मक्के में लगने वाले प्रमुख कीट तथा नियंत्रण के उपाय
- अरविन्द कुमार (शोध छात्र), कीट विज्ञान
- डॉ. पंकज कुमार (सहायक-प्राध्यापक)
कीट विज्ञान विभाग - प्रदीप कुमार पटेल (शोध छात्र), कीट विज्ञान
विशाल यादव (शोध छात्र), कीट विज्ञान,
विष्णु ओमर (शोध छात्र), कीट विज्ञान,
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या (उ.प्र.)
25 दिसंबर 2021, मक्के में लगने वाले प्रमुख कीट तथा नियंत्रण के उपाय – मक्का एक बहुपयोगी खरीफ, रबी, और जायद तीनों ऋतुओं में बोई जाने वाली फसल है। मक्के में कार्बोहाइड्रेट 70, प्रोटीन 10 और तेल 4 प्रतिशत पाया जाता है। जिसके कारण इसका उपभोग मनुष्य के साथ-साथ पशु आहार के रूप में भी किया जाता है। मक्के को कीटों से बचाने के लिए जरूरी यह है कि किसान भाइयों को मक्का फसल सही समय पर बोने, उन्नत किस्मों का चुनाव करने, उपयुक्त खाद देने और समय पर कीट रोकथाम करने के उपाय करने चाहिए। मक्का फसल को भी अन्य फसलों की तरह अनेक हानिकारक कीटों द्वारा नुकसान होता है।
तना छेदक
पहचान एवं हानि- यह कीट मक्के के लिए सबसे अधिक हानिकारक कीट है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इसकी सुंडियां 20 से 25 मिमी लम्बी और स्लेटी सफेद रंग की होती है। जिसका सिर काला होता है और चार लम्बी भूरे रंग की लाइन होती है। इस कीट की सुंडियाँ तनों में छेद करके अन्दर ही अन्दर खाती रहती हैं। फसल के प्रारम्भिक अवस्था में प्रकोप के फलस्वरूप मृत गोभ बनता है, परन्तु बाद की अवस्था में प्रकोप होने पर पौधे कमजोर हो जाते हैं और भुट्टे छोटे आते हैं एवं हवा चलने पर पौधा बीच से टूट जाता है।
नियंत्रण
- खेत में पड़े पुराने खरपतवार और अवशेषों को नष्ट करें।
- मृत गोभ दिखाई देते ही प्रकोपित पौधों को भी उखाड़ कर नष्ट कर दें।
- इमिडाक्लोप्रिड 6 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन करें।
- मक्का फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें।
- मक्के की फसल लेने के बाद, बचे हुए अवहशेषों, खरपतवार और दूसरे पौधों को नष्ट कर दें।
- ग्रसित हुए पौधे को निकालकर नष्ट कर दें।
- कीट के नियंत्रण हेतु 5 से 10 ट्राइकोकार्ड का प्रयोग करें।\
- तना छेदक और पत्ती लपेटक कीटों के लिए टाइकोग्रामा परजीवी 50000 प्रति हेक्टेयर की दर से अंकुरण के 8 दिन बाद 5 से 6 दिन के अंतराल पर 4 से 5 बार खेत में छोड़ें।
- 20 लीटर गौमूत्र में 5 किलो नीम की पत्ती 5 किलो धतूरा की पत्ती और 500 ग्राम तम्बाकू की पत्ती इस घोल का दो बार में 7 से 10 दिनों तक छिडक़ाव करें।
- रसायनिक नियंत्रण हेतु क्विनालफास 25 प्रतिशत, ई.सी0. 1.50 लीटर को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करेें।
मक्का का कटुआ कीट
पहचान एवं हानि- कटुआ कीट काले रंग की सूंडी है, जो दिन में मिट्टी में छुपती है। रात को नए पौधे मिट्टी के पास से काट देती है। ये कीट जमीन में छुपे रहते हैं और पौधा उगने के तुरन्त बाद नुकसान करते हैं। कटुआ कीट की गंदी भूरी सुण्डियां पौधे के कोमल तने को मिट्टी के धरातल के बराबर वाले स्थान से काट देती है और इस से फसल को भारी हानि पहुंचाती है। सफेद गिडार पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।
नियंत्रण
- मक्का फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें।
- मक्के की फसल लेने के बाद, बचे हुए अवशेषों, खरपतवार और दूसरे पौधों को नष्ट कर दें।
- ग्रसित हुए पौधे को निकालकर नष्ट कर दें।
- खेत में पड़े पुराने खरपतवार और अवशेषों को नष्ट करें।
- इमिडाक्लोप्रिड 6 मिली प्रति किलोग्राम बीज दर से बीज शोधन करें।
- मक्का फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें।
