गुप्ता ने खेती में आमदनी बढ़ाने हेतु फल एवं सब्जी की खेती करने पर जोर दिया। उन्होंने किसानों को अधिक आमदनी हेतु खरीफ प्याज की खेती करने की सलाह दी साथ ही उन्होंने टमाटर एवं मिर्ची की खेती के प्रबंधन के बारे में विस्तृत चर्चा की।

केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के.एस.भार्गव ने सिंचाई जल प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा करते हुए खेती में उन्नत कृषि यंत्रों के उपयोग पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से कृषि यंत्रों को अपनाने के बारे में जानकारी दी। केन्द्र की मृदा वैज्ञानिक डॉ. सविता कुमारी ने मिट्टी की जांच के लिए सही तरीके से मृदा नमूने लेने के बारे में जानकारी दी। साथ ही उन्होंने विभिन्न खरीफ फसलों जैसे सोयाबीन, मक्का, उड़द आदि में समन्वित उर्वरक प्रबंधन के बारे में बताया। डॉ. सविता ने केन्द्र के प्रक्षेत्र पर  नव  आगंतुक  कृषि विस्तार अधिकारियों को मृदा नमूने लेने के बारे में प्रायोगिक तरीके से बताया। इस प्रशिक्षण में कृषि विभाग के सह-संचालक श्री विलास पाटिल, श्री लोकेश गंगराड़े भी उपस्थित रहे एवं कार्यक्रम का सफल संचालन एवं आभार  श्रीमती नीरजा पटेल , प्रसार वैज्ञानिक द्वारा किया गया।

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