फसल बीमा मुआवजा को लेकर किसानों की अग्नि परीक्षा कब तक ?
24 फरवरी 2024, पांढुर्ना(उमेश खोड़े, पांढुर्ना): फसल बीमा मुआवजा को लेकर किसानों की अग्नि परीक्षा कब तक ? – ऋणी किसानों के लिए फसल बीमा कराना आफत को आमंत्रण देने जैसा है। सहकारी संस्था / बैंक द्वारा किसान का फसल बीमा का प्रीमियम काटने के बाद बीमा कंपनियां तो चैन की नींद सोती है , लेकिन प्राकृतिक आपदा से जिन किसानों की फसल का नुकसान होता है, उनकी नींद उड़ जाती है। किसानों की अग्निपरीक्षा नुकसानी की सूचना देने के साथ ही शुरू हो जाती है। बीमा कम्पनी के कठोर नियमों और जटिल प्रक्रियाओं के कारण फसल की नुकसानी का मुआवजा मिलने को लेकर अन्नदाताओं को हमेशा असमंजस बना रहता है । पांढुर्ना के किसानों की यह परेशानी सरकारी विभागों की उदासीनता और बीमा कम्पनी की व्यवस्थागत खामियों में पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करती प्रतीत हो रही है। फसल बीमा को लेकर किसान आखिर कब तक अग्नि परीक्षा देंगे ?
पांढुर्ना के किसान श्री सुखदेव रामाजी खेतकर, श्री श्यामराव भगवान बारई, श्री प्रकाश गंगाराम बारई , श्री श्यामराव धोड्या खोड़े, श्री मंसाराम खोड़े, वनमाला खोड़े ने कहा कि 15 फरवरी की रात को अचानक हुई वर्षा /ओलावृष्टि से गेहूं, चना, सरसों और संतरा की फसल खराब हो गई, जिससे हमारा बहुत नुकसान हो गया । किसानों का कहना था कि फसल नुकसानी की सूचना नियमानुसार 72 घंटे में देने के लिए बीमा कम्पनी के टोल फ्री नंबर पर कॉल किया , लेकिन फोन लगातार व्यस्त आता रहा। बीमा कम्पनी के स्थानीय प्रतिनिधि ने भी फोन नहीं उठाया। ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश किसान ई-मेल करना नहीं जानते हैं, सो इस माध्यम से भी सूचित नहीं कर पाए, तो फिर कलेक्टर / तहसीलदार, पांढुर्ना को लिखित में सूचना दी गई । 72 घंटे बीतने के बाद एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी के स्थानीय प्रतिनिधि ने वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी , पांढुर्ना को दावा फार्म की एक प्रति देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। ऐसी दशा में प्रभावित किसानों को अपनी फसल का मुआवजा कब और कितना मिलेगा यह नहीं कहा जा सकता है। इस मामले में क्षेत्र के किसान दूध के जले हैं, क्योंकि बीमित होने के बावजूद उन्हें 6 साल पहले आई प्राकृतिक आपदा से हुई फसल नुकसानी का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है ,इसलिए छाछ को भी फूंककर पीना चाहते थे और बीमा कम्पनी को समय पर सूचना देना चाहते थे , लेकिन अव्यवस्थाओं ने आशाओं पर पानी फेर दिया। उक्त मामले में 18 दिसंबर 2023 के ‘कृषक जगत ‘में यह खबर ‘ 6 साल बाद भी किसानों को फसल बीमा मुआवजे का इंतज़ार ‘ शीर्षक से प्रकाशित की गई थी।
बता दें कि क्षेत्र के अधिकांश किसान अनपढ़ होने से उनमें जागरूकता का अभाव है। ऐसे में एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी का दायित्व था, कि फसल नुकसानी की क्षतिपूर्ति पाने के लिए की जाने वाली प्रक्रियाओं से किसानों को अवगत कराने के लिए छिंदवाड़ा की तरह जिला मुख्यालय पांढुर्ना में भी कार्यशाला आयोजित करती , क्योंकि प्राकृतिक आपदा तो खरीफ और रबी दोनों फसलों के दौरान आती रहती है। जिन किसानों ने कलेक्टर को शिकायत की थी उनके खेतों में कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को नेत्रांकन सर्वे कर पंचनामा बनाया है ,जिसमें किसानों ने 45 -50 % फसल नुकसानी की बात लिखी है , लेकिन सरकारी रिपोर्ट में क्षति का कितना प्रतिशत दर्शाया जाएगा यह तो संबंधित विभाग जाने।
ज़िम्मेदारों के कथन
श्री कमलेश भोंगाड़े , स्थानीय प्रतिनिधि,एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी,पांढुर्ना ने कृषक जगत को बताया कि क्षेत्र के करीब 25 किसानों ने 72 घंटे के अंदर फसल नुकसानी की सूचना टोल फ्री नंबर से दी थी, उनकी जानकारी छिंदवाड़ा भेज दी गई है। जो किसान 72 घंटे में सूचना नहीं दे पाए उनके लिए अब फसल कटाई प्रयोग ही विकल्प बचा है।
श्री सुनील गजभिए , वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, पांढुर्ना ने कृषक जगत को बताया कि बीमा कंपनी के नियमानुसार किसानों को फसल नुकसानी की सूचना 72 घंटे में देने के तीन विकल्प हैं। यदि किसान इनसे वंचित रहता है, तो फिर हल्का इकाई पर फसल कटाई प्रयोग किया जाता है, जिसकी रिपोर्ट में निर्धारित मानक से उत्पादन कम पाए जाने पर सभी किसानों को मुआवजा मिलता है। यह फसल कटाई प्रयोग आकस्मिक होते हैं। एक हल्का इकाई में 4 फसल कटाई प्रयोग होते हैं । कृषि और राजस्व विभाग द्वारा 2 -2 फसल कटाई प्रयोग किए जाते हैं।
श्री संजय पठाड़े , जिला प्रबंधक , एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी, छिंदवाड़ा ने कृषक जगत को बताया कि फसल नुकसानी के व्यक्तिगत दावों में किसानों द्वारा 72 घंटों में कम्पनी को सूचना देना अनिवार्य है। जो किसान निर्धारित अवधि में सूचना नहीं दे पाए , उन्हें चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है। प्रभावित किसानों के खेतों का सेटेलाइट के माध्यम से सर्वे किया जाएगा। मध्य प्रदेश पहला राज्य है, जहाँ यह सुविधा मिलेगी। इसके लिए इसरो का टेंडर हुआ है। इसरो की रिपोर्ट राज्य सरकार को जाएगी, जिसे नेशनल क्रॉप इंश्योरेंस पोर्टल पर दर्ज़ किया जाएगा। खरीफ 2022 -23 में इसी तरह का सर्वे हुआ था।
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