State News (राज्य कृषि समाचार)

मोटा अनाज मोटा लाभ : अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023

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हर्ष उपाध्याय एवं डॉ. विनय कुमार गौतम, मृदा एवं जल प्रौद्योगिकी विभाग, सीटीएई, उदयपुर-313001

31 जनवरी 2023, उदयपुर: मोटा अनाज मोटा लाभ : अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 – जैसा की हम सब जानते हैं, मिलेट अर्थात मोटा अनाज सदियों से हमारे आहार का अभिन्न अंग रहा है। स्वास्थ्य लाभों की अधिकता के अलावा मिलेट कम पानी और लागत की आवश्यकता वाले पर्यावरण के लिए भी अच्छा माना जाता है। जागरूकता पैदा करने और मिलेट के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी व भारत सरकार ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित करने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के समक्ष पेश किया जिसे 72 देशों के समर्थन के साथ पारित कर दिया गया। इस हस्तक्षेप के माध्यम से, भारत ने मिलेट के महत्व को पहचानने और समुदाय को पौष्टिक भोजन प्रदान करने के साथ-साथ घरेलू और वैश्विक मांग पैदा करने पर जोर दिया।

मोटा अनाज छोटे बीज वाली घासों को वर्गीकृत करने के लिए एक सामान्य शब्द है जिन्हें अप्रैल 2018 में न्यूट्री-अनाज का दर्जा प्राप्त हुआ था। ज्वार, बाजरा, रागी, कुटकी, काकुन, चीना, सावा कोडोन इत्यादि इसके कुछ प्रकार हैं। उप-सहारा अफ्रीका और एशिया के लाखों छोटे किसानों इन्हें आवश्यक मुख्य अनाज की फसलों के रूप में उगाते हैं। बाजरा जैसे मोटे अनाज किसानों को पोषण, आय एवं आजीविका प्रदान करते हैं और साथ ही इन का उपयोग भोजन, चारा, जैव ईंधन और शराब बनाने के लिए भी किया जाता है। मोटे अनाज अपने उच्च प्रोटीन स्तर और अधिक संतुलित अमीनो रसायन परिच्छेदिका के कारण पौष्टिक रूप से गेहूं और चावल से बेहतर है। मोटे अनाजों में मौजूद विभिन्न पादपरसायन इन्हें शोथरोधी और एंटी-ऑक्सीडेटिव जैसे कई चिकित्सीय गुण भी प्रदान करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के माध्यम से विश्व में इन मोटे अनाजों का उपभोग बढ़ सकता है जो उपभोकता के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है। आर्थिक दृष्टिकोण से देखें तो 2021 के आंकड़ों के अनुसार मोटे अनाज के वैश्विक बाजार की कीमत 47 करोड़ डॉलर आँकी गई है जिसका 2021-2026 की अवधि के दौरान 4.5 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर दर्ज करने का अनुमान है। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने 2021-22 के 6.428 करोड़ डॉलर के मुकाबले 2023-24 तक 10 करोड़ डॉलर के मोटे अनाजों के निर्यात का लक्ष्य रखा है।

सरकार द्वारा भी इस मुहिम को आगे बढ़ाने का पुरजोर प्रयास किया जा रहा है। 6 दिसंबर, 2022 को खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने रोम में अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के उद्घाटन समारोह का आयोजन किया, जिसे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संबोधित किया और साथ ही भारत के कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी इसमें भाग लिया। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने पिछले महीने संसद के सदस्यों के लिए एक विशेष ‘बाजरा लंच’ आयोजित किया था, जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधान मंत्री ने भाग लिया था। मोटे अनाज को जी-20 बैठकों का भी एक अभिन्न हिस्सा बनाया गया है जिसके उप्लक्ष में बैठकों में हिस्सा लेने आए प्रतिनिधियों को मोटे अनाजों से बने व्यंजन परोसे जाएँगे और इससे जुड़े किसानों, स्टार्ट-अप और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के साथ पारस्परिक सत्रों के माध्यम से मोटे अनाजों का एक सच्चा अनुभव दिया जाएगा। खेल मंत्रालय ने जनवरी में 15 गतिविधियों की योजना बनाई है जैसे वीडियो संदेशों के माध्यम से खिलाड़ियों, पोषण विशेषज्ञों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को इस मुहिम में शामिल करना तथा प्रमुख पोषण विशेषज्ञों, आहार विशेषज्ञों और विशिष्ट खिलाड़ियों के साथ मोटे अनाजों पर वेबिनार आयोजित करना। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में “मिलेट मेले” का आयोजन करेगा। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) पंजाब, केरल और तमिलनाडु में “ईट राइट” मेलों का आयोजन करेगा। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) बेल्जियम में एक व्यापार प्रदर्शनी में भाग लेगा जहां यह भारतीय मोटे अनाजों की विविधता का प्रदर्शन करेगा। 140 से अधिक देशों में भारतीय दूतावास प्रदर्शनी, अध्ययन गोष्ठी , वार्ता और पैनल चर्चा के माध्यम से भारतीय प्रवासियों को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के उत्सव में शामिल करेंगे।

हालांकि भारत मोटे अनाजों से जुड़ी इस मुहिम का प्रमुख आयोजक है किन्तु भारत को भी अपने मोटे अनाज के उत्पादन स्वरूप में काफी बदलाव लाने कि ज़रूरत है। 2013-14 और 2021-22 के बीच मोटे अनाजों (रागी, बाजरा और ज्वार) के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSPs) में 80-125 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है परंतु पिछले आठ वर्षों के दौरान उनका संयुक्त उत्पादन 7 प्रतिशत घटकर लगभग 1.56 करोड़ टन रह गया है। जहाँ बाजरा का उत्पादन अब तक स्थिर रहा है, वहीं ज्वार और रागी के उत्पादन में गिरावट आई है। इससे पता चलता है कि कृषि संबंधी नीतियों में हस्तक्षेप की आवश्यकता है ताकि किसानों को मोटे अनाजों के लिए लाभकारी मूल्य मिल सके और उनका प्रतिलाभ धान जैसी प्रमुख फसलों की तुलना में अधिक हो।

महत्वपूर्ण खबर: कपास मंडी रेट (28 जनवरी 2023 के अनुसार)

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