National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

केंद्रीय कृषि सचिव ने भारत की खाद्य सुरक्षा पर किसान-विज्ञान फाउंडेशन के दो श्वेतपत्र जारी किए

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28 फरवरी 2024, नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि सचिव ने भारत की खाद्य सुरक्षा पर किसान-विज्ञान फाउंडेशन के दो श्वेतपत्र जारी किए – किसान-विज्ञान फाउंडेशन ने ‘क्या भारत 2047 में खाद्य सुरक्षित होगा’ और ‘क्या भारत दालों में आत्मनिर्भर बनेगा’ शीर्षक से दो श्वेतपत्र जारी करने की घोषणा की। इन श्वेतपत्रों का अनावरण 26 फरवरी 2024 को आयोजित राष्ट्रीय कृषि इनपुट कॉन्क्लेव के दौरान भारत सरकार के कृषि सचिव श्री मनोज आहूजा द्वारा किया गया।

ये श्वेतपत्र उन चुनौतियों पर प्रकाश डालता है जिनका भारत को 2047 तक खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने में सामना करना पड़ रहा है। साथ ही इसमें इन चुनौतियों से निपटने के लिए उपलब्ध विकल्पों पर भी प्रकाश डाला गया है। वे राष्ट्र के लिए खाद्य-सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सरकार और उद्योग दोनों से आवश्यक हस्तक्षेप पर भी जोर देते हैं।

कृषि सचिव, श्री  मनोज आहूजा ने कहा, “1950 के दशक के बाद से अनाज में हमारी उपज में 300 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, लेकिन दालों और तिलहनों के मामले में यह समान नहीं है। यह वह बिंदु  है जहां सरकार आगे चलकर निजी क्षेत्र की भागीदारी और सही नीतिगत माहौल को आमंत्रित करेगी। किसान किसी फसल को आर्थिक दृष्टिकोण से देखते हैं और जब तक उन्हें सही उपज और नई फसल से जुड़ा आर्थिक  लाभ नहीं मिल जाता तब तक वे खेती में विविधता नहीं लाएंगे। अगर उन्हें दलहन और तिलहन से रिटर्न मिल सकता है तो मुझे यकीन है कि वह अपना ध्यान गेहूं , चावल  से हटाएंगे। भविष्य में  इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगे। इथेनॉल सम्मिश्रण नीति की शुरूआत के साथ कृषि क्षेत्र में एक और उभरता हुआ क्षेत्र मक्का फसल होगी ।

किसान विज्ञान फाउंडेशन (केएकेवी) के अध्यक्ष श्री विजय सरदाना ने अपने संबोधन में कहा, “श्वेतपत्र भारत में खाद्य सुरक्षा और दाल उत्पादकता के वर्तमान परिदृश्य और भविष्य के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हैं। भूमि जोत और उत्पादकता को स्थिर रखते हुए, भारत के लिए 2047 तक खाद्य सुरक्षित होना मुश्किल होगा, क्योंकि तब देश की आबादी 1.6 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। हमारा उद्देश्य देश के लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना और हितधारकों को इस दिशा में समाधान के साथ योगदान करने के लिए आमंत्रित करना है ताकि इसे विकास का अवसर बनाया जा सके और आयात पर हमारी निर्भरता कम हो सके।”

बढ़ती जनसंख्या और बढ़ती माँगों को देखते हुए खाद्य सुरक्षा की दिशा में भारत की यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये श्वेतपत्र कृषि उत्पादकता, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और सरकारी नीतियों जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण करते हुए व्यापक मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं। यह अध्ययन  भारत को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ समग्र खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए आवश्यक रणनीतियों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता  है ।

इन श्वेतपत्रों का जारी होना खाद्य-सुरक्षित भारत की खोज में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसके निष्कर्ष और सिफारिशें नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के प्रतिनिधि , शोधकर्ताओं और कृषि क्षेत्र के सभी हितधारकों के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में प्रकाश स्तम्भ का काम करेंगी।

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