National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

घरेलू मांग पूरी करने में असमर्थ भारत ने अगले दो साल के लिए उड़द और अरहर का आयात खोला

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30 दिसम्बर 2023, नई दिल्ली: घरेलू मांग पूरी करने में असमर्थ भारत ने अगले दो साल के लिए उड़द और अरहर का आयात खोला – देशभर में आत्मनिर्भर भारत के लिए सरकार काफी सारे अभियान चला रही हैं। लेकिन भारत दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के बजाए आयात निर्भर बना हुआ हैं। सरकार हाल ही में उड़द और अरहर दाल के मुक्त आयात को एक साल और बढ़ाकर 31 मार्च 2025 तक कर दिया है। हालांकि सरकार मंहगाई को रोकने के लिए बाजार में दालों की उपलब्धता बढ़ाने पर जोर दे रही हैं।

इससे पहले सरकार ने 31 मार्च 2024 तक अरहर और उड़द दालों के मुफ्त आयात की अनुमति दी थी। अब आयातक बिना किसी प्रतिबंध के कितनी भी मात्रा में उड़द और तूर दाल का आयात कर सकते हैं। सरकार ने यह कदम देश में पर्याप्त घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने और इन दालों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उठाया है।

दाल की अधिक उपज वाली किस्में क्यों नही हैं बाजार में

भारत को खाद्यान्न अनाज जैसे गेंहू और धान के क्षेत्र में देखा जायें तो देश के किसानों द्वारा भरपूर मात्रा में इनका उत्पादन किया जा रहा हैं। इनका उत्पादन तो अधिक हैं ही साथ ही इनकी गुणवत्ता भी अच्छी हैं जिसके कारण इन अनाजों को भारत दूसरों देशों में एक्सपोर्ट कर रहा हैं। इन अनाजी फसलों के अधिक उत्पादन का कारण हैं कि सरकार ने गेंहू और धान की अधिक उत्पादन देने वाली फसलों को विकसित किया हैं और इन पर अधिक ध्यान दिया हैं। अगर सरकार ऐसे ही दलहनी फसलों पर ध्यान देती तो आज भारत को आयात निर्भर नहीं बनना पड़ता। वर्तमान स्थिति में भारत में अभी तक दाल की अधिक उपज देने वाली किस्में मौजूद नहीं हैं। सरकार को दाल का उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिक उपज देने वाली किस्मो को विकसित करना चाहिए और किसानों को इनके सही दाम देने होंगे अन्यथा भारत आत्मनिर्भर की जगह सिर्फ आयात निर्भर बनकर रह जायेगा।

260 लाख टन से अधिक दाल उत्पादन, फिर भी आयात पर निर्भर

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में वर्ष 2022-23 के दौरान कुल दलहन उत्पादन 260.58 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले पांच वर्षों के औसत दलहन उत्पादन 246.56 लाख टन से 14.02 लाख टन अधिक है। लेकिन इस सबके बाद भी भारत को दूसरे देशों से दालों का आयात करना पड़ रहा हैं। 

10-12 फीसदी दाल का होता हैं आयात

भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक, आयातक और उपभोक्ता है। भारत में सभी लोग चाहे वह शाकाहारी हो या मांसाहारी दोनों ही प्रकार के लोग दालों का प्रमुख रूप से उपभोग करते हैं। भारत अपनी दालों की जरूरत को पूरा करने के लिए 260 लाख टन से अधिक का उत्पादन करता है और 10-12 फीसदी दाल आयात करता हैं।

भारत में दलहन का उत्पादन वैश्विक उत्पादन की 25 फीसदी हिस्सेदारी करता है। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 15 फीसदी और विश्व की खपत का 27 फीसदी है। एपीडा के अनुसार, भारत दालों का सर्वाधिक आयात कनाडा और उसके बाद म्यांमार से करता है।

सबसे बड़े दाल उत्पादक राज्य

दालों के मामले में देखा जाए तो इनमें सबसे बड़े दाल उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र है। वही भारत में अरहर दाल का सर्वाधिक उत्पादन महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना राज्य में होता हैं।

क्यो करना पड़ रहा दालों का आयात

भारत में दलहनी फसलों उत्पादन कम हैं और खपत उत्पादन से ज्यादा हैं। आपूर्ति को पूरा करने के लिए भारत को दूसरे देशों से दाल का आयात करना पड़ता हैं। हालांकि भारत सरकार दाल का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं लेकिन भारत दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने में अभी भी असमर्थ हैं।

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