लंबे अंतराल के बाद इंदौर जिले में वर्षा, फसलों को मिला नया जीवन
08 सितम्बर 2023, इंदौर: लंबे अंतराल के बाद इंदौर जिले में वर्षा, फसलों को मिला नया जीवन – इंदौर जिले में लंबे अंतराल के बाद पिछले 24 घंटे से हो रही बारिश फसलों के लिए अमृत बन गई है। जिले में फसलों को नया जीवन मिला है। किसानों के चेहरे पर खुशियां लौट आई है। जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने कल इंदौर के रेसीडेंसी में अधिकारियों की बैठक लेकर फसलों की स्थिति की समीक्षा की। इस अवसर पर कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी विशेष रूप से मौजूद थे। बैठक में कृषि, राजस्व, जल संसाधन, ग्रामीण विकास सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी भी उपस्थित थे।
मंत्री श्री सिलावट ने फसलों की स्थिति की समीक्षा के दौरान निर्देश दिए कि सभी अधिकारी फसलों पर सतत निगरानी रखें एवं किसानों से निरंतर संवाद बनाए रखें। अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र का सघन प्रबंध करते रहें। सभी मैदानी राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से क्षेत्र का भ्रमण करें और न्यूनतम 25-25 खेतों को देखें। वे फसलों की स्थिति का जायजा लें तथा उसकी रिपोर्ट तैयार करें। श्री सिलावट ने किसानों से कहा है कि वे किसी भी तरह की चिंता नहीं करे। मध्य प्रदेश सरकार किसानों की हितैषी है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश सरकार किसानों के हर सुख/दुख में साथ खड़ी है। उन्हें किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। हर संभव किसानों को समुचित राहत एवं सहायता प्रदान करने के लिए संकल्पित है।
बताया गया कि जिले में आज सुबह 8:30 समाप्त हुए पिछले 24 घंटे में 38 मिलीमीटर औसत वर्षा हुई है। यह सोयाबीन की फसलों के लिए अनुकूल है। फसलों पर सकारात्मक प्रभाव होगा। फसलों की स्थिति में सुधार होगा। जिन किसानों ने जल्दी पकने वाली सोयाबीन की किस्म लगाई है उनके खेतों में आंशिक रूप से नुकसान की आशंका है। बताया गया के जिले में इस वर्ष 2 लाख 13 हजार रकबे में सोयाबीन की फसल बोई गई है। विकासखण्ड सांवेर के कुल फसली क्षेत्र लगभग 68 हजार हेक्टेयर में से 31835 किसानों द्वारा लगभग 61 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई की गई है, जिसमें से लगभग 42 हजार हेक्टेयर में जल्दी या मध्यम अवधि वाली तथा 19 हजार हेक्टेयर में देरी से पकने वाली प्रजातियों की बुवाई हुई है। सांवेर विकासखण्ड में अब तक कुल 861.20 मिमी वर्षा हो चुकी है। जहाँ जहाँ वर्षा हुई है सोयाबीन की फसल में जल्दी पकने वाली प्रजातियाँ जिसमें हरापन है तथा अभी दाना पकने की अवस्था हैं उनमें दाना अच्छा पोषित हो जायेगा। देर से पकने वाली प्रजातियों में जिनमें फली बन रही है या दाना भरने की अवस्था है उनमें उत्पादन अच्छा प्राप्त होगा।
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