उदयपुर कृषि विश्व विद्यालय ने अफीम, मक्का, मूंगफली की नई किस्में विकसित की, अनुसन्धान समिति की बैठक
04 मई 2024, उदयपुर: उदयपुर कृषि विश्व विद्यालय ने अफीम, मक्का, मूंगफली की नई किस्में विकसित की, अनुसन्धान समिति की बैठक – महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर की क्षेत्रीय अनुसंधान सलाहकार समिति की बैठक कुलपति की अध्यक्षता में 02 मई, 2024 को कृषि अनुसंधान केन्द्र, अनुसंधान निदेशालय, उदयपुर में आयोजित की गई।
कुलपति डाॅ. अजीत कुमार कर्नाटक ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने गत वर्षों में विभिन्न प्रौद्योगिकी पर 32 पेटेंट प्राप्त किये साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर बकरी की तीन नस्लें एवं भैंस की एक नस्ल को रजिस्टर्ड कराया। गत वर्ष को विश्वविद्यालय ने मिलेट वर्ष के रूप में मनाया एवं एक पिक्टोरियल गाईड भी जारी की। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अफीम की चेतक किस्म, मक्का की पीएचएम-6 किस्म के साथ असालिया एवं मूंगफली की किस्में विकसित की। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को आहवान किया कि सभी फसलों की नई किस्में विकसित की जाये ताकि कृषकों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके।
डाॅ. कर्नाटक ने कहा आज कृषि में स्थायित्व लाने के लिए कीट बीमारी प्रबंधन एवं जल प्रबंधन पर कार्य करना होगा। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय ने जैविक/प्राकृतिक खेती में राष्ट्रीय पहचान बनायी है। उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक ने विश्वविद्यालय से कहा कि भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती की रूपरेखा तैयार की जाये। अपने भाषण ने दौरान उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल इंजीनियरिंग एवं यंत्र अधिगम पर उत्कृष्टता केंद्र पर बल दिया ।
विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डाॅ. अरविन्द वर्मा ने बैठक में विश्वविद्यालय के द्वारा विभिन्न फसलों पर किये गए अनुसंधान द्वारा विकसित तकनीकियों के बारे में बताया साथ ही उन्होंने जैविक खेती पर विकसित पैकेज आॅफ प्रेक्टिस की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गत वर्ष औषधीय एवं सुंगधित परियोजना को उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रथम स्थान मिला। डाॅ. वर्मा ने बताया कि हरित क्रांति के बाद कृषि तकनीकों के क्षैत्र में खासतौर पर बीज, मशीन तथा रिमोट संचालित तकनीकों में व्यापक बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि पिछले दशक में तकनीकी हस्तान्तरण अन्तराल ज्यादा था, लेकिन अब किसान ज्यादा जागरूक होने से तकनीकी हस्तान्तरण ज्यादा गति से हो रहा है।
डाॅ. पी. के. सिंह, अधिष्ठाता, अभियांत्रिकी महाविद्यालय ने सरकार द्वारा संचालित योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने जल ग्रहण प्रबंधन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अपने उद्बोधन में राजस्थान प्रतिवेदन में जल बजटिंग एवं विभिन्न फसलों में जल उपयोग क्षमता बढ़ाने के लिए सेंसर आधारित सिंचाई प्रणाली पर जोर दिया।
डाॅ. लोकेश गुप्ता, राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता ने दुध की गुणवत्ता एवं उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया एवं उन्होंने पशुधन उत्पादकता बढ़ाने की तकनीकियों पर प्रकाश डाला।
इस बैठक में अतिरिक्त निदेशक कृषि विभाग, भीलवाड़ा डाॅ. राम अवतार शर्मा तथा संयुक्त निदेशक उद्यान, भीलवाड़ा एवं संयुक्त निदेशक कृषि, भीलवाड़ा, संयुक्त निदेशक कृषि चित्तौडगढ़, राजसमन्द एवं अन्य अधिकारी एवं एमपीयूएटी के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
बैठक के प्रारम्भ में डाॅ. राम अवतार शर्मा, अतिरिक्त निदेशक कृषि विभाग, भीलवाड़ा ने गत खरीफ में वर्षा का वितरण, बोई गई विभिन्न फसलों के क्षेत्र एवं उनकी उत्पादकता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होनें संभाग में विभिन्न फसलों में खरीफ 2023 के दौरान् आयी समस्याओं को प्रस्तुत किया तथा अनुरोध किया कि वैज्ञानिकगण इनके समाधान हेतु उपाय सुझावें।
क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डाॅ. अमित त्रिवेदी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए बैठक को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय में चल रही विभिन्न परियोजनाओं की जानकारी दी तथा कृषि संभाग चतुर्थ अ की कृषि जलवायु परिस्थितियों तथा नई अनुसंधान तकनीकों के बारे में प्रकाश डाला। डाॅ. त्रिवेदी ने संभाग की विभिन्न फसलों में आ रही समस्याओं के निराकरण हेतु प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
बैठक में डाॅ. मनोज कुमार महला, डाॅ. बी.एल. बाहेती, श्री गोपाल लाल कुमावत, संयुक्त निदेशक कृषि, भीलवाड़ा, श्री महेश चेजारा, संयुक्त निदेशक उद्यान, भीलवाड़ा, श्री दिनेश कुमार जागा, संयुक्त निदेशक कृषि, चित्तौड़गढ़, श्री के सी मेघवंशी, संयुक्त निदेशक कृषि, राजसमंद, निदेशक, ग्राह्य अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, चित्तौड़गढ़, डॉ शंकर सिंह राठौड़, पीडी, आत्मा, भीलवाड़ा, श्री रमेश आमेटा, संयुक्त निदेशक, शाहपुरा, श्री रविन्द्र वर्मा, संयुक्त निदेशक उद्यानिकी एवं डाॅ. रविकांत शर्मा, उपनिदेशक, अनुसंधान निदेशालय, उदयपुर उपस्थित थे।
अंत में अनुसंधान निदेशालय के सहायक आचार्य डाॅ. बृज गोपाल छीपा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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