सोया मील आयात को लेकर तस्वीर धुंधली
14 अगस्त 2021, इंदौर । सोया मील आयात को लेकर तस्वीर धुंधली – सोया मील आयात को लेकर अभी तक तस्वीर धुंधली ही है। पोल्ट्री ब्रीडर एसोसिएशन की मांग पर 15 लाख टन सोया मील (आहार ) के आयात करने की चर्चा ज़ोरों पर है। हालाँकि सरकार ने अभी तक कोई अधिसूचना जारी नहीं की है ,इसलिए अनुमति को लेकर भ्रम बना हुआ है।
पिछले दिनों वायदा बाजार में सोयाबीन में तेज़ी के कारण मंडियों में सोयाबीन 10 हज़ार /प्रति क्विंटल से अधिक दाम में बिकी तो किसानों को सीजन में अच्छे दाम मिलने की उम्मीद जगी थी , लेकिन सरकार के इस फैसले से उत्पादन के साथ ही दामों पर भी संकट का साया मंडरा रहा है। जानकारों ने इस सीजन में सोयाबीन के दाम 6 हज़ार तक रहने की संभावना जताई है। इस साल सोयाबीन पर आसन्न संकट के पीछे सोयाबीन की बुआई का जून के मध्य में ही पिछड़ना और दूसरा सोया उत्पादक दो प्रमुख राज्यों मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में दक्षिण -पश्चिम मानसून की रफ्तार का धीमा रहना प्रमुख कारण हैं। अखिल भारतीय कुक्कुट पालन संघ ने सोयाबीन के लगातार बढ़ते दामों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र से तीन माह पूर्व 15 लाख टन सोया मील के आयात की अनुमति देने की मांग की थी। हालाँकि अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है और आयात शुल्क पर भी असमंजस बरक़रार है। सोया वायदों में तेज़ी का रुख है। हालाँकि 15 सितंबर तक सोयाबीन की नई फसल आना शुरू हो जाएगी ऐसी दशा में भावों में गिरावट आना स्वाभाविक है।
सोया मील आयात को लेकर नेशनल पोल्ट्री , इंदौर के श्री मोहम्मद नदीम का कहना है कि मुर्गी आहार में सोया खली और मक्का को मिलाया जाता है। सोया खली में प्रोटीन अच्छा होता है। जबकि मक्का ऊर्जा देती है। इसके अलावा इसमें मिनरल्स और विटामिन युक्त अन्य तत्व भी मिलाए जाते हैं , ताकि मुर्गियों का वजन बढ़े। मिली जानकारी के अनुसार पोल्ट्री उद्योग में 40 लाख टन सोया मील की खपत होती है। वैसे भी आयात की अनुमति देना इतना आसान नहीं है। इसमें पर्यावरण और वाणिज्य मंत्रालय की कई प्रक्रियाओं को पूरा करना पड़ता है। हमारे देश में अनुवांशिक रूप से संशोधित जीव रहित (नॉन जीएमओ )सोयाबीन ही उगाई जाती है , ऐसे में इसका आयात भी उन देशों से ही करना होगा जहां नॉन जीएमओ सोयाबीन होती है। हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने वर्ष 2020 -21 में 129 लाख टन सोयाबीन उत्पादन का अनुमान लगाया है। वैसे भी अब आयात की अधिसूचना जारी करने का कोई औचित्य नहीं है , क्योंकि पोर्ट पर माल आने में ही करीब एक माह लग जाएगा ,जबकि 15 सितंबर तक तो मध्य प्रदेश में ही सोयाबीन की फसल आ जाएगी। ऐसे में किसानों के आर्थिक हितों पर आघात लगेगा।