State News (राज्य कृषि समाचार)

गाजरघास के दुष्प्रभावों के प्रति आामजन को जागरूक करना ज़रूरी : ले. जनरल (से.नि.) डॉ.ए.के.मिश्र

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गाजर घास जागरूकता सप्ताह का समापन

23 अगस्त 2023, जबलपुर: गाजरघास के दुष्प्रभावों के प्रति आामजन को जागरूक करना ज़रूरी : ले. जनरल (से.नि.) डॉ.ए.के.मिश्र – खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर के तत्वावधान में 16 से 22 अगस्त के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न  राज्यों  के स्कूलों,  गांवों  तथा विभिन्न संस्थानों में जागरूकता  कार्यक्रम आयोजित किए गए , जिसमें रैली, गाजरघास को उखाड़ना (अपरूटिंग), चित्र  प्रदर्शनी , व्याख्यान, वेबिनार, संगोष्ठी, वर्कशॉप , जैविक  कीटों  को छोड़ना एवं वितरण  शामिल है। इसी के साथ ही ‘कृषक जगत’ के साथ मिलकर मध्य प्रदेश , बिहार, उत्तरप्रदेश , राजस्थान, छत्तीसगढ़ के किसानों से ऑनलाइन लाइव संवाद  किया गया।  समापन कार्यक्रम भारत सरकार के फार्मर फर्स्ट प्रोग्राम के अंतर्गत ग्राम भिडारीकला बरौदा में भी आयोजित किया गया जिसमें आसपास के ग्रामों से लगभग 200 किसानों ने भाग लिया।

ले. जनरल  (से.नि.) डॉ.ए.के.मिश्र कुलपति, मंगलायतन विवि द्वारा निदेशालय के मार्गदर्शन  में चलाए जा रहे जागरूकता अभियान एवं गाजर घास के नियंत्रण हेतु किए जा रहे प्रयासों, बचाव के तरीकों  एवं अनुसंधानों की सराहना कर कहा कि  गाजर घास जैसे खरपतवार से कम्पोस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट बनाकर युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की मुहिम में हर स्तर पर जन भागीदारी  आवश्यक है ,ताकि पूरे देश से इस आक्रामक खरपतवार को प्रबंधित कर जैव विविधता को बचाया जा सके। डॉ.मिश्र ने कहा कि देश की सीमा पर कार्य करते हुए सेना के जवानों को भी गाजरघास व अन्य खरपतवारों का सामना करना पड़ता है। ये मैंने स्वयं महसूस किया है।  मैं कोशिश करूंगा कि गाजरघास से होने वाले नुकसान से बचने की विधियों का सेना के जवानों को भी फायदा मिले। यह देश के जवानों के लिए बहुत कल्याणकारी होगा। डॉ. ए.के तिवारी (डीन कृषि) मंगलायतन वि.वि ने आश्वस्त किया कि वे अपने आस-पास के क्षेत्र में तथा मंगलायतन विश्वविद्यालय के परिसर को आने वाले समय में गाजर घास से मुक्त कराने का हर संभव प्रयास  करेंगे।

 कार्यक्रम के राष्ट्रीय संयोजक डॉ.पी.के.सिंह, प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि गाजर घास एक समस्या कारक खरपतवार है जो फसलों  एवं उद्यानों में  उत्पादकता को कम करने के अलावा पर्यावरण और जैव विविधता के लिए एक गंभीर खतरा है। गाजर घास में बीज उत्पादन की  विपुल  क्षमता होने एवं  बीज सुसुप्त नहीं रहने के कारण यह वर्षभर फलता -फूलता रहता है। गाजर घास से मनुष्य एवं जानवरों में अनेक प्रकार की बीमारियां जैसे- दमा और त्वचा रोग  होता है । इन्हीं कारणों से  लोगों को जागरूक करने के  उद्देश्य से पूरे देश  में जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है। यह कार्यक्रम 713 कृषि विज्ञान केन्द्रों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सभी संस्थानों, कृषि  विश्वविद्यालयों के माध्यम से पूरे देश  में मनाया गया।इस कार्यक्रम में महिला एवं पुरुष कृषकों तथा  निदेशालय  के डॉ.के.के.वर्मन, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ.पी.के.मुखर्जी, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ.वी.के चौधरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, श्री चेतन सी.आर, डॉ. हिमांशु  व समस्त अधिकारी/कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित  थे ।  कार्यक्रम का संचालन डॉ.दीपक पवार द्वारा किया गया।

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