केवीके देवास द्वारा सरसों पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन
25 जनवरी 2024, इंदौर: केवीके देवास द्वारा सरसों पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन – कृषि विज्ञान केंद्र ( केवीके ), देवास द्वारा ग्राम बरदू विकासखंड टोंकखुर्द में सरसों फसल पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. ए.के.बड़ाया, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के.एस.भार्गव, शस्य वैज्ञानिक डॉ. महेन्द्र सिंह एवं तकनीकी अधिकारी डॉ. सविता कुमारी के साथ-साथ लगभग 150 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भागीदारी की।
डॉ. बड़ाया ने प्रक्षेत्र दिवस केआयोजन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास द्वारा नई-नई प्रजातियों का प्रचार-प्रसार एवं विभिन्न ग्रामों में नई-नई किस्मों के प्रदर्शन प्लाट तथा अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन डलवाये जाते हैं। इसके अंतर्गत टोंकखुर्द विकासखण्ड के ग्राम बरदू में सरसों की नई किस्म आर.एच. 725 दी गई। साथ ही साथ कृषकों के यहां लगाए गए विभिन्न प्रदर्शनों को भी देखा गया। डॉ. बड़ाया ने बताया कि टोंकखुर्द विकासखण्ड में जंगली जानवरों एवं विल्ट की बीमारी की वजह से चने के रकबे में काफी कमी होती जा रही है। चने की जगह अगर किसान सरसों फसल को लगाते हैं, तो यह चने की तुलना में अधिक लाभदायक फसल सिद्ध होगी।
डॉ. महेन्द्र सिंह ने सरसों फसल में आने वाली विभिन्न समस्याओं एवं उनके समाधान के बारे में बताया । डॉ. सिंह ने किसानों को सरसों के साथ-साथ खरीफ मौसम में सोयाबीन के साथ अन्य फसलों जैसे मक्का, ज्वार, अरहर आदि को भी अपनाने एवं उनकी उन्नत कृषि तकनीकी पर ज़ोर देते हुए खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए समन्वित खेती प्रबंधन अंतर्गत फसलों के साथ बगीचा लगाने, सब्जी खेती करने एवं खेती से संबंधित व्यवसाय जैसे डेयरी, मुर्गी पालन व बकरी पालन आदि करने के लिए प्रेरित किया। जबकि डॉ. के.एस.भार्गव ने सिंचाई जल प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा की और वर्षा जल संचयन हेतु नलकूप, कुएं आदि को रिचार्ज करने का आह्वान किया । और खेती में कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से उन्नत कृषि यंत्रों के उपयोग के बारे में बताया।
डॉ. सविता कुमारी ने खेती में बढ़ते हुए रासायनिक उर्वरकों के नुकसान पर चर्चा कर प्राकृतिक खेती अपनाने पर जोर देते हुए रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए जीवामृत, घनजीवामृत एवं जैविक कीटनाशक बनाने एवं अपनाने की विस्तृत जानकारी दी। सालीडरीडेड संस्था के श्री चेतन ने भी सरसों फसल को अपनाने एवं उसकी तकनीकी के बारे में चर्चा की। कार्यक्रम को सफल बनाने में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनीष कुमार का योगदान रहा।
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