Crop Cultivation (फसल की खेती)

जानिए पूसा संस्थान की कम अवधि में पकने वाली सरसों की किस्म की विशेषतायें एवं पैदावार

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11 अगस्त 2023, नई दिल्ली: जानिए पूसा संस्थान की कम अवधि में पकने वाली सरसों की किस्म की विशेषतायें एवं पैदावार – तिलहनी फसलों में सरसों  एक प्रमुख फसल हैं जो संपूर्ण भारत में सिंचित और बराली दोनों क्षेत्रो में उगाई जाती हैं। सरसों के पौधो का उपयोग विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों को बनाने में तो होता ही हैं, साथ ही इसकी खली मवेशियों के खिलाने में भी काम आती है।

कई किसान सितंबर माह में सरसों की अगेती फसल लेते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञ डॉ. नवीन सिंह ने कृषकों को सरसों की अगेती फसल लेने के लिए उन्नत किस्मों सहित अन्य सम सामायिक क्रियाओं की विस्तृत जानकारी दी हैं।

विशेषज्ञ डॉ नवीन ने कहा कि ऐसा देखने में आया हैं कि कई बार कुछ कारणों की वजह से किसान खरीफ फसल की बुआई नहीं कर पाते हैं, तो इस कारण उनके खेत खाली रह जाते हैं।

कुछ ऐसे किसान जो फरवरी माह में गन्ना लगाना चाहते हैं, फरवरी में अगेती सब्जियों लगाने चाहते हैं, या जनवरी के माह में प्याज या लहसुन की खेती करना चाहते हैं, तो ऐसे किसान भी खरीफ फसल के समय अपने खेतों को खाली रखते हैं। जिसके कारण ये खेत सितंबर माह से लेकर जनवरी माह तक खाली रहते हैं। तो इस समय किसान कम  समय में पकने वाली भारतीय सरसों की प्रजाति लगाये तो इससे किसान एक अतिरिक्त फसल भी लें सकते हैं और इससे उनको अच्छा लाभ मिलेगा।

कम अवधि में पकने वाली सरसों की किस्में-

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नईदिल्ली ने ऐसी प्रजातियों को विकसित किया है, जो कम समय में पक कर तैयार हो जाती हैं। यह किस्में कुछ इस प्रकार हैं-

पूसा अग्रणीः  सरसों की कम अवधि में पकने वाली पहली प्रजाति हैं पूसा अग्रणी जो 110 दिन की अवधि के अंदर पक कर तैयार हो जाती हैं। इसकी औसत पैदावार 13.5 क्वि. प्रति हेक्टेयर होती हैं।

पूसा तारक एंव पूसा महकः इसके बाद दो और प्रजातियों का विकास किया गया जो कि पूसा तारक और पूसा महक हैं। ये दोनो प्रजाति करीब-करीब 110-115 दिन के अंदर पक कर तैयार हो जाती हैं। इसकी औसत पैदावार 15-20 क्वि. प्रति हेक्टेयर के बीच में रहती है।

पूसा सरसों -25इसके अलावा संस्थान की एक और सरसों की प्रजाति हैं , जो सबसे कम समय में पक कर तैयार हो जाती हैं, जोकि 100 दिन में ही पक जाती हैं। इसका नाम पूसा सरसों -25 हैं। इसकी औसत पैदावार 14.5 क्वि. प्रति हेक्टेयर के बीच रहती हैं। 

पूसा सरसों -27पूसा सरसों-27 को पकने में 110-115 दिन की अवधि का समय लगता हैं। इसकी औसत पैदावार करीब 15.5 क्वि. प्रति हेक्टेयर के बीच रहती हैं।

पूसा सरसों -28इन सभी प्रजातियों में जो नवीनतम प्रजाति हैं वह हैं पूसा सरसों-28. यह प्रजाति 105-110 दिन के अंदर पक जाती हैं। इसकी औसत पैदावार 18-20 क्वि. प्रति हेक्टेयर होती हैं।

इन सभी प्रजातियों को हम 15 सितंबर के आस-पास बुआई कर सकते हैं और यह करीब-करीब जनवरी के पहले हफ्ते में पक जाती है। 

कम अवधि में पकने वाली अगेती फसलों के कुछ मुख्य लाभ

इन प्रजाति की फसलों में माहू या चेपा कीट का प्रकोप नहीं होता हैं। इसके अलावा यह फसल आमतौर पर बीमारी रहित रहती हैं।

किसान ध्यान दे की इस समय एक मुख्य कीट आता हैं जो पेंटेड बग हैं। यह कीट फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देता हैं। इस कीट के प्रकोप से कई बार तो ऐसा लगता हैं कि जैसे फसल की कभी बुआई ही नहीं की गई हो । यह कीट हमेशा अकुंरण के समय आता हैं और फसल को नष्ट कर देता हैं।

इस अवस्था में 5 प्रतिशत मेलाथिऑन 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें। यह भुरकाव हमेशा सुबह के समय करना चाहिए। क्योकि सुबह के समय पत्तों पर थोड़ी नमी होती हैं, जिससे पाउडर अच्छी तरह पत्तों पर चिपक जाता हैं और एक लंबे समय तक फसल को पेंटेड बग के प्रकोप से बचाता हैं।

अगेती किस्में जोकि कम समय में पक जाती हैं। इन किस्मों को लगाकर किसान तीन फसलें एक साल में ले सकता हैं और अधिक लाभ कमा सकता हैं। 

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