State News (राज्य कृषि समाचार)

प्राकृतिक आपदा से हुई फसल हानि की सूचना 72 घंटों में अवश्य दें

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28 फरवरी 2024, इंदौर: प्राकृतिक आपदा से हुई फसल हानि की सूचना 72 घंटों में अवश्य दें – पिछले दो -तीन दिनों से मध्य प्रदेश में मौसम का मिज़ाज बदला हुआ है। प्रदेश के कई हिस्सों में मध्यम वर्षा और ओला वृष्टि हो रही है। इस आकस्मिक वर्षा से गेहूं,चना ,सरसों आदि रबी फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा है। ऐसी दशा में प्राकृतिक आपदा से हुई फसल नुकसानी की क्षतिपूर्ति के लिए बीमित किसान को 72  घंटों के भीतर संबंधित कम्पनी को सूचित करना अनिवार्य है। इसके बाद भरा हुआ दावा फॉर्म कम्पनी को ,कम्पनी के प्रतिनिधि को अथवा कृषि विभाग को देकर प्राप्ति रसीद लेनी चाहिए। इसमें की गई लापरवाही से फसल बीमा मुआवजा मिलना कठिन हो जाता है।  

72 घंटों में सूचना देने की अनिवार्यता – प्राकृतिक आपदा से खेत में हुई फसल नुकसानी की क्षतिपूर्ति के लिए बीमित किसान को 72 घंटों के भीतर संबंधित फसल बीमा कम्पनी को सूचित करना अनिवार्य रहता है। बीमा कम्पनी को सूचना तीन माध्यमों से दी जा सकती है। पहला संबंधित बीमा कम्पनी के टोल फ्री नंबर पर कॉल करके, दूसरा कम्पनी को ई मेल करके तथा तीसरा बीमा कम्पनी के स्थानीय प्रतिनिधि को अथवा कृषि विभाग को भी सूचित किया जा सकता है।

दावा फॉर्म सही भरें – फसल बीमा कम्पनी को सूचित करने के तुरंत बाद प्रभावित किसानों का दायित्व है कि वह फसल नुकसानी का दावा फॉर्म सावधानी से भरें और प्रारूप में चाही गई पूरी जानकारी भरकर हस्ताक्षर करके  बीमा कम्पनी के स्थानीय प्रतिनिधि को अथवा ब्लॉक के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को देकर उसकी प्राप्ति रसीद अवश्य लेवें। हालांकि भुगतान की प्रक्रिया जटिल और प्रायः समय  पर भुगतान नहीं होने से किसानों का उत्साह ठंडा हो जाता है और वे  समय पर बीमा कम्पनी को सूचना नहीं देते हैं ,जबकि यह अत्यंत आवश्यक है।

सुरक्षा कवच –उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक आपदाओं, कीट और रोगों के परिणामस्वरूप अधिसूचित फसल में नुकसानी की  स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वर्ष 2016 में लागू की गई है , जिसमें किसानों से सभी खरीफ फसलों के लिए  2% एवं सभी रबी फसलों के लिए 1.5% का एक समान प्रीमियम  लिया जाता है। जबकि वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में प्रीमियम 5% लिया जाता है। इसके बदले में  किसानों को  फसल का सुरक्षा कवच उपलब्ध कराया जाता है। कीट और रोगों के अलावा जब कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो इससे खेत में खड़ी / कटी फसल को हुई नुकसानी की सर्वे रिपोर्ट के मानकों के अनुसार नुकसानी होने पर किसानों को क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है।

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