National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

संशोधित पार्बती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच हस्ताक्षर

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29 जनवरी 2024, नई दिल्ली: संशोधित पार्बती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच हस्ताक्षर – मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच  श्रमशक्ति भवन स्थित जल शक्ति मंत्रालय के कार्यालय में संशोधित पार्बती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा की उपस्थिति में सचिव, केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय श्रीमती देबाश्री मुखर्जी, मध्य प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन डॉ. राजेश राजौरा और राजस्थान शासन के अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन श्री अभय कुमार ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित होने के उपरांत मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि  लगभग दो दशकों से लंबित पार्बती-कालीसिंध-चंबल परियोजना अब मूर्त रूप ले सकेगी। इस परियोजना से मध्यप्रदेश के चंबल और मालवा अंचल के 13 जिलों को लाभ पहुंचेगा। प्रदेश के ड्राई बेल्ट वाले जिलों जैसे मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिंड और श्योपुर में पानी की उपलब्धता बढ़ेगी और औद्योगिक बेल्ट वाले जिलों जैसे इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा, शाजापुर, देवास और राजगढ़ के औद्योगीकरण को और बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश के मालवा और चंबल अंचल में लगभग तीन लाख हेक्टेयर का सिंचाई रकबा बढ़ेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि यह परियोजना 5 वर्ष से कम समय में फलीभूत होगी, जिसकी वर्तमान लागत लगभग 75000 करोड़ रुपए है। प्रदेश के लगभग 1.5 करोड़ आबादी इस परियोजना से लाभान्वित होगी। 

इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि परियोजना से लगभग 5.60 लाख हैकटेयर क्षेत्र में सिंचाई के साथ ही बांधों और बड़े तालाबों में पानी का संचय कर जल-स्तर उठाने में सफलता प्राप्त होगी। 

राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा ने कहा कि इस परियोजना से राजस्थान और मध्यप्रदेश के चंबल बेसिन के जल संसाधनों का बेहतर उपयोग करने में मदद होगी जिससे दोनों राज्यों के औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों को फायदा मिलेगा।

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