गेहूं के बम्पर उत्पादन की उम्मीद
भण्डारण की व्यवस्था से चिंतित |
भोपाल (अतुल सक्सेना)। चालू रबी सीजन 2019-20 में म.प्र. में बंपर गेहूं उत्पादन की संभावना के बीच किसानों को भण्डारण की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है वहीं सरकार के सामने भी अनाज रखने का संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश के होशंगाबाद जिले के सिवनी मालवा तहसील के ग्राम खटकड़ निपानिया के प्रगतिशील कृषक श्री कैलाश चंद्र लौवंशी को भी यही चिंता सता रही है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो 25 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ गेहूं का उत्पादन होगा। उन्होंने 14 एकड़ में गेहूं लगाया है तथा कुल औसत उत्पादन 280 से 300 क्विंटल होने का अनुमान है। इसमें से सरकार समर्थन मूल्य पर कुछ हिस्सा ही खरीदेगी, उपयोग में लाने के बाद शेष बचे गेहूं को कैसे भण्डारित करेंगे। प्रदेश के गोदामों में भी 40 लाख टन अनाज भरा है तथा केन्द्र सरकार का सेन्ट्रल पूल भी धीमी गति से अनाज का उठाव कर रहा है और इस सीजन में राज्य में लगभग 100 लाख टन गेहूं खरीदी होने की उम्मीद है।
प्रदेश में इस वर्ष पर्याप्त नमी और वातावरण अनुकूल होने के कारण लगभग 80 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया है, जबकि लक्ष्य 64 लाख हेक्टेयर रखा गया था, बोनी इससे 16 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में हुई है जिससे उत्पादन भी 250 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है। गत वर्ष 60.21 लाख हेक्टेयर में बोनी हुई थी तथा उत्पादन 212 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है।
इस वर्ष राज्य के सभी गेहूं उत्पादक जिलों में लक्ष्य से अधिक बोनी की गई है तथा दलहनी फसलों का रकबा घटा है। प्रदेश के होशंगाबाद जिले में सबसे अधिक 2.6 लाख हेक्टेयर लक्ष्य की तुलना में 2.9 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया है। वहीं उज्जैन एवं विदिशा जिले में कम लक्ष्य होने के बावजूद 3.15 एवं 3 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की गई है।
इसी प्रकार सीहोर में 2.89 लाख हेक्टेयर, सागर में 3.51, छतरपुर में 2.86, टीकमगढ़ में 2.65 लाख, धार में 2.44 , रायसेन में 2.38 एवं सतना में 2.39 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बोनी हुई है। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो इस वर्ष सभी जिलों में गेहूं का रकबा बढ़ा है।
राज्य में बेहतर उत्पादन की उम्मीद जगी तो दूसरी तरफ भण्डारण की समस्या का संकट नजर आ रहा है। राज्य के गोदामों में 40 लाख टन गेहूं, चावल का भण्डार है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को उम्मीद है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत तीन माह का एक मुश्त गेहूं चावल बांटने के बाद मई तक लगभग 9 लाख टन भण्डारण की जगह खाली होगी। इसके साथ ही विभाग को उम्मीद है 100 लाख टन गेहूं की आवक हो सकती है इसके मद्देनजर 30 से 35 लाख टन क्षमता के ओपन केप बनाने का निर्णय लिया गया है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि पीडीएस के तहत उचित मूल्य की दुकानों पर नोडल अधिकारी नियुक्त करें।
दूसरी तरफ कृषि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के बाद भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) के सामने भी भण्डारण की समस्या खड़ी हो गई है। क्योंकि दूसरे अनुमान के मुताबिक 1062 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है और गोदाम अनाज से भरे पड़े हैं। गत 7 फरवरी 2020 तक एफसीआई के पास 578 लाख टन गेहूं चावल का स्टॉक होने का अनुमान था इसमें गेहूं का अनुमान 303 लाख टन था जो जरूरत से 124 फीसदी अधिक है।
देश एवं प्रदेश में भण्डारण की उक्त परिस्थितियों को देखते हुए राज्य के प्रगतिशील कृषक श्री कैलाश चंद्र लौवंशी को भी भण्डारण की चिंता सता रही है। उन्होंने 14 एकड़ में गेहूं की पूसा तेजस 8759 किस्म के अलावा अन्य किस्में भी लगाई हैं तथा औसत 20 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से कुल 280 से 300 क्विं. उत्पादन होने की आशा लगाए बैठे हैं। उन्होंने बताया कि बीज बोने एवं साल भर के घरेलू उपयोग में लगभग 35 क्विंटल खपत के बाद भी 245 क्विं. बिक्री योग्य बचेगा इसमें से समर्थन मूल्य में खरीदी के बाद भी लगभग 45 क्विं. गेहूं के भण्डारण की समस्या आ सकती है। बहरहाल राज्य के कुछ क्षेत्र में ओला एवं बेमौसम बरसात के बावजूद गेहूं फसल लहलहा रही है तथा रिकॉर्ड उत्पादन की सम्भावना है।