- इथोफेंप्रॉक्स 10 ई.सी. एक लीटर प्रति हेक्टेयर 500 से 600 पानी में घोलकर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर छिडक़ाव करें।
मक्का का सैनिक सुंडी
पहचान एवं हानि- सैनिक सुंडी हल्के हरे रंग की, पीठ पर धारियां और सिर पीले भूरे रंग का होता है। बड़ी सुंडी हरी भरी और पीठ पर गहरी धारियाँ होती हैं। यह कुंड मार के चलती है। सैनिक सुंडी ऊपर के पत्ते और बाली के नर्म तने को काट देती है। अगर 4 सैनिक सुंडी प्रति वर्गफुट मिले तो इनकी रोकथाम आवश्यक हो जाती है।
नियंत्रण
- खेत में पड़े पुराने खरपतवार और अवशेषों को नष्ट करें।
- इमिडाक्लोप्रिड 6 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज दर से बीज शोधन करें।
- मक्का फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें।
- हर 7 दिन के अंतराल पर फसल का निरीक्षण करें।
- सैनिक सुंडी को रोकने के लिए 100 ग्राम कार्बोरिल, 50 डब्लू.पी. या 40 मिलीलीटर फेनवलरेट, 20 ई.सी. या 400 मिली क्विनालफॉस 25 प्रतिशत ई.सी. प्रति 100 ली. पानी में घोल कर 12 से 15 दिनों के अंतराल पर प्रति एकड़ छिडक़ाव करें।
फॉल आर्मीवर्म
पहचान एवं हानि– यह एक ऐसा कीट है, जो कि एक मादा पतंगा अकेले या समूहों में अपने जीवन काल में एक हजार से अधिक अंडे देती है। इसके लार्वा मुलायम त्वचा वाले होते हैं, जो कि बढऩे के साथ हल्के हरे या गुलाबी से भूरे रंग के हो जाते हैं। अण्डों का ऊष्मायन अवधि 4 से 6 दिन तक की होती है। इसके लार्वा पत्तियों को किनारे से पत्तियों की निचली सतह और मक्के के भुट्टे को भी खाते हैं। लार्वा का विकास 14 से 18 दिन में होता है। इसके बाद प्यूपा में विकसित हो जाता है, जो कि लाल भूरे रंग का दिखाई देता है। यह 7 से 8 दिनों के बाद वयस्क कीट में परिवर्तित हो जाता है। इसकी लार्वा अवस्था ही मक्का की फसल को बहुत नुकसान पहुंचती है।
नियंत्रण
- समय पर बुवाई करना इसके लिए ज्यादा प्रभावी होता है।
- अनुशंसित पौध अंतरण पर बुवाई करें।\
- संतुलित उर्वरकों का अधिक मात्रा में जैसे नाईट्रोजन की मात्रा का ज्यादा प्रयोग न करें।
- खेत में पड़े पुराने खरपतवार और अवशेषों को नष्ट करें।
- मृत गोभ दिखाई देते ही प्रकोपित पौधों को भी उखाड़ कर नष्ट कर दें।
- मक्के की फसल लेने के बाद, बचे हुए अवहशेषों, खरपतवार और दूसरे पौधों को नष्ट कर दें।
- ग्रसित हुए पौधे को निकालकर नष्ट कर दें।
- कीट के नियंत्रण हेतु 5-10 ट्राइकोकार्ड का प्रयोग करें।
- जिन क्षेत्रों में खरीफ सीजन में मक्का की खेती की जाती है, उन क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन मक्का न लें।
- अंतवर्तीय फसल के रूप में दलहनी फसल मूंग, उड़द की खेती करें।
- फसल बुवाई के तुरंत बाद पक्षियों के बैठेने के लिए जगह हेतु 10 टी आकार की खूंटिया खेत में लगा दें।
- फॉल आर्मीवर्म को रोकने के लिए 10 से 12 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगा दें।
- पहला छिडक़ाव नीम बीज गिरी सत (हृस््यश्व) 5 प्रतिशत या नीम तेल 1500 पीपीएम 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें।
- कीट के प्रकोप की प्रारंभिक अवस्था में जैविक कीटनाशक के रूप में बेसिलस थुरिंजिएन्सिस (क्चह्ल) 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ दें। ध्यान रहे कि इसका छिडक़ाव सुबह या शाम के समय ही करें।
- ट्रानिलिप्रोएल 5 प्रतिशत 0.4 मिली की दर से प्रति लीटर पानी या स्पिनेटोरम 11.7 प्रतिशत एस.सी. 0.5 मिली की दर से प्रति लीटर पानी या थायोमेथोक्जाम 12.6 प्रतिशत + लेम्डा साइहेलोथ्रिन मिक्चर 9.5 प्रतिशत जेड. सी. 0.25 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें।
गर्मी में मक्का की खेती