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रिलायंस फाउंडेशन ने ‘शेपिंग पर्सपेक्टिव्स ऑन प्रैक्टिस एंड पॉलिसी फॉर मिलेट्स इन इंडिया’ सम्मेलन का किया आयोजन

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21 दिसम्बर 2023, नई दिल्ली: रिलायंस फाउंडेशन ने ‘शेपिंग पर्सपेक्टिव्स ऑन प्रैक्टिस एंड पॉलिसी फॉर मिलेट्स इन इंडिया’ सम्मेलन का किया आयोजन – पूरे विश्व में वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया जा रहा हैं। रिलायंस फाउंडेशन ने इस अवसर पर भारत में मिलेट से संबंधित नीतियों, समस्याओं और उपायों पर ‘शेपिंग पर्सपेक्टिव्स ऑन प्रैक्टिस एंड पॉलिसी फॉर मिलेट्स इन इंडिया’ सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में किसानों के साथ मिलेट विशेषज्ञ और अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। सम्मेलन में सभी हितधारकों इस बात पर सहमत नजर आयें कि खाद्य सुरक्षा, कृषि आजीविका और पोषण विविधता की चुनौतियों सामना करने के लिए मिलेट तैयार हैं।

नीति निर्माताओं, किसान प्रतिनिधियों, शोधकर्ताओं और उद्योग प्रतिनिधियों ने अधिक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही किसान-केंद्रित प्रयासों को बढ़ाने और भारत की मिलेट नीति की सफलताओं और चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया गया।

इस अवसर पर कृषि मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री शुभा ठाकुर ने कहा, “हमने मिलेट के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए छह टास्क फोर्स बनाई हैं, जिनमें वाणिज्य मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और एक पोषण क्षेत्र में शामिल हैं। उन्होंने कहा मिलेट भविष्य की फसल है।”

उन्होंने आगे कहा, “रिलायंस फाउंडेशन को किसानों के साथ काम करते हुए देखकर खुशी होती है। यदि मिलेट को सफल बनाना है तो सभी को साथ आना होगा। किसानों की आय बढ़ाने के लिए ब्रांडिंग, निर्यात क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है।

रिलायंस फाउंडेशन के सीईओ श्री जगन्नाथ कुमार ने कहा, “यह दशक वैश्विक खाद्य प्रणाली और मिलेट के लिए परिवर्तनकारी रहा है। हम देख रहे हैं कि मोटे अनाजों की मांग में बदलाव हो रहा है और भारत ने आगे बढ़कर इस बदलाव का नेतृत्व किया है |यह मध्यम से छोटे और सीमांत  किसानों के लिए बेहतर आजीविका सुनिश्चित करेगा।

साथ ही कृषि पद्धतियों के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों को संतुलित करने में भी मदद करेगा। साझा विकास लक्ष्यों के साथ इस गति को बनाए रखना आवश्यक है। रिलायंस फाउंडेशन में हम मिलेट के साथ भोजन और कृषि प्रणालियों में विविधता लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस अवसर पर, ‘फोस्टरिंग रेजिलिएंस फॉर सस्टेनेबिलिटी: रिलायंस फाउंडेशन्स मिलेट एक्सपीरियंस’ का प्रकाशन किया गया, जिसमें विभिन्न राज्यों में मिलेट से उपजे अनुभवों और जानकारियों का दस्तावेजीकरण किया गया है। इसमें किसानों के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज सुलभ बनाना, निरंतर तकनीकी सहायता प्रदान करना, महिला एजेंसियों को सशक्त बनाना और मिलेट के बारे में जागरूकता पैदा करना शामिल है।

इस कार्यक्रम में वरिष्ठ नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और कृषि विशेषज्ञों ने भी भाग लिया। 

उल्लेखनीय है कि 2018 को अपने राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाते हुए, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में ‘अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष’ (IYOM) का प्रस्ताव पेश किया। मार्च 2021 में संयुक्त राष्ट्र के 75वें महासभा सत्र में, मिलेट खाने और उगाने के लाभों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए वर्ष 2023 को IYOM घोषित किया गया था।

